attenuation in hindi , एटीन्यूएशन किसे कहते हैं

एटीन्यूएशन किसे कहते हैं attenuation in hindi ?

यूकेरियोटिक अनुलेखन न्यूक्लियस में होकर कोशिकाद्रव्य में अनुदित होता है । m-आरएनए दीर्घजीवी होता है। अनुलेखन पूर्व m-आरएनएज आरएनए पॉलीमेरेज अर्थात आरएनए पॉलिमरेज II द्वारा संवर्धित होता है। यह हमेशा एकमात्र प्रोटीन कोड करता है। आरएनए न्यूक्लिलिओटाइड में 5′ सिरे पर केप ‘cap’ तथा 3′ सिरे पर पॉली पुच्छ द्वारा रूपान्तरित होते हैं। यह इनको स्थिर करने में सहायक है यूकेरियोटिक जीन में प्रोटीन कोडित जीन एन्ट्रॉन जीन (असक्रिय के मध्य स्थित रहते हैं अतः लगातार कोडित अनुक्रम प्राप्त करने के लिय स्थित रहते हैं। पूर्व mआरएनए का इन्ट्रॉन भाग को हटाना आवश्यक होता है जिसे स्पलाइसिंग द्वारा हटाया जाता है यह यूकेरियोटिक जीन नियमन की एक आवश्यक प्रक्रिया है, जो आरएनए प्रोटीन सम्मिश्र द्वारा सम्पन्न होती है जिसे snRNPs कहते हैं। पूर्ण विकसित mRNAs तब न्यूक्लियस से राइबोसोम पर प्रोटीन के रूप में अनुदन के लिये कोशिकाद्रव्य में जाते हैं। यह सभी प्रेरित (inducable) हो सकते हैं जिससे जीन उत्परिवर्तित होता है जो सामान्य कार्य नहीं कर सकता है। यहाँ यह निष्कर्ष निकलता है कि सिस व ट्रांस दोनो स्थलों (position) पर जीन दमनकर प्रोटीन प्रसारित (diffusable ) है परन्तु O स्थल मात्र Cis position पर ही अहेतुक (constitutive) रहते हैं। Cis स्थिति में आपरेटर जीन गुणसूत्र पर रचनात्मक जीन के बराबर स्थित होने पर ही उसे प्रभावित करेगा परन्तु ट्रांस स्थिति में रेगुलेटर जीन उसी कोशिका के किसी अन्य गुणसूत्र पर स्थित होने पर भी उन जीनों को प्रभावित कर सकता है । अत: रेगूलेटर जीन के प्रभाव के लिए दमनकर का आसानी से प्रसारित (diffusable) होना अत्यन्त आवश्यक है जो प्रसारित होकर अन्य गुणसूत्र पर प्रभाव उत्पन्न कर सके जबकि आपरेटर जीन दमनकर की सक्रियता का एक मात्र स्थान है।

यूकेरियोट में जीन नियमन (Gene Regulation in Eukaryotes)

यूकेरियोट में मात्र 2-15% जीन ही अभिव्यक्ति एक समय में कर पाते हैं अतः इनमें भी जीन नियंत्र की प्रणाली मौजूद रहती है। यूकेरियोट के जीन निम्न प्रकार के होते हैं-

(i) इनमें r-RNA, 5S RNA तथा t- RNa की कई प्रतिलिपियाँ मौजुद रहती हैं ।

r-RNA का अनुलेखन आरएनए पालीमरेज (- 1) द्वारा होता है।

5S RNA तथा t-RNA का अनुलेखन आरएनए पॉलीमरेज-III द्वारा होता है। (i) जीन की एकमात्र प्रति मौजूद रहती है।

इनका अनुलेखन आरएनए पालीमरेज-II द्वारा होता है।

यूकेरियोट में आरएनए हिस्टोन व नॉन हिस्टोन प्रकार का होता है। क्रोमोटीन में डीएनए, हिस्टोन व नान-हिस्टोन भाग होते हैं। यूकेरियोट में विशिष्ट नियमन में नान हिस्टोन प्रोटीन भाग लेते हैं परन्तु हिस्टोन प्रोटीन जीन की सक्रियता का दमन करते हैं । निम्नलिखित प्रेक्षण ( observations ) द्वारा उपर्युक्त निष्कर्ष प्राप्त हुआ ।

(1) नॉन हिस्टोन प्रोटीन हिस्टोन की तुलना में तीन गुनी भिन्नता प्रदर्शित करते हैं।

(2) नॉन हिस्टोन में ऊतक विशिष्ट प्रकार के होते हैं इनके डीएनए के बन्धन भी विशेषता लिए होते हैं।

(3) इन विट्रो (In vitro) स्थिति में संवर्धन (culture) के दौरान कुछ नॉन हिस्टोन आरएनए संश्लेषण को प्रेरित करते पाए गए।

(4) कुछ विशिष्ट नॉनहिस्टोन का संश्लेषण जीन सक्रियता के प्रेरण के साथ जुड़ा होना। जीन नियमन के लिए हिस्टोन व नान हिस्टोन के मध्य एक पारस्परिक क्रिया (interaction between histones and non-histones) जिम्मेदार होती है जिसमें हिस्टोन प्रोटीन अवशिष्ट (non-specific) रूप से प्रोटीन संश्लेषण को रोकती है तथा नॉन हिस्टोन द्वारा विशिष्ट रूप से आरएनए संश्लेषण में प्रेरित होता है।

यूकेरियोट के मॉडल अध्ययन करते समय निम्न बातों का ज्ञान आवश्यक है जिनके आधार पर मॉडल बनाया गया है-

(I) डीएनए केन्द्रक में होने पर भी प्रोटीन संश्लेषण कोशिका द्रव्य में सम्पन्न होता है।

(2) डीएनए का प्रमुख भाग सीमित न्यूक्लियोटाइड अनुक्रमों की अनेक प्रतियों द्वारा निर्मित होता है । पुनरावती डीएनए (repetitive DNA) वह कहलाता है। इसमें सक्रिय जीनों की अनुपस्थिति मानी गयी है। ऐसा डीएनए जीन नियमन का कार्य करता है ।

ब्रिटन-डेविडसन का यूकेरियोट जीन नियमन मॉडल (Britten-Davidson model for regulation of gene in Eurkaryotes)

इसे ब्रिटन डेविडसन जीन मॉडल के नाम से जाना जाता है। यह मॉडल 1973 में वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत, किया गया।

इस मॉडल में जीन नियमन के लिए डीएनए के अनुक्रमों के निम्न चार भाग स्थित होते हैं-

(1) उत्पादक जीन (Producer gene)- यह प्रोकेरियोट के ऑपरॉन मॉडल के संरचनात्मक जीन के समान ही माना गया है।

(2) ग्राह्मी जीन (Receptor Gene)- यह आवश्यक प्रोटीन हेतु संश्लेषित आपरेटर जीन के समतुल्य है तथा यह प्रत्येक प्रोडयूसर जीन के पास ही स्थित रहता है। यह दमनकर प्रोटीन डीएनए के साथ जुड़कर आरएनए पोलीमरेज की उत्पादन जीन पर गति रोकता है।

(3) समाकल जीन ( Integrator Gene)- समाकल जीन ( Integrator gene) इनकी तुलना रेगूलेटर जीन से की जा सकती है। यह जीन सक्रियक आरएनए के संश्लेषण करके जीन की क्रियाओं को नियंत्रित करते है। सक्रियक आरएनए प्रत्यक्ष अथवा प्रोटीन संश्लेषण के माध्यम द्वारा ग्राही जीन को सक्रिय करके उसकी गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं।

(4) संवेदक जीन (Sensor Gene)- यह जीन समाकलन जीन के अनुलेखन को प्रेरित करके उसका नियमन करते हैं तथा अधिनियमक (super regulator) कहलाते हैं। इस जीन पर हॉरमोन अथवा अन्य अणु इस जीन को पहचान कर इसके साथ जुड़कर जीन के अभिव्यक्ति (expression) में परिवर्तन उत्पन्न कर देते हैं। इस प्रकार समाकलन जीन का अनुलेखन के लिए संवेदक स्थान पर हार्मोन प्रोटीन गठबंधन होना आवश्यक है।

बिट्रन डेविडसन मॉडल में कुछ अन्य निष्कर्ष निम्न प्रकार है-

(1) उत्पादक तथा समाकलन जीन ऐसे अनुक्रम हैं जो आरएनए का संलेषण करते हैं।

(2) ग्राह्यी तथा संवेदक जीन वे अनुक्रम है जो आरएनए के संलेषण में कोई भाग नहीं लेते हैं मात्र अणु विशेष की पहचान में सहायता करते है।

(3) एक ही स्थल पर ग्राह्यी जीन व समाकलन जीन की संख्या एक से अधिक भी पायी गयी है

(4) एक से अधिक उपर्युक्त जीनों के स्थित होने से एक ही कोशिका के अनेक जीनों का एक साथ नियमन किया जा सकता है।

(5) ग्राह्यी जीन की अनेक प्रतिलिपियाँ मौजूद हो सकती है जो मात्र एक ही प्रेरण (activator) की पहचान करके एक जैव संश्लेषण मार्ग (pathways) के लिए आवश्यक अनेक एन्जाइमों का संश्लेषण एक साथ ही कर सकती हैं ।

(6) ग्राह्यी तथा समाकलक जीन की कई प्रतिलिपियों की मौजूदगी के कारण एक ही प्रकार के जीन की आवश्यकता अलग-अलग दिशाओं में होने पर एक साथ ही नियमन संभव है।

(7) उत्पादक जीन में एक से अधिक ग्राह्यी जीन मौजूद रहते हैं । प्रत्येक ग्राह्यी एक एक्टीवेटर के प्रति अनुक्रिया प्रदर्शित करता है। विभिन्न एक्टीवेटर एकमात्र जीन सक्रिय कर सकते हैं। इसी प्रकार एकमात्र एक्टीवेटर भी अनेक जीन की पहचान कर सकता है।

(8) अनेक समाकलन जीन एक ही संवेदक जीन पर समूह में उपस्थित हो सकते हैं। एक संवेदक जीन द्वारा नियंत्रित अनेक उत्पादक जीनों की सम्पूर्ण समष्टि (population) को बैटरी का नाम दिया गया है। कई बार संवेदक जीन अनेक समाकलन जीन के साथ संबंधित होते हैं तब एक ही समय में सभी समाकलित जीनों का अनुलेखन हो सकता है।

नवीनतम जानकारी के अनुसार – 30 क्षेत्र (30 nucleotide upstream) पर जो छोटा अनुक्रम (sequence) मौजूद रहता है वह अनुलेखन के लिए आवश्यक पाया गया है। इसकी खोज गोल्डबर्ग होग्नेस नामक वैज्ञानिकों द्वारा की गयी है अतः इसे गोल्डबर्ग होग्नेस बॉक्स अथवा TATA का नाम दिया गया है।

CAAT बॉक्स कुछ जीनों में प्रमोटर क्षेत्र में 70 से 18 क्षार युग्मों के बीच स्थित रहते हैं। ये भी नियमन में भाग लेते हैं ।

यूकेरियोटिक व प्रोकेरियोटिक जीन नियमन का तुलनात्मक विवरण (Comparative Account of Eukaryotic and Prokaryotic Gene Regulation)

यूकेरियोटिक जीन नियमन में संवेदक (sensor), समाकलक (integrator), ग्राही (receptor) जीनों द्वारा सम्पन्न होता है। यूकेरियोटिक अनुलेखन न्यूक्लियस से होकर कोशिका द्रव्य में अनुदित होता है। m- आरएनए दीर्घ जीवी अणु होता है। अनुलेखन पूर्व m-आरएनए एन्जाइम तीन आर एन ए पॉलीमरेज I, II, III मिलते हैं। यह सामान्यतः आरएनए पालिमरेज II द्वारा संवर्धित होता है। यूकेरियोटिक जीवों में m-आरएनए हमेशा एकमात्र प्रोटीन कोड करता है। आरएनए न्यूक्लियस में 5′ सिरे पर कैप ‘Cap’ तथा 3’सिरे पर पॉली पुच्छ द्वारा रूपान्तरित होते है। यह इनके स्थिर करने में सहायक है। यूकेरियोटिक जीन में प्रोटीन कोडित जीन इन्ट्रॉन जीन (असक्रिय) के मध्य स्थित रहते हैं अतः लगातार प्रोटीन कोडित अनुक्रम प्राप्त करने के लिए पूर्व m आरएनए के इलेक्ट्रान भाग को हटाना आवश्यक होता है जिसे स्पलाइंसिंग द्वारा हटाया जाता है। यह यूकेरियोटिक जीन नियमन की एक आवश्यक प्रक्रिया है जो आरएनए प्रोटीन सम्मिश्र द्वारा सम्पन्न होती है जिसे SnRNPs कहते हैं। पूर्ण विकसित mRNAs तब न्यूक्लियस से राइबोसोम पर प्रोटीन के रूप में अनुदन के लिए कोशिका द्रव्य में जाते हैं।

प्रोकेरियोटिक जीवों में जीन नियमन (regulator), एक वर्धक (promoter) तथा एक प्रचालक (operator) जीन के समन्वयन (coordination) द्वारा सम्पन्न होता है। इसके साथ ही प्रोकेरियोटिक डीएनए पर उपस्थित अनुक्रम अनुलेखन के प्रारम्भन को इंगित करता है। इसके साथ ही आरएनए पॉलिमरेज I जीन वर्धक (promoter ) से समापक (terminator) पर अनुलेखन करता है। परिणामस्वरूप m-आरएनए एक या दो प्रोटीन को कोडित करने वाले अनुक्रम इंगित करता है। अधिक प्रोटीन को कोडित करने की क्षमता को पॉलिसिस्ट्रोनिक (polycistronic) कहते हैं। डीएनए का वह भाग जो कोडित होता है आपरॉन कहलाता है। m – आरएनए का कोड करने वाला भाग राइबोसोम द्वारा प्रोटीन में अनुदित (translate) हो जाता है। इस प्रकार बन्धित होकर अमीनो अम्ल अनुक्रम की प्रारम्भन कोडोन (strat codon) AUG द्वारा सूचना प्रेषित करता है तत्पश्चात t-आरएनए, अमीनों अम्ल अमीनोएसिल – आरएनए के रूप में आनुवंशिक कोड द्वारा चिन्हित करके लाता है।

एटीन्यूएशन (Attenuation)

प्रोकेरियोटिक जीवों के ट्रिप्टोफॉन ऑपेरॉन में यह एक नियमन प्रक्रिया (regulatory mechanism) है जो जीन के अनुलेखन की आवृत्ति (frequency of transcription) को नियमित करती है। यह वास्तव में ऐसा न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम रखती (employs ) हैं जो समय से पहले अनुलेखन (premature transcription) में भाग लेता है।

ई.कोलाई में ट्रिप्टोफॉन ऑपेरोन द्वारा अमीनो अम्ल ट्रिप्टोफॉन संश्लेषण का नियमन (regulation) होता है। ट्रिप्टोफॉन ऑपेरॉन को trp से दर्शाते हैं। ट्रिप्टोफॉन के संश्लेषण में निम्नलिखित पांच जीन इनसे सम्बन्धित एन्जाइम के लिए कोड करते हैं।

Trp,R, trp E. trp C, trp B, trp A यह पांच जीन इसी क्रम में अनुलेखित होते हैं। इन पांच जीनों य के अतिरिक्त ई. कोलाई के trp ऑपेरोन में प्रमोटर (P) तथा ऑपरेटर (O) उपस्थित रहते हैं।

ऑपरेटर व trp E के मध्य 162 अनुक्रमों पर लीडर (L) कहलाते हैं। यहीं पर एन्टीन्यूएट (attenuation) a स्थित होता है। दमनकारी जीन trp R प्रमोटर से पहले स्थित होता है।

जब ट्रिप्टोफॉन वृद्धि माध्यम में उपस्थित रहता है तब trp ऑपेरॉन सक्रिय नहीं रहता तथा अनुलेखन (manscription) नहीं होता। इसका अर्थ यह हुआ कि अमीनो अम्ल ट्रिप्टोफॉन की अधिकता में ट्रिप्टोफॉन की संश्लेषण हेतु अनुलेखन नहीं होता व निर्माण रूक जाता है परन्तु यदि ट्रिप्टोफॉन की मात्रा ई. कोलाई ॐ वृद्धि माध्यम में कम होती है तब अनुलेखन शुरू हो जाता है।

ट्रिप्टोफॉन ऑपेरॉन में एकमात्र अणु trp R दमनकारी/रिप्रेशन जिसे एपोरिप्रेशन / एपोदमनकर भी कहते हैं, नहीं होता है। इसमें एक अन्य सूक्ष्म सह दमन (co-repressor) की आवश्यता होती है। यह दोनों ही (दमनकर/ सहदमनकर) मिल कर ऑपरेटर (O) के साथ बन्ध कर ट्रिप्टोफॉन संश्लेषण को नियंत्रित करते हैं। जब इनमें से संहदमनकर अनुपस्थित होता है तब दमनकर ऑपरेटर के साथ नहीं बंधता तथा ऑपेरॉन के लिए जीन अभिव्यक्त (expressed) हो जाते हैं।

यहां एक बात मुख्य है कि ट्रिप्टोफान अणु जो सहदमनकर है उसका Trp दमनकर के साथ बन्धना अत्यन्त आवश्यक है अन्यथा प्रक्रिया दमनकारी नहीं होगी व जीन अभिव्यक्त होगा ।

ऑपेरॉन trp के दमनकारी तंत्र (repression system) के नियमनकारी प्रोटीन (regulatory दमनकारी/रिप्रेसर (repressor) कहलाते हैं। यह trp R जीन के उत्पाद होते हैं। ट्रिप्टोफॉन ओपेरॉन, लेक ऑपेरॉन से निम्न लक्षणों में भिन्न होता है ।

(I) ट्रिप्टोफॉन प्रेरक (inducer) की जगह दमनकारी तंत्र की तरह कार्य करता है।

(2) Trp ऑपेरॉन एक पूरे सेट का संश्लेषण करता है अर्थात् एनाबोलिक (anabolic) है तथा यह केटाबोलिक एन्जाइम की तरह व्यवहार नहीं करता। इसमें ग्लूकोज तथा CAMP-CAP की कोई भूमिका नहीं रहती।

(3) ट्रिप्टोफॉन संश्लेषण में निम्न दो नियमन तंत्र होते हैं-

(i) ट्रिप्टोफॉन की उच्च सान्द्रता सहदमनकर ट्रिप्टोफॉन अणु के स्तर पर अनुलेखन रोक देती है तथा प्रमोटर को ब्लॉक कर देती है।

(ii) ट्रिप्टोफान की कमी से सहदमनकर दमनकर के साथ बन्ध कर तंत्र को पुनः है तथा अनुलेखन प्रारम्भ हो जाता है।

जिनका अनुलेखन (translation) नहीं होता) से दर्शाते हैं। इसका मुख्य गुण है कि यह समय से पहले ट्रिप्टोफॉन ऑपेरॉन में trpm आरएनए पर 162 क्षारक अनुक्रमों को लीडर आरएनए, (एस आरएनए अनुलेखन को लीडर क्षेत्र में trp में रोक सकने में सक्षम बनाते हैं।

  1. लीडर पेप्टाइड: AUG कोडोन तथा अधोप्रवाह (down stream) UGA स्टॉप कोडीन (stop) codon) उपस्थित हैं। यह क्षेत्र 14 अमीनो अम्ल की पॉलिपेप्टाइड के लिए कोड करती
  2. लीडर पर अमीनो अम्ल 10 तथा 11th स्थल पर उपस्थित 2 ट्रिप्टोफान कोडोन 3. लीडर आरएनए पर स्थित 4 खण्ड 1. 3 तथा 4

लीडर अनुक्रम (non translated RNA) कोडित क्षेत्र से पहले स्थित होते हैं इनमें भी नियमन क्षेत्र में उपस्थित हो सकते है जिसे एटीन्यूएटर ( attenuater) कहते हैं जो जीन अभिव्यक्ति को ज्ञात करते हैं।

एटीन्यूएटर (attenuator) प्रोकेरियोटिक जीन अथवा इसके आरएनए में 5th भाग में उपस्थित न्यूक्लियोटाइड के अनुक्रम हैं जो समय से पहले अनुलेखन (transcription) का समापन कर देते हैं. जिसे प्री-मैच्योर अनुलेखन (pre-mature transcription) कहते हैं। ऐसा एक द्वितीयक संरचना निर्मित होने के कारण संभव होता है ।