(beekeeping in hindi) मधुमक्खी पालन :
- शहद तथा मोम की प्राप्ति हेतु मधुमक्खियो का व्यावसायिक पालन मधुमक्खी पालन कहलाता है। इसे Apiculture या मोनापालन के नाम से भी जाना जाता है।
- मधुमक्खी पालन के अन्तर्गत पाली जाने वाली मधुमक्खी आर्थो पोड़ा वर्ग के Inseuta वर्ग की सदस्य है।
- मधुमक्खी के द्वारा बहुरूपिता दर्शायी जाती है अर्थात मधुमक्खी सामान्यत: तीन प्रकार की पायी जाती है जो निम्न है –
(1) रानी मक्खी (queen bee) : इस प्रकार की मधुमक्खी आकार में बड़ी मादा तथा क्रियाशील मक्खी होती है व इस मक्खी का प्रमुख कार्य अंडे उत्पादित करना होता है। यह मक्खी शहद के एक विशेष भाग Royal jelly (रॉयल जेली) का सेवन करती है।
(2) नर मक्खी / ड्रोन मक्खी : इस प्रकार की मधुमक्खी को ड्रोन के नाम से भी जाना जाती है। इस प्रकार की मधुमक्खी अनिषेचित अन्डो से निर्मित होती है।
इस प्रमुख कार्य अन्डो को निषेचित करना होता है।
(3) श्रमिक मधुमक्खी : इस प्रकार की मधुमक्खियाँ मादा होती है परन्तु आकार में छोटी होती है तथा यह बन्ध्य मक्खी होती है।
इन मक्खियों की संख्या सर्वाधिक होती है तथा इनका प्रमुख कार्य छत्ते के निर्माण से लेकर शहद का निर्माण करना होता है।
मधुमक्खी पालन मनुष्य हेतु एक विशेष लघु कुटीर उद्योग है जिसका ज्ञान मनुष्य को 4 हजार वर्ष पूर्व से है अर्थात 4 हजार वर्षो से मनुष्य मधुमक्खी पालन का कार्य संपन्न कर रहा है।
सफल मधुमक्खी पालन हेतु महत्वपूर्ण बिंदु
सफल मधुमक्खी पालन हेतु निम्न बिन्दुओ का ज्ञान होना आवश्यक है –
- मधुमक्खी की प्रकृति तथा स्वभाव का ज्ञान होना चाहिए।
- मधुमक्खी के दल को पकड़ना तथा उनको छत्ते में रखना आना चाहिए।
- मधुमक्खी के छत्तों का विभिन्न मौसमो में रखरखाव व प्रबन्धन।
- उत्पादित शहद तथा मोम का रखरखाव व एकत्रण की विधियाँ आनी चाहिए।
नोट : मधुमक्खी के द्वारा एक आदर्श सामाजिक संगठन को प्रदर्शित किया जाता है क्योंकि मधुमक्खी के एक छत्ते में तीन प्रकार की मधुमक्खियाँ एक साथ रहती है तथा इन मधुमक्खियों के अंतर्गत सुनियोजित श्रम विभाजन पाया जाता है।
मधुमक्खी की विभिन्न प्रमुख जातियाँ
मधुमक्खी की कुछ प्रमुख प्रजातियाँ निम्न प्रकार से है –
(1) Apisdorseta या Rockbee / सारंग मक्खी :मधुमक्खी की यह प्रजाति Rockbee या सारंग मक्खी के नाम से जानी जाती है।
यह मधुमक्खी आकार में बड़ी होती है तथा प्रति छत्ते इसके द्वारा सर्वाधिक मात्रा में शहद उत्पन्न किया जाता है परन्तु इसकी प्रकृति गुस्सेल तथा प्रवासी होने के कारण इसे पालना संभव नहीं है।
(2) Apis indica : मधुमक्खी की यह प्रजाति indian mona bee या मोना मक्खी के नाम से जानी जाती है।
यह मक्खी सामान्यतया आकार में सारंग मक्खी से छोटी तथा शांत स्वभाव की होती है अत: इस मक्खी को पालना आसान है।
यह मक्खी प्रति छत्ते 3 से 4 किलोग्राम शहद उत्पन्न करती है।
(3) Apis florea : इसे भृंगा मक्खी के नाम से जाना जाता है।
यह मक्खी आकार में छोटी तथा अत्यंत डरपोक होती है तथा इसकी प्रकृति शांत होती है परन्तु प्रति छत्ते इसके द्वारा केवल 250 ग्राम शहद उत्पन्न किया जाता है अत: इसे व्यावसायिक दृष्टि से उपयोगी नहीं माना जाता है।
(4) Apis malifera : इसे Europpen मक्खी के नाम से जाना जाता है।
यह मक्खी शान्त स्वभाव की होती है तथा इसे पालना अत्यन्त आसान होता है।
इसके द्वारा सामान्यत: मोना मक्खी की अपेक्षा 9 से 10 गुना अधिक शहद उत्पन्न किया जाता है।
इस मक्खी की इटालियन प्रजाति सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रजाति है।
शहद प्राप्त करने की अनेक विधियाँ
शहद प्राप्त करने हेतु निम्न विधियो को उपयोग किया जाता है –
(1) पुरानी देशी विधि (old indigenous method) : मधुमक्खी पालन के अंतर्गत शहद प्राप्त करने की यह पारंपरिक विधि है। इस विधि के अन्तर्गत निर्मित मधुमक्खी के छत्ते के चारों ओर मनुष्य के द्वारा धुआं उत्पन्न की जाती है जिसकी घुटन के फलस्वरूप अधिकतम मधुमक्खीयां छत्ते से पलायन कर जाती है तथा शेष बची मधुमक्खियो को मनुष्य के द्वारा मार दिया जाता है।
मधुमक्खियों को छत्ते से पृथक करने के बाद छत्ते को निचोड़ कर शहद प्राप्त किया जाता है परन्तु इस विधि से प्राप्त शहद शुद्ध नहीं होता है क्योंकि शहद में शहद के साथ मोम मधुमक्खी के अंडे तथा बच्चो के अवशेष मिश्रित पाए जाते है , इसके अतिरिक्त इस विधि के कारण मधुमक्खी का छत्ता पूर्णत: नष्ट हो जाता है अत: वर्तमान समय में मधु या शहद प्राप्त करने हेतु इस विधि का उपयोग नहीं किया जाता है।
(2) नवीन वैज्ञानिक विधि (new scientific method) : मधुमक्खी छत्तों से शहद प्राप्त करने की यह आधुनिक वैज्ञानिक विधि है जिसकी सहायता से अधिक मात्रा में शहद प्राप्त किया जा सकता है तथा प्राप्त किया जाने वाला शहद स्वच्छ तथा शुद्ध होता है। इसके अतिरिक्त मधुमक्खी के छत्ते पुनः उपयोग किये जा सकते है।
नोट : वर्तमान समय में मधुमक्खी पालन ने आधुनिक व्यवसायी रूप ले लिया है तथा इसे आजकल एक उद्योग के रूप में उपयोग किया जा रहा है जिसके फलस्वरूप लाखो लोगो को रोजगार प्राप्त हो रहा है।
मधुमक्खी पालन में उपयोग किये जाने वाले उपकरण
मधुमक्खी पालन के अंतर्गत अपनाई जानेव वाली सावधानियाँ
- मधु पेटिकाओं को ऐसे स्थान पर रखा जाना चाहिए जहाँ से पुष्प अथवा फल युक्त पादपो की दूरी आधा मील से अधिक न हो।
- मधुपेटिकाओं को उपयुक्त ठन्डे तथा छायादार स्थान पर रखा जाना चाहिए।
- ताजे पानी का स्रोत निकट दूरी पर ही होना चाहिए।
मधुमक्खी पालन के अंतर्गत अपनायी जाने वाली आधुनिक विधि का लाभ
- इस विधि की सहायता से मधुमक्खियो के क्रियाकलाप पर नजर रखी जा सकती है।
- प्राकृतिक भोजन उपलब्ध न होने पर कृत्रिम भोजन देकर एक निवह का निर्माण किया जा सकता है।
- प्रतिकूल मौसम होने पर मधुमक्खियों के कृत्रिम छत्तों को एक उचित सुरक्षित स्थान पर रखा जा सकता है।
- इस विधि के उपयोग के परिणाम स्वरूप शत्रुओ का खतरा होने पर मधु पेटिकाओं की सुरक्षा की जा सकती है।
- इस विधि के अंतर्गत एक छत्ते का उपयोग बार बार किया जा सकता है जिसके कारण मधुमक्खियो के द्वारा सामान्यतया शहद के निर्माण में सर्वाधिक ध्यान दिया जाता है जिसके फलस्वरूप उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।