वर्ग कॉन्ड्रिक्थीज : उपास्थिल मछलियाँ (class chondrichthyes in hindi : the cartilaginous fishes) :
सामान्य लक्षण :
- अधिकतर समुद्री तथा परपक्षी।
- इनका शरीर तर्कुरूप अथवा तकुआकार होता है।
- मीनपक्ष अथवा पंख मीडियन तथा युग्मित , दोनों प्रकार के। सभी पंख अरो द्वारा अवलम्बित। नर में श्रोणि पंख आलिंगक सहित होते है। पुच्छ विषमपालि होती है।
- त्वचा चिमड़ अथवा कठोर , जिसमे सूक्ष्म पट्टाभ शल्क और श्लेष्मा ग्रंथियां होती है।
- अंत:कंकाल पूर्णतया उपास्थिल , बिना वास्तविक अस्थि के। पृष्ठ रज्जु दीर्घस्थायी। कशेरुकियें पूर्ण और पृथक होती है। अंस मेखला और श्रोणी मेखला दोनों उपस्थित होती है।
- मुख अधरीय। जबड़े मौजूद होते है। दन्त रूपांतरित प्लैकोइड शल्क होते है। आमाशय J आकार का होता है। आंत्र सर्पिल कपाट सहित होती है।
- श्वसन 5 से 7 जोड़ी क्लोमो द्वारा होता है। क्लोम रंध्र पृथक और अनावरित। प्रच्छद , वायु आशय और फुफ्फुस अनुपस्थित।
- ह्रदय द्विकक्षीय (एक आलिन्द और एक निलय) , शिरा कोटर और धमनी शंकु उपस्थित। वृक्क और यकृत निवाहिका तंत्र , दोनों ही उपस्थित। ताप परिवर्तनशील अर्थात असमतापी।
- वृक्क उत्तर वृक्क। उत्सर्जन यूरिया उत्सर्गी। अवस्कर उपस्थित।
- मस्तिष्क वृहत घ्राण पिंड और अनु मस्तिष्क युक्त। कपाल तंत्रिकाएं 10 जोड़ी होती है।
- घ्राण पिंड ग्रसनी में नहीं खुलते है। कला गहन 3 अर्धवृत्ताकार नलिकाओं सहित। पाशर्व रेखा तंत्र उपस्थित।
- लिंग पृथक | जनन ग्रंथियां युग्मित। जनन वाहिनियाँ अवस्कर में खुलती है। निषेचन आंतरिक। अंडप्रजक अथवा अंडजरायूज। अंडे बड़े और पीतक युक्त। विदलन अंशभंजी। परिवर्धन प्रत्यक्ष और कायान्तरण रहित।
लैम्प्रेज तथा हैगमीनों में अंतर
लक्षण | लैम्प्रेज : पेट्रोमाइजॉन | हैगमीन : मिक्साइन |
1. आवास | समुद्री , साथ ही ताजा जल | केवल समुद्री , रेत में बिलकारी |
2. परजीविता | बाह्य परजीवी अथवा अपरजीवी जातियाँ | आंतरिक परजीवी की भाँती व्यवहार करते है |
3. अशन | पोषी मछलियों की मांस रेतना तथा रुधिर चुसना | प्राथमिकतया अपमार्जक , मृत अथवा रोगग्रस्त मछली में मांस भक्षण के लिए बिलकारी | |
4. प्रजनन | समुद्रापगामी अर्थात अंडजनन के लिए ताजे जल की नदियों , धाराओं में आरोहण | | सागर की तली पर अंडजनन करते है | |
5. गाँठ लगाना | गाँठ लगाने की क्रिया नहीं पाई जाती है | | एक गाँठ बनाकर दबाव के साथ निकल जाता है | |
6. शरीर | सुदृढ़ | निर्बल |
7. परिमाण | जातियां एक मीटर तक लम्बी हो जाती है | | एक मीटर से कम रह जाती है | |
8. पंख | भलीभांति विकसित होते है , पृष्ठ पंख खांचदार | | कम विकसित होते है , पृष्ठ पंख एक अथवा अनुपस्थित होते है | |
9. त्वचा | कम लसलसी होती है | | अत्यधिक लसलसी त्वचा होती है | |
10. नासारंध्र | सिर पर ऊँचा | अन्तस्थ |
11. युग्मित नेत्र | बड़े तथा कार्यात्मक | अपहासित , मोटी त्वचा द्वारा ढके हुए होते है | |
12. पीनियल नेत्र | उपस्थित | अनुपस्थित |
13. मुख | प्रतिपृष्ठ | अन्तस्थ |
14. मुखकीप | उपस्थित | अनुपस्थित |
15. संवेदी मुख स्पर्शक | नहीं होते है | | 3 अथवा 4 जोड़े होते है | |
16. जिव्हा | बड़े दाँतो सहित कम विकसित होते है | | छोटे दाँतो सहित बहुत विकसित | |
17. लार ग्रन्थियाँ | उपस्थित , एक प्रतिस्कन्दक स्त्रावित करती है | | अनुपस्थित |
18. ग्रसनी | श्वसन नली के रूप में सिरे पर बंद होती है | | इसोफेगस में मिलती है | |
19. क्लोम कोष्ठ | सात जोड़े | मिक्साइन में 6 जोड़े , एप्टाट्रीटस में 15 जोड़े |
20. क्लोम छिद्र | 7 जोड़े | मिक्साइन में एक जोड़ा , एप्टाट्रीटस में पंद्रह जोड़े |
21. आंत्र | सर्पिल वलन अथवा टिफ्लोसोल सहित | अनुदैधर्य वलनों से युक्त |
22. क्लोम क्षेत्र तथा कंडी | बड़ी तथा भलीभांति विकसित | छोटी तथा कम विकसित |
23. करोटि | अपूर्ण छतयुक्त | बिना छत की |
24. तंत्रिका चापे | वर्तमान | अनुपस्थित |
25. उपास्थिल मुख वलय | वर्तमान | अनुपस्थित |
26. जिव्हा उपास्थि | कम विकसित | भली भाँती विकसित |
27. ह्रदयावरणीय कोश | मोटी भित्ति युक्त , उपास्थि द्वारा सधा | पतली भित्तियुक्त , उपास्थि द्वारा नहीं सधा |
28. कुविए की वाहिनी | दाहिनी ओर की एकमात्र | दोनों ओर की दो |
29. महाधमनी चापे | संलग्न क्लोम कोष्ठों के अर्द्धक्लोमो की आपूर्ति | उसी क्लोम कोष्ठ के अर्द्धक्लोमो की आपूर्ति |
30. वृक्क | विकसित मध्यवृक्क | आद्य प्राकवृक्क , साथ ही साथ मध्य वृक्क |
31. मस्तिष्क | अधिक विकसित होता है | | इनमे कम विकसित होता है | |
32. कपाल तंत्रिकाये | 10 जोड़े वर्तमान | 8 जोड़े वर्तमान |
33. रीढ़ तंत्रिका मूल | पृष्ठ तथा प्रतिपृष्ठ मूल पृथक | मुलें संयुक्त |
34. नासाहाइपोफिसी वाहिनी | सिरे पर बंद होकर समाप्त होती है | | फेरिंक्स में खुलती है | |
35. अर्द्धवृत्ताकार नलिकाएं | दो | अकेली |
36. जनन मूत्र कोटर | वर्तमान | नहीं होता है |
37. लिंग | पृथक | संयुक्त , जनद उभयलिंगी | |
38. अंडे | छोटे , अनावृत , बिना खोल के | बड़े , एक श्रृंगी कवच में बंद |
39. खंडीभवन | पूर्णभंजी | अंशभंजी |
40. परिवर्धन | एम्मोसीट डिम्भक और कायांतरण सहित अप्रत्यक्ष | बिना डिम्भक तथा कायांतरण के प्रत्यक्ष |
वर्गीकरण :-
वर्ग कॉन्ड्रिक्थीज (chondros = उपास्थि , + ichthys = मछली ) को एलास्मोब्रैंकिआई (elasmos = पट्ट , + branchnia = क्लोम) भी कहते है। इसमें शार्क , विकिरण , स्केट्स और काइमिरा सम्मिलित है। शुल्ज के अनुसार उपास्थिल मछलियों की लगभग 600 जातियाँ जीवित है। यहाँ पर दिया गया वर्गीकरण स्टोरर और युसिंजर के वर्गीकरण पर आधारित है।
उपवर्ग I. सिलैकिआई :- (selachos = एक शार्क)
- शरीर के प्रत्येक पाशर्व में अनेक क्लोम रंध्र जो पृथक त्वचीय फ्लैपो द्वारा सुरक्षित रहते है।
- प्रत्येक नेत्र के पीछे एक श्वास रंध्र।
- अवस्कर उपस्थित।
गण 1. स्क्वैलिफॉरमीज अथवा प्लूरोट्रिमैटा :- (pleuro = पाशर्व + trema = छिद्र)
- शरीर प्रारूपिक रूप से तर्कुआकार।
- 5 से 7 जोड़ी पाशर्वीय क्लोम रंध्र छोटे।
- अंस पंख साधारण , आधार पर संकीर्णित।
- पूछ विषमपाली
उदाहरण : वास्तविक शार्क। लगभग 250 जीवित जातियां।
डॉगफिश : स्कोलिओडॉन , काइलोसाइलियम , मस्टिलस , कारकैरीनस आदि। कंटकयुक्त डॉगफिश स्क्वैलस , 7 क्लोमो युक्त शार्क हैप्टैन्कस , जेबरा शार्क स्टिगोस्टोमा , हैमर हैडेड स्फिरना , व्हेल शार्क राइनियोडॉन।
गण 2. राजीफॉरमीज अथवा हाइपोट्रिमेटा
(हाइपो = निचे + ट्रेमा = छिद्र)
- शरीर अवनमित अथवा पृष्ठाधरीय चपटा।
- क्लोम रंध्र अधरिय , 5 जोड़े।
- अंस पंख बड़े , सिर और धड के पाशर्वो के साथ जुड़े।
- श्वास रंध्र बड़े और अत्यंत सक्रीय।
- उदाहरण : स्केट्स और रे। लगभग 300 जातियाँ। स्केट अथवा राजा , स्टिंग रे अथवा ट्राईगोन , इलेक्ट्रिक रे अथवा टोरपीडो , ईगल रे अथवा माइलिओबेटिस , गिटार फिश अथवा राइनोबेटस , सोफिश अथवा प्रिस्टिस।
उपवर्ग II. होलोसिफैलाई :- (holos = समस्त + kephale = शीर्ष)
- प्रत्येक पाशर्व पर मांसल प्रच्छद द्वारा ढका एक क्लोम रंध्र होता है।
- श्वास रन्ध्र , अवस्कर और शल्क अनुपस्थित।
- हनु अथवा जबड़े दन्त पट्टिकाओ सहित।
- नासाछिद्र केवल एक होता है।
- पाशर्व रेखा तंत्र खुली दरारों युक्त होता है।
उदाहरण : रेट फिश अथवा काइमिराज। लगभग 25 जातियां। हाइड्रोलेगस अथवा काइमिरा।