(breakdown of pn junction diode in hindi) जेनर भंजन , ऐवेलांश भंजन क्या है , परिभाषा , pn संधि डायोड का भंजन : जैसा की हम जानते है कि जब किसी pn संधि को उत्क्रम अभिनति में रखा जाता है तो इसमें धारा का प्रवाह बहुत कम होता है , उत्क्रम अभिनति के दौरान धारा का प्रवाह अल्पसंख्यक आवेशों के कारण होता है जिसका मान बहुत कम होता है , उत्क्रम बायस में बाह्य वोल्टेज बढ़ाने पर भी धारा का प्रवाह बहुत कम होता है अर्थात उत्क्रम बायस में धारा का मान बाह्य वोल्टेज के मान पर भी निर्भर नहीं करता है या बहुत कम प्रभावी रहता है।
लेकिन जब बाह्य वोल्टेज को बढ़ाते जाए तो वोल्टेज के बहुत अधिक मान पर ऐसा देखा जाता है कि धारा में बहुत अधिक वृद्धि हो जाती है , इसके बाद यदि बाह्य वोल्टेज का मान थोडा भी बढाया जाए तो भी धारा का मान बहुत अधिक बढ़ जाता है।
वोल्टेज के जिस मान पर यह स्थिति आती है उसे क्रांतिक वोल्टेज कहते है , क्रांतिक वोल्टेज के बाद यदि बाह्य वोल्टेज को थोडा सा भी बढाया जाए तो इसमें प्रवाहित धारा का मान बहुत अधिक बढ़ जाता है।
डायोड की इस स्थिति में डायोड को भंजक अवस्था में कहा जाता है।
डायोड की भंजन अवस्था दो प्रकार की हो सकती है –
1. जेनर भंजन (zener breakdown)
2. ऐवेलांश भंजन (avalanche breakdown)
डायोड की इन दोनों भंजक अवस्थाओं के बारे में हम विस्तार से अध्ययन करते है –
1. जेनर भंजन (zener breakdown)
जब किसी pn संधि पर उच्च उत्क्रम वोल्टेज आरोपित की जाती है तो इसके द्वारा बनाया गया
विद्युत क्षेत्र अर्थात बाह्य विद्युत क्षेत्र इतना प्रबल हो जाता है कि यह सहसंयोजक बंधों को तोड़कर अर्थात खींचकर कोटर और
इलेक्ट्रॉन को संयोजी बैण्ड से
चालन ऊर्जा बैण्ड में ले आता है जिससे चालक बैंड में मुक्त आवेश अधिकता में हो जाते है जो धारा उत्पन्न करते है इससे उत्क्रम बायस में pn संधि पर एकाएक धारा बढ़ जाती है इसे जेनर भंजन कहते है।
जेनर भंजन लगभग 10 वोल्टेज पर संपन्न होता है , यह उन्ही pn संधियों में होता है जो बहुत अधिक अपमिश्रित हो , अधिक अपमिश्रण के कारण इनमें अवक्षय परत की मोटाई बहुत कम होती है , जब pn संधि का
ताप का मान बढाया जाता है तो जेनर भंजन वोल्टेज का मान घटता जाता है।
2. ऐवेलांश भंजन (avalanche breakdown)
यह भंजन डायोड में अपेक्षाकृत अधिक उत्क्रम वोल्टेज पर होता है , जैसा कि हम जानते है कि उत्क्रम बायस में धारा का प्रवाह अल्पसंख्यक आवेशों के कारण होता है , जब उत्क्रम बायस (
पश्च बायस) में वोल्टेज का मान बहुत अधिक बढ़ा दिया जाता है (10 से 1000 वोल्ट) तो अल्पसंख्यक आवेशों की
गति तेज होगी अर्थात उनकी गतिज ऊर्जा बहुत अधिक हो जाएगी जिससे ये गतिशील अल्पसंख्यक
आवेश , स्थिर आवेशों से टकराते है जो सहसंयोजक बंधों द्वारा जुड़े हुए है , इन गतिशील अल्पसंख्यक आवेशों की गति बहुत अधिक होती है जिससे ये टक्कर के कारण स्थिर आवेशों के
सहसंयोजक बंध टूट जाते है और वे मुक्त हो जाते है जिससे डायोड में धारा का मान एकाएक बढ़ जाता है , इसे ऐवेलांश भंजन कहते है।
यह भंजन उन pn संधियों में होता है जो अल्प अपमिश्रित होती है तथा pn संधि का ताप बढ़ने पर ऐवेलांश भंजक वोल्टेज का मान भी बढ़ता जाता है।