हमारी app डाउनलोड करे और फ्री में पढाई करे
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now
Download our app now हमारी app डाउनलोड करे

भार बढाने पर तार का व्यवहार (प्रतिबल विकृति वक्र) (behavior of wire under increasing load)

By   October 30, 2018
(behavior of wire under increasing load) भार बढाने पर तार का व्यवहार (प्रतिबल विकृति वक्र) : जब किसी स्टील या धातु के तार के एक सिरे को दृढ़ सिरे से बाँध कर दुसरे सिरे को मुक्त रख कर , मुक्त सिरे के कुछ भार लटकाते है और जब धीरे धीरे इस भार का मान बढ़ाते है तो तार में इस प्रतिबल के कारण किस प्रकार विकृति उत्पन्न होती है और यह आपस में किस प्रकार सम्बंधित रहते है इसके अध्ययन के लिए अनुदैर्ध्य प्रतिबल व अनुदैर्ध्य विकृति के मध्य एक ग्राफ खिंचा जाता है तो हमें चित्रानुसार प्राप्त होता है –

ग्राफ की व्याख्या

बिंदु O से A तक तार को प्रत्यास्थता सीमा के अन्दर माना जाता है जिससे यहाँ हुक का नियम अनुसरण होता है जिसके अनुसार प्रतिबल का मान विकृति के समानुपाती होता है और हमें बिंदु O से A तक सरल रेखा प्राप्त होती है। यहाँ बिंदु A को प्रत्यास्थता सीमा बिंदु कहा जाता है क्यूंकि इसके बाद वस्तु पर यदि और अधिक बल आरोपित किया जाए तो वस्तु अपनी मूल अवस्था में लौटकर नही आती है।
बिंदु A से A1 तक के बल को भंजक प्रतिबल कहा जाता है जिसके अनुसार यदि वस्तु को प्रत्यास्थता सीमा से परे भारित किया जाए तो विकृति तेजी से उत्पन्न होती है।
अत: बिंदु A से A1 तक तार की लम्बाई में परिवर्तन , आरोपित भार के समानुपाती नहीं होता है बल्कि उससे भी अधिक होता है यही कारण है कि यहाँ ग्राफ तेजी से परिवर्तित हो रहा है।
यहाँ ऐसा माना जाता है की A1 बिंदु कुछ प्रत्यास्थ है और कुछ सुघट्य है अर्थात यहाँ प्रतिबल हटा लेने पर वस्तु अपनी मूल अवस्था ग्रहण करने की कोशिश करती है और कुछ ग्रहण कर भी लेती है लेकिन पूर्ण रूप से अपनी मूल अवस्था में नहीं जा पाती।
बिंदु A1 से B तक आगे भी तार पर भार बढ़ाने से वस्तु प्लास्टिक क्षेत्र में चली जाती है जहाँ वस्तु से भार हटा लेने पर यह उसी अवस्था में बनी रहती है अर्थात वस्तु अपनी मूल अवस्था ग्रहण करने की कोशिश नहीं करता है अर्थात तार में स्थायी विकृति उत्पन्न हो जाती है।
बिंदु B से C तक के ग्राफ में – जब भार का मान और अधिक बढाया जाता है तो B से C में मध्य ऐसी स्थिति आती है जब यदि भार का मान कम भी किया जाए तो भी तार की लम्बाई में वृद्धि होती जाती है।
अब यदि बिंदु C के बाद भी भार का मान बढाया जाए तो तार टूट जाता है , प्रतिबल के जिस मान पर तार टूट जाता है उसे भंजक प्रतिबल कहा जाता है।