विलयन के अणुसंख्य गुणधर्म (colligative properties of solution) , वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन

विलयन के अणुसंख्य गुणधर्म (colligative properties of solution) : विलयन के ऐसे गुण जो विलयन के इकाई आयतन में घुले हुए विलेय के कणों की संख्या या विलेय के मोलो की संख्या पर निर्भर करते है , विलयन के अणु संख्यक गुण कहलाते है।

यह अणुसंख्य गुणधर्म निम्न है –

(i) वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन (relative lowering of vapour pressure)

(ii) क्वथनांक उन्नयन (elevation of boiling point)

(iii) हिमांक का अवनमन (depression in freezing point)

(iv) परासरण दाब (osmotic pressure)

(i) वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन (relative lowering of vapour pressure) : वाष्पदाब अवनमन (PA0 – P) व शुद्ध द्रव विलायक की वाष्पदाब (PA0) के अनुपात को वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन कहते है।  यह विलेय की मोल भिन्न XB के बराबर होता है।

वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन = [(PA0 – P/P0A) = XB] समीकरण-1

माना विलयन में विलायक व विलेय की मोल संख्या क्रमशः nA व nB हो तो विलेय के मोल XB = nB/(nA + nB)होगी।

अत: समीकरण-1 में XB = nB/(nA + nB)रखने पर –

[(PA0 – P/P0A) = nB/(nA + nB)]

तनु विलयनो के लिए nB <<< nA होगा , अत: उपरोक्त समीकरण के हर में nB नगण्य मानने पर –

[(PA0 – P/P0A) = nB/nA] समीकरण-2

समीकरण-2 में विलेय के मोल (nB) = WB/mB व विलायक के मोल nA = WA/mA रखने पर –

(PA0 – P)/PA0 = (WB/mB)(mA/WA) समीकरण-3

समीकरण-2 व समीकरण-3 से स्पष्ट है कि वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन विलेय के मोलो की संख्या पर निर्भर करता है अत: यह एक अणुसंख्य गुणधर्म है।

अवाष्पशील विलेय ठोस का मोलर द्रव्यमान (mB) ज्ञात करना :

समीकरण-3

mB = PA0wB.mA/(PA0 -P).Wसमीकरण-4

समीकरण-4 से अवाष्पशील विलेय का मोलर द्रव्यमान ज्ञात करना।

(ii) क्वथनांक उन्नयन (△Tb) :

क्वथनांक : वह ताप जिस पर कोई द्रव उबलना प्रारंभ करता है , क्वथनांक कहलाता है।

या

वह ताप जिस पर द्रव का वाष्पदाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर हो जाता है , क्वथनांक कहलाता है।

क्वथनांक उन्नयन (△Tb) : जब शुद्ध द्रव विलायक में अवाष्पशील विलेय ठोस मिलाया जाता है तो बने हुए विलयन का क्वथनांक (Tb) शुद्ध द्रव विलायक के क्वथनांक (Tb0) से अधिक हो जाता है।  क्वथनांक में हुई इस वृद्धि को क्वथनांक उन्नयन कहते है।

△Tb = Tb – Tb0

क्वथनांक उन्नयन का कारण : क्योंकि जब शुद्ध द्रव विलायक में अवाष्पशील विलेय ठोस मिलाया जाता है तो बने हुए विलयन के वाष्पदाब में कमी आ जाती है अत: इसके वाष्पदाब को वायुमण्डलीय दाब के बराबर लाने के लिए और अधिक गर्म करना पड़ता है इसलिए विलयन का क्वथनांक शुद्ध द्रव विलायक से अधिक हो जाता है।

क्वथनांक उन्नयन व वाष्पदाब अवनमन में सम्बन्ध : क्वथनांक उन्नयन (△Tb) , वाष्प दाब अवनमन (△P) के समानुपाती होता है। इसे ग्राफीय निरूपण से समझ सकते है –

क्वथनांक उन्नयन (△Tb) = Tb – Tb0

Tb = विलयन का क्वथनांक

Tb0 = शुद्ध विलायक का क्वथनांक

वाष्पदाब अवनमन (△P) = PA0 – P

P = विलयन का वाष्पदाब

PA0 = शुद्ध विलायक का वाष्पदाब

ग्राफीय निरूपण से स्पष्ट है कि वाष्पदाब अवनमन जितना अधिक होगा तो क्वथनांक में उन्नयन भी अधिक होगा अत: क्वथनांक उन्नयन (△Tb) , वाष्पदाब अवनमन (△P) के समानुपाती होता है।

△Tb ∝ △P समीकरण-1

तनु विलयनो के लिए राउल्ट के नियम से –

△P/PA0 = WB.mA/mB.WA

△P = PA0 WB. mA/mB.Wसमीकरण-2

समीकरण-2 से △P का मान समीकरण-1 में रखने पर –

△Tb ∝ PA0 WB. mA/mB.WA

∝ का चिन्ह हटाने पर –

△Tb = K PA0 WB. mA/mB.WA

उपरोक्त समीकरण में शुद्ध विलायक का वाष्पदाब (PA0) व विलायक का मोलर द्रव्यमान (mA) स्थिर है।

अत: k.PA0 mA= K रखने पर –

△Tb = KWB/mB.WA  समीकरण-3

समीकरण-3 में विलेय के मोल WB/mB = 1 मोल हो तथा विलायक का भार (WA) = 1 ग्राम हो तो समीकरण-3 से –

△Tb = K

K = उन्नयन स्थिरांक

उन्नयन स्थिरांक (K) : जब एक मोल अवाष्पशील विलेय ठोस को 1 ग्राम द्रव विलायक में घोला जाता है तो उत्पन्न क्वथनांक में उन्नयन ही उन्नयन स्थिरांक (K) के बराबर होता है।

लेकिन प्रायोगिक रूप से एक मोल अवाष्पशील ठोस को एक ग्राम द्रव विलायक में घोलना कठिन होता है अत: विलायक की मात्रा (WA) = 1000 ग्राम लेने पर , समीकरण-3 से –

△Tb = K/1000 = Kb

K= मोलल उन्नयन स्थिरांक

मोलल उन्नयन स्थिरांक (Kb) : जब 1 मोल अवाष्पशील विलेय ठोस को 1000 ग्राम द्रव विलायक में घोला जाता है तो उत्पन्न क्वथनांक में उन्नयन ही मोलल उन्नयन स्थिरांक (Kb) के बराबर होता है।

Kb की इकाई = k.kg mol-1

जल के लिए Kb = 0.52 k.kg mol-1

अत: K = 1000Kb समीकरण-3 में रखने पर –

△Tb = WB X 1000 Kb/mB.Wसमीकरण-4

समीकरण 4 में WB X 1000 /mB.WA = m (मोललता) रखने पर –

△T= Kb.m समीकरण-5

समीकरण-5 से स्पष्ट है कि क्वथनांक उन्नयन विलेय की मोल संख्या पर निर्भर करता है अत: ये एक अणुसंख्य गुणधर्म है।

अवाष्पशील विलेय ठोस का मोलर द्रव्यमान (mB) ज्ञात करना :

समीकरण-4 △Tb = WB X 1000 Kb/mB.WA से –

mB = WB X 1000 Kb/△Tb.WA  समीकरण-6

समीकरण-6 से अवाष्पशील विलेय ठोस का मोलर द्रव्यमान ज्ञात कर सकते है।

हिमांक अवनमन (△Tf)

हिमांक : वह ताप जिस पर कोई द्रव जमना प्रारम्भ करता है , हिमांक कहलाता है।

या

वह ताप जिस पर द्रव का वाष्पदाब , ठोस अवस्था के वाष्पदाब के बराबर हो जाता है , हिमांक कहलाता है।

हिमांक अवनमन (△Tf) : जब शुद्ध द्रव विलायक में अवाष्पशील विलेय ठोस मिलाया जाता है तो बने हुए विलयन का हिमांक (Tf) , शुद्धि द्रव विलायक के हिमांक (Tf0) से कम हो जाता है , हिमांक में हुई इस कमी को हिमांक अवनमन कहते है।

हिमांक का अवनमन (△Tf) :-

△Tf = Tf0 – Tf

हिमांक अवनमन का कारण : क्योंकि शुद्ध द्रव विलायक में अवाष्पशील विलेय ठोस मिलाने से बने हुए विलयन के वाष्पदाब में कमी आ जाती है अत: इस विलयन के वाष्पदाब को ठोस अवस्था के वाष्पदाब के बराबर लाने के लिए इसे और अधिक ठण्डा करना पड़ता है इसलिए विलयन का हिमांक शुद्ध द्रव विलायक के हिमांक से कम हो जाता है।

हिमांक अवनमन (△Tf) व वाष्पदाब अवनमन (△P) में सम्बन्ध : हिमांक अवनमन वाष्पदाब अवनमन के समानुपाती होता है।  इसे ग्राफीय निरूपण से समझ सकते है।

हिमांक अवनमन (△Tf) = Tf0 – Tf

T= विलयन का हिमांक

Tf0 = शुद्ध विलायक का हिमांक

वाष्पदाब अवनमन (△P) = PA0 – P

P = विलयन का वाष्पदाब

PA0 = शुद्ध विलायक का वाष्पदाब

ग्राफीय निरूपण से स्पष्ट है कि वाष्पदाब में अवनमन जितना अधिक होगा तो हिमांक में अवनमन भी उतना ही अधिक होगा अत: हिमांक अवनमन वाष्पदाब अवनमन के समानुपाती होता है।

△Tf ∝ △P समीकरण-1

तनु विलयनो के लिए राउल्ट के नियम से –

△P/PA0 = WB.mA/mB.WA

△P = PA0 .WB  mA/mB  Wसमीकरण-2

समीकरण-2 से △P का मान समीकरण-1 में रखने पर –

△Tf ∝ PA0 WB X mA/mB  WA

∝ का चिन्ह हटाने पर –

△Tf = k PA0 WB  mA/mB  WA

उपरोक्त समीकरण में शुद्ध विलायक का वाष्पदाब (PA0) व विलायक का मोलर द्रव्यमान (mB) स्थिर है अत: इस समीकरण में k PA0 WB X mA = K रखने पर –

△Tf = K.WB/mB  Wसमीकरण-3

समीकरण-3 में विलेय के मोल (WB/mB) = 1 मोल व विलायक का भार (WA) = 1 ग्राम रखने पर –

△Tf = K

K = अवनमन स्थिरांक

अवनमन स्थिरांक (K) : एक मोल अवाष्पशील विलेय ठोस को 1 ग्राम द्रव विलायक में घोला जाता है तो उत्पन्न हिमांक में अवनमन ही अवनमन स्थिरांक (K) के बराबर होता है।

लेकिन प्रायोगिक रूप से 1 मोल अवाष्पशील विलेय ठोस को 1 gm द्रव विलायक में घोलना कठिन होता है अत: विलायक की मात्रा WA = 1000 ग्राम लेने पर समीकरण-3 से –

△Tf = K/1000 = Kf

Kf = मोलर अवनमन स्थिरांक