ब्रूस्टर ने अपने नियम में बताया कि परावर्तित प्रकाश में ध्रुवित प्रकाश की मात्रा , आपतन कोण पर निर्भर करता है अर्थात ध्रुवित प्रकाश की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि डाला गया प्रकाश किस कोण पर आपतित किया गया है।
ब्रूस्टर के नियम के अनुसार एक कोण ऐसा होता है जिस पर परावर्तित प्रकाश पूर्णतया समतल ध्रुवित होता है , एक विशेष कोण पर प्रकाश के कम्पन्न आपतन तल के लम्बवत होते है इसे ध्रुवण कोण कहते है। ध्रुवण कोण को ब्रूस्टर कोण भी कहते है।
ब्रूस्टर ने प्रयोगों के आधार पर एक निष्कर्ष निकाला और बताया कि पारदर्शी माध्यम के अपवर्तनांक का मान ध्रुवण कोण के टेंजेंट (स्पर्शरेखा) के बराबर होता है इसे सूत्र के रूप में निम्न प्रकार लिखा जा सकता है –
अत: ब्रूस्टर के नियम के अनुसार –
μ = tan(i)
यहाँ μ = पारदर्शी माध्यम का अपवर्तनांक
i = ध्रुवण कोण
स्नेल का नियम हमने पढ़ा था जिसके अनुसार अपवर्तनांक और कोण में निम्न सम्बन्ध होता है –
ब्रूस्टर और स्नेल के नियमों की तुलना करने पर –
समीकरण 1 और समीकरण 2 की तुलना करने पर –