परमाणु विद्युत ऊर्जा से क्या लाभ है भारत में atomic electricity in india in hindi power production

भारत में atomic electricity in india in hindi power production परमाणु विद्युत ऊर्जा से क्या लाभ है ?

परमाणु विद्युत (Atomic Electricity)
परमाणु विद्युत वर्तमान वैज्ञानिक युग की देन है। यह यूरेनियम, थोरियम, बेरेलियन, जिरकोनियम तथा रेडियम जैसे रेडियोधर्मी तत्वों के विखण्डन तथा विश्लेषण से प्राप्त की जाती है। इसके अतिरिक्त मोनोजाइट से यूरेनियम प्राप्त होता है जिसके कारण मोनोजाइट को भी परमाणु खनिजों की श्रेणी में रखा जाता है। परीक्षणों से पता चला है कि एक किलोग्राम यूरेनियम के विश्लेषण से इतनी विद्युत प्राप्त हो सकती है जितनी 25 लाख किलोग्राम कोयला जला उत्पन्न की जाती है। हालांकि यूरेनियम एक मूल्यवान खनिज है फिर भी अणु शक्ति सस्ती ही होती है क्योंकि इसके उत्पादन में कोयले की अपेक्षा बहुत कम यूरेनियम का प्रयोग करना पड़ता है।
भारत में परमाणु खनिजों का वितरण: परमाणु विद्युत के लिए सबसे महत्वपूर्ण खनिज यूरेनियम है। भारत में इसका खनन झारखण्ड के सिंहभूम जिले में स्थित जादूगुड़ा नामक स्थान पर किया जाता है। मध्यवर्ती राजस्थान की चट्टानों में भी यूरेनियम के भण्डार मिले हैं। केरल तथा तमिलनाडु के तटीय भागों में पाई जाने वाली मोनाजाइट नामक बालू से भी यूरेनियम मिलता है। यहाँ के मोनाजाइट रेत में 10% थोरियम ऑक्साइड तथा 0.3% यूरेनियम ऑक्साइड मिलता है। हाल ही में झारखण्ड में राँची पठार पर मोनाजाइट के विशाल भण्डारों की खोज की गई है। केरल की पर्वतीय चट्टानों में 4% यूरेनियम ऑक्साइड मिलता है। मेघालय की पहाड़ियों तथा जम्मू-कश्मीर के लेह-लद्दाख इलाके में भी युरेनियन मिलने की काफी सम्भावनाएं हैं।
थोरियम के भण्डार केरल तथा झारखंड में पाए जाते हैं। यहाँ की ग्रेनाइट चट्टानों में लगभग 10% थोरियम का अंश होता है। विश्व के अन्य किसी भाग की चट्टानों में इतना अधिक थोरियम नहीं पाया जाता। भारत में लगभग 3.6 लाख टन थोरियम के भण्डार हैं जो विश्व में सबसे अधिक हैं। इससे इतनी विद्युत प्राप्त हो सकती है जितनी कि 60 अरब टन कोयले को जलाने से प्राप्त होती है। बेरीलियम के उत्पादन में भारत विश्व में सबसे आगे है। यहाँ लगभग एक हजार टन बेरीलियम प्रतिवर्ष पैदा किया जाता है। यह आंध्र प्रदेश, झारखंड तथा राजस्थान में मिलता है। जिरकोनियम के भण्डारों की दृष्टि से केरल सबसे आगे है। यहाँ पर लगभग 50 लाख टन जिरकोनियम के भण्डार हैं।
भारत में परमाणु विद्युत का विकासः भारत में परमाणु ऊर्जा के विकास का श्रेय स्वर्गीय डॉ. होमी जहाँगीर भाभा को है। उनके प्रयत्नों के फलस्वरूप मुम्बई के निकट ट्राम्बे द्वीप पर ट्राम्बे आणविक शक्ति प्रतिष्ठान (Trombay Atomic Energy Establishment) के अन्र्तगत पहला अनुसंधान आणविक (Research Atomic Reactor) सन् 1955 में तैयार हुआ। इस समय विश्व में 16 देश परमाणु विद्युत का उत्पादन कर रहे हैं, जिनमें भारत भी एक है।
भारत के परमाणु विद्युत-गृहः इस समय देश में पाँच परमाणु विद्युत गृह कार्य कर रहे हैं, जिनका संक्षिप्त विवरण निम्न हैः
1. तारापुर परमाणु विद्युत-गृहः देश का पहला परमाणु विद्युत गृह तारापुर में है जो मुम्बई से 96 किमी. दूर है। यह अमेरिका की सहायता से स्थापित किया गया है और 1969 से कार्य कर रहा है। इसकी उत्पादन क्षमता 420 मेगावाट है। इसकी क्षमता को बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।
2. राजस्थान परमाणु विद्युत-गृहः भारत का दूसरा परमाणु विद्युत-गृह राजस्थान में कोटा के निकट राणा प्रताप सागर के पास रावतभाटा में बनाया गया है। इसे कोटा अथवा राणा प्रताप सागर परमाणु विद्युत केन्द्र भी कहते हैं। यह कनाडा के सहयोग से बनाया गया है और अगस्त 1972 से कार्य कर रहा है। इसकी कुल उत्पादन क्षमता 220 मेगावाट है।
3. कलपक्कम परमाणु विद्युत-गृहः यह तमिलनाडु में चेन्नई के निकट कलपक्कम नामक स्थान पर बनाया गया है। इसकी उत्पादन क्षमता 470 मेगावाट है।
4. नरौरा परमाणु विद्युत-गृहः यह उत्तर प्रदेश में बुलन्दशहर के निकट नरौरा नामक स्थान पर स्थित है। इसकी उत्पादन क्षमता 470 मेगावाट है।
5. ककरापुर (ज्ञंातंचनत) परमाणु विद्युत-गृहः यह गुजरात में ककरापुर नामक स्थान पर स्थित है। इसकी उत्पादन क्षमता 470 मेगावाट होगी। इसने सन 1992 से आशिक रूप से काम करना आरम्भ कर दिया है।
उपरोक्त परमाणु विद्युत उत्पादक केन्द्रों के अतिरिक्त कर्नाटक में कैगा नामक स्थान पर भी परमाणु विद्युत उत्पादक केन्द्र स्थापित किया गया है। इसकी उत्पादन क्षमता 470 मेगावाट है। जयपुर, तूतीकोरिन, हैदराबाद, चेलकर तथा कोलकाता में भी परमाणु विद्युत उत्पादक केन्द्र स्थापित करने की योजना है।