(calyx in hindi in plants) बाह्यदलपुंज क्या है बाह्यदलपुंज किसे कहते है , परिभाषा अर्थ मीनिंग इन हिन्दी ?
पुष्प (flower)
पुष्प (flower) : पौधे का रूपान्तरित प्ररोह जो वस्तुतः पौधे में प्रजनन के लिए बना होता है |
सहपत्र (bract) : पुष्प के आधारीय भाग पर पायी जाने वाली एक रूपांतरित प्राय: लघुकृत पत्ती के समान संरचना |
परिचक्रक सहपत्र (Involucral bract) : पुष्पछत्र के आधार पर उपस्थित सहपत्र |
सहपत्रिका चक्र (Involucel) : अन्यत्र पुष्पछत्रिका के आधार पर उपस्थित सहपत्र |
सहपत्रिकायुक्त (Bracteolate) : वह पुष्प जिसके साथ सहपत्रिका (सहपत्र जैसी संरचना जो द्वितीयक अक्ष अर्थात पुष्पवृंत से विकसित होती है ) हो जैसे – ऐढाटोडा |
असहपत्री अथवा सहपत्रहीन (Ebracteate) : वह पुष्प जिसके साथ सहपत्र नहीं हो , जैसे – सरसों |
सहपत्री (Bracteate) : वह पुष्प जिसके साथ सहपत्र हो , जैसे – ऐढाटोडा |
अवृन्त (Sessile) : ऐसा पुष्प जिसमें वृंत अथवा डंठल का अभाव हो , जैसे – ऐढाटोडा |
सवृन्त (Pedicellate) : जब पुष्प के साथ वृन्त हो , जैसे – गुड़हल |
पर्ण (complete) : ऐसा पुष्प जिसमें पुष्प के चारों भाग अथवा चक्र जैसे बाह्यदल , दलपुंज , पुमंग और जायांग उपस्थित हो , जैसे – मकोय |
अपूर्ण (Incomplete) : ऐसा पुष्प जिसमें पुष्प के चारों भागों में से कोई एक अथवा एक से अधिक भाग अनुपस्थित होते है , जैसे – युफोर्बिया |
त्रिज्या सममित (Actinomorphic) : वह पुष्प जिसके प्रत्येक चक्र के सदस्य परस्पर समान आकार के होते है तथा पुष्प को एक से अधिक लम्बवत तलों में दो समान भागों में बाँटा जा सकता है , जैसे – डायेंथस और आइपोमिया |
एकव्याससममित (Zygomorphic) : ऐसा पुष्प जिसके कुछ चक्रों या सभी चक्रो के सदस्य असमान हो , इसे अनियमित भी कहते है | ऐसे पुष्पों को केवल एक लम्बवत तल से ही दो समान भागों में बाँटा जा सकता है , जैसे – मटर |
नर अथवा पुंकेसरी : ऐसा एकलिंगी पुष्प जिसमें केवल पुंकेसर उपस्थित हो , जैसे मक्का |
मादा अथवा स्त्रीकेसरी (Female or pistillate) : ऐसा एकलिंगी पुष्प जिसमें केवल स्त्रीकेसर उपस्थित हो , जैसे – मक्का |
द्विलिंगी अथवा उभयलिंगी (Bisexual or hermaphrodite) : जब पुष्प में पुमंग और जायांग दोनों ही उपस्थित हो , जैसे – गुडहल |
नपुसंक (Neuter) : जब पुष्प में पुमंग और जायांग अप्रकार्यक अथवा अकार्यक्षम हो अथवा अनुपस्थित हो जैसे – सूरजमुखी के रश्मि पुष्पक |
मध्यक एकव्यास सममित (Medianly zygomorphic) : जब पुष्प को केवल मध्य काट (अग्र से पश्चतल ) से दो समान भागों में बाँटा जा सकता है , जैसे – मटर और तुलसी |
पाशर्व एकव्यास सममित (Laterally zygomorphic) : जब पुष्प को केवल पाशर्वक काट से दो समान भागों में बाँटा जा सकता है , जैसे – फ्यूमेरिया |
चक्रिक (cyclic) : जब पुष्प के विभिन्न भाग पुष्पासन पर चक्र में उपस्थित हो |
सर्पिल (spiral) : जब पुष्प की विभिन्न भ्रमियाँ अथवा भाग पुष्पासन पर सर्पिलाकार रूप से व्यवस्थित हो , जैसे – रेननकुलस |
द्विभागी अथवा द्वितयी (Dimerous) : जब पुष्प के प्रत्येक चक्र मुख्यतः बाह्यदल और दलपुंज में 2 अथवा 2 के गुणनफल में संख्या हो | जैसे – अफीम |
त्रितयी अथवा त्रिभागी (Trimerous) : जब पुष्प के प्रत्येक चक्र मुख्यतः बाह्यदल और दलपुंज में सदस्य संख्या तीन अथवा इनके गुणनफल में हो | जैसे – एकबीजपत्री पुष्प |
चतुष्तयी अथवा चतुर्भागी (Tetramerous) : जब पुष्प के प्रत्येक चक्र में मुख्यतः बाह्यदल और दलपुंज में सदस्यों की संख्या 4 अथवा इसके गुणनफल में रहती है (द्विबीजपत्री पुष्प) जैसे – सरसों |
पंचतयी अथवा पंचभांगी (Pentamerous) : जब पुष्प के प्रत्येक चक्र और मुख्यतः बाह्यदल और दलपुंज में सदस्यों की संख्या 5 अथवा इसके गुणनफल में होती है जैसे – द्विबीजपत्री पुष्प |
पुष्प के अंगों की पुष्पासन पर स्थिति (Position of floral parts on thalamus) :
अधोजायांगी अथवा जायांगधार (Hypogynous) : ऐसा पुष्प जिसमें अंडाशय उच्चवर्ती अथवा उधर्ववर्ती हो और पुष्प के अन्य भाग अंडाशय के नीचे उपस्थित हो , जैसे – निम्बू |
परिजायांगी (perigynous) : ऐसे पुष्प में पुष्पासन अवतल अथवा प्यालेनुमा होता है |
जिसके किनारों पर पुमंग (A) दलपुंज (C) और बाह्यदलपुंज (K) लगे होते है जबकि जायांग (G) प्याले के भीतर मध्य भाग में होती है परन्तु पुष्पासन से संयुक्त नहीं होती | ऐसी स्थिति में अंडाशय को अर्द्ध अधोवर्ती अथवा अर्द्ध उच्चवर्ती कहते है , जैसे – मटर |
उपरिजायांगी अथवा जायांगोपरिक (Epigynous) : जब पुष्पासन K , C , A और G की स्थिति परिजायांगी पुष्प की भाँती होती है परन्तु जायांग (अंडाशय) पुष्पासन की (प्याले की) भीतरी भित्ति से संयुक्त होती है | ऐसी स्थिति में अंडाशय अधोवर्ती होता है , जैसे – सूरजमुखी |
बाह्यदलपुंज (Calyx)
अनुबाह्य दलपुंज (epicalyx ; epik) – जब बाह्यदलपुंज के नीचे 3 अथवा अधिक सहपत्रिकाएँ चक्र के रूप में उपस्थित हो , जैसे – गुड़हल |
बाह्यदलपुंज (Calyx ; K) : बाह्यदल पत्रों द्वारा गठित पुष्प के भागों का सबसे बाहरी चक्र |
पृथक बाह्यदलीय (Polysepalous) : जब बाह्यदल परस्पर स्वतंत्र हो |
संयुक्त बाह्यदलीय (Gamosepalous) : जब बाह्यदल परस्पर संयुक्त हो |
आशुपाती (Caducous) : जब बाह्यदल पुष्प की कलिकावस्था में तो रहते है पर जैसे ही पुष्प खिलता है तो झड़ जाते है , जैसे – आरजीमोन अथवा पीली कटेली में |
पर्णपाती (Deciduous) : जब बाह्यदल पुष्प के निषेचन के पश्चात् झड़ते है जैसे – अधिकांश पुष्पों में |
चिरलग्न अथवा चिरस्थायी (persistent) : जब पुष्प में निषेचन के बाद भी बाह्यदल झड़ते नहीं है , अपितु फल के साथ भी लगे रहते है , जैसे – टमाटर में |
आपातजीर्णी (macrescent) : जब चिरलग्न बाह्यदल माँसल हो जाते है , जैसे – बैंगन |
अभिवर्धित (Accrescent) : जब चिरलग्न बाह्यदल सूखे और झिल्लीनुमा हो जाते है , जैसे – असगंध में |