JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: BiologyBiology

ब्रैन्किओस्टोमा या एम्फिऑक्सस : लान्सिलेट (branchiostoma or amphioxus : The Lancelet in hindi)

(branchiostoma or amphioxus : The Lancelet meaning in hindi) ब्रैन्किओस्टोमा या एम्फिऑक्सस : लान्सिलेट :

सिफैलोकॉर्डेटा उपसंघ के सदस्य छोटे , समुद्री एवं ऊपरी तौर पर मछली जैसे कॉर्डेट्स है। इनका विशेष महत्व है क्योंकि उनमें जीवनपर्यन्त एवं सरल अवस्था में तीनों विशिष्ट अथवा प्राथमिक कॉर्डेट लक्षण जैसे नोटोकॉर्ड , पृष्ठ नलिकाकार तंत्रिका रज्जु एवं ग्रसनीय क्लोम छिद्र पाए जाते है। इस प्रकार वे सरल आद्य कॉर्डेट दशा को प्रदर्शित करते है एवं कॉर्डेटा संघ के विस्तृत प्ररूप अथवा ब्लू प्रिंट माने जाते है।

प्रोटोकॉर्डेटा का सर्वोत्तम ज्ञात उदाहरण एवं सिफैलोकॉर्डेटा का प्ररूप जिसका सर्वाधिक विस्तारपूर्वक अध्ययन हुआ है , वह ब्रैंकिओस्टोमा अथवा एम्फिऑक्सस है। इसे सामान्यतया दुरुखी छुरी अथवा लान्सिलेट या तीक्ष्णदन्त अथवा लान्सिट कहते है। इसका सर्वप्रथम वर्णन 1778 में जर्मन वैज्ञानिक पैलास ने किया। उसने इसे एक स्लग (संघ मोलस्का) समझा एवं इसका नाम लाइमेक्स लेंसिओलेटस रखा। कौंस्टा नामक इतालवी वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम इसकी कॉर्डेट प्रकृति को पहचाना एवं इसका वर्णन ब्रैंकिओस्टोमा लेंसिओलेटम के रूप में किया। दो वर्ष उपरान्त यैरेल ने इसका नामकरण एम्फिऑक्सस लेंसिओलेटस के रूप में किया।

वर्गीकरण (classification)

संघ – कॉर्डेटा
समूह – ऐक्रैनिया
उपसंघ – सिफैलोकॉर्डेटा
वर्ग – लेप्टोकार्डी
कुल – ब्रैंकिओस्टोमिडी
प्ररूप – ब्रैंकिओस्टोमा अथवा एम्फिऑक्सस लान्सिलेट

नामों की व्युत्पत्ति (derivation of names)

उपसंघ सिफैलोकॉर्डेटा (kephale = head सिर chorde = cord रज्जु) का नाम इस आधार पर रखा गया है कि इनमें नोटोकॉर्ड तुंड में आगे तथाकथित मस्तिष्क से भी परे निकला रहता है .यह लक्षण (मस्तिष्क से आगे निकला नोटोकॉर्ड) कॉर्डेट्स में अन्य कहीं भी नहीं मिलता .चूँकि उनमें करोटि (खोपड़ी) का अभाव होता है , इसलिए सिफैलोकॉर्डेट्स को ऐक्रैनिया (a = absent अनुपस्थित + kranion = skull करोटि) भी कहते है। इसका पुराना वंश नाम एम्फिऑक्सस (amphi = double उभय + oxys = sharp तीव्र) एवं सामान्य नाम “लान्सिलेट अथवा लान्सिट” शरीर के दोनों सिरों को निर्दिष्ट करता है जो तेज , नोकदार एवं भाले के समान होते है। लेकिन अग्रता नियम के अनुसार सही वंश नाम ब्रैंकिओस्टोमा है।
एम्फिऑक्सस नाम साधारणतया सिफैलोकॉर्डेट्स के सामान्य नाम की भाँती प्रयोग होता है। जो भी हो एम्फिऑक्सस नाम अधिक प्रसिद्ध एवं जन्तु वैज्ञानिकों का चिरपरिचित है जिसे वे अब भी ब्रैंकिओस्टोमा के पर्यायवाची के रूप में प्रयोग करते है।

भौगोलिक वितरण (geographical distribution)

ब्रैंकिओस्टोमा की लगभग 9 जातियाँ सार्वभौमिक है एवं संसार के विभिन्न महासागरों में पाई जाती है। यह गरम समुद्रो जैसे भूमध्यसागर में , अधिक उपलब्ध है एवं विशेषतया चीन एवं जापान के तटों के पास प्रचुरता से होता है जहाँ यह भोजन की तरह बिकता है। भारतीय समुद्र तटों पर उपलब्ध सामान्य जातियां ब्रैंकिओस्टोमा इंडिकम , ब्रैंकिओस्टोमा  पेलैजिकम और ब्रैंकिओस्टोमा सेरिबियम है।
निम्नलिखित वर्णन सर्वाधिक ज्ञात स्पीशीज ब्रैंकिओस्टोमा लेंसिओलेटम पर आधारित है।

स्वभाव और आवास (habits and habitat)

ब्रैंकिओस्टोमा साधारणतया छिछले पानी में , विशेषकर रेतीले तटों पर खारे अथवा नमकीन जल में पाया जाने वाला सागरीय जन्तु है। यह दोहरी जीवन पद्धति अपनाता है। अधिकांशतया यह रेत में सीधी खड़ी दशा में दबा रहता है , केवल अग्र छोर रेत के ऊपर निकला हुआ होता है। लेकिन रात्रि अथवा धुंधले समय यह रेत से बाहर निकल आता है एवं पेशियों द्वारा उत्पन्न शरीर की पाशर्व तरंगित गतियों द्वारा सक्रियता से तैरता है। जल में यह उर्ध्वाधर तैरता है। विक्षुब्ध होने पर यह अपने बिल से उछलकर निकलता है , थोड़ी दूर तैरता है , सिर को निचा करके रेत में वापस धंसता है एवं अन्दर U मोड़ लेता है जिससे इसका अग्र छोर फिर रेत के ऊपर आ जाता है। ब्रैंकिओस्टोमा  एक प्ररूपी पक्ष्माभी पोषी है। यह श्वसन और खाद्य जलधारा के साथ लाये प्लवकी सूक्ष्म जीवों पर निर्वाह करता है। जल धारा इसके बाहर को निकले अग्रस्थ छोर पर स्थित मुख में निरंतर प्रवेश करती है एवं परिकोष्ठ छिद्र से बाहर निकलती है। नर एवं मादा जन्तु पृथक होते है। वे अपने युग्मक पानी में छोड़ देते है जहाँ निषेचन होता है। परिवर्धन अप्रत्यक्ष होता है जिसके अंतर्गत एक मुक्तप्लावी डिम्भकीय प्रावस्था क्रमशः वयस्क का रूप धारण करती है।

बाह्य लक्षण (external features)

1. आकार , परिणाम एवं रंग : ब्रैंकिओस्टोमा एक लम्बा , पतला एवं 5 से 8 सेंटीमीटर लम्बा मछली सदृश जन्तु है। शरीर सफ़ेद सा , कुछ अल्पपारदर्शी , पाशर्वीय संपीडित और दोनों सिरों पर नोकीला होता है अत: साधारण नाम लान्सिलेट है जिसका अर्थ है “एक लघु भाला”
धारारेखित शरीर बिल खोदने एवं तैरने के लिए भलीभांति अनुकूल होता है। पश्च छोर अग्र छोर की अपेक्षा अधिक शुंडाकार तथा नोकीला होता है।
2. शरीर का विभाजन : वास्तविक सिर अपहासित एवं अनुपस्थित होता है। शरीर केवल दो क्षेत्रों में विभक्त होता है। अपेक्षाकृत बड़ा अग्र क्षेत्र धड एवं छोटा पश्चगुदा पश्च क्षेत्र दुम है।
धड़ का अग्र छोर नोकीले प्रोथ अथवा तुंड की भाँती सामने निकला रहता है।
3. छिद्र : धड में मुख , एट्रिओपोर एवं गुदा नामक तीन छिद्र होते है। आगे की तरफ रोस्ट्रम के निचे , शरीर के पृष्ठ एवं पाशर्व प्रक्षेपों से बनी एक स्पर्शक युक्त संरचना , मुख छद होती है। इसका वर्णन बाद में पाचन तंत्र के एक भाग के रूप में किया जायेगा। मुख छद के स्वतंत्र किनारे से घिरा विशाल चौड़ा अग्राधरिय छिद्र मुख है। परिकोष्ठ छिद्र थी अधर पंख के सम्मुख स्थित एक छोटा मध्य अधर गोल छिद्र होता है। विशाल परिकोष्ठ गुहा , जो फेरिंक्स को घेरती है , परिकोष्ठ छिद्र द्वारा बाहर को खुलती है। दूसरा छोटा छिद्र , गुदा , कुछ असममितीय प्रकार से पुच्छ पख के आधार पर मध्य अधर रेखा के बाई ओर स्थित होता है। गुदा के पीछे का छोटा सा भाग दुम होता है।
4. पंख और वलन : ब्रैंकिओस्टोमा के तीन अनुदैधर्य मध्यवर्ती अथवा अयुग्मित पख (पृष्ठ , पुच्छीय एवं प्रतिपृष्ठ) होते है। पृष्ठ पंख एक निम्न (कम) मध्य पृष्ठ वलन के रूप में धड की सम्पूर्ण लम्बाई के साथ साथ होता है। यह पीछे की तरफ दुम के चारों ओर लगे एक अधिक चौड़े पुच्छ पख के साथ जुड़ा होता है। अधर पंख पुच्छ पंख से परिकोष्ठ छिद्र तक पश्च धड़ के मध्य अधर तल पर स्थित होता है। यह पृष्ठ पंख से कुछ अधिक चौड़ा होता है। पृष्ठ एवं अधर पंख भीतर से छोटे आयताकार पंख अर बक्सों की क्रमशः एक और दो पंक्तियों द्वारा सधे रहते है। प्रत्येक फिन रे बक्स एक केन्द्रीय ग्रन्थिका सहित कड़े संयोजी उत्तक द्वारा बना होता है। पुच्छ पंख में पंख अरों का अभाव होता है। पंखो एवं पंख अर बक्सों की संरचना मछलियों से भिन्न होती है।
युग्मित पंख नहीं होते है। लेकिन मुख छद से परिकोष्ठ छिद्र तक , धड़ के दो तिहाई अगले भाग के अधर पाशर्वीय किनारों के साथ साथ दो अनुदैधर्य खोखले कलामय पश्च पाशर्वक अथवा मेटाप्लुअरल वलन होते है। सम्भवतया ये अपनी गुहाओं में देह लसिका के प्रवाह से उत्पन्न स्फीति के कारण रेत में तेजी से बिल खोदने में सहायता करते है। दोनों मेटाप्लुअरल वलन एक दुसरे से देहभित्ति की एक क्षैतिज वलन अधिपाशर्वक द्वारा जुड़े होते है जो अन्दर स्थित परिकोष्ठ गुहा का फर्श बनाता है। इस प्रकार पश्चपाशर्वक वलनों के क्षेत्र वाला शरीर का अगला दो तिहाई भाग , अनुप्रस्थ काट में मोटे तौर पर त्रिभुजाकार दिखाई पड़ता है। जबकि अधर तथा पुच्छीय पंखो के क्षेत्र वाला शरीर का पिछला एक तिहाई भाग सेक्शन में लगभग अंडाकार लगता है।
5. आदिपेशीखण्ड एवं जनद : शरीर के प्रत्येक पाशर्व में ← रुपी पेशी पट्टियों की एक श्रेणी , जिन्हें आदिपेशीखण्ड अथवा पेशीखण्ड कहते है , पारदर्शी देहभित्ति में से देखे जा सकते है। मुख एवं परिकोष्ठ छिद्र के मध्य में आदिपेशीखण्डों के निचे जनदों की एक श्रेणी भी दोनों ओर देखि जा सकती है।
Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

17 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

17 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now