बिच्छू का पाचन तंत्र क्या है , arthropoda digestive system in hindi आहार नाल (Alimentary canal)

बायोलॉजी में बिच्छू का पाचन तंत्र क्या है , arthropoda digestive system in hindi आहार नाल (Alimentary canal) ?

देहभित्ति (Body wall)

बिच्छू की देह भित्ति निम्नलिखित तीन स्तरों की बनी होती है

  1. क्यूटिकल (Cuticle)
  2. अधिचर्म (Hypodermis)
  3. आधारी झिल्ली (Basement membrane).

1.क्यूटिकल (Cuticle): यह देह भित्ति का सबसे बाहरी काइटिन युक्त अकोशीय स्तर होता  है यह इसका बाह्य कंकाल बनाती है। क्यूटिकल फिर तीन स्तरों में विभेदित की जा सकती है (a) टीलोस्ट्रेकम (Telostracum) (b) एपिऑस्टेकम (Epiostracum) (C) हाइपोस्टेकर (Hypostracum)।

क्यूटिकल में कई महीन नलिकाएँ पायी जाती है जो क्यूटिकल की बाहरी सतह पर खली है। क्यूटिकल का स्रावण अधिचर्म द्वारा किया जाता है।

  1. अधिचर्म (Hypodermis): यह एक कोशीय स्तर मोटी होती है। इस स्तर की कोशिकाएं स्तम्भाकार होती है। इस स्तर की कोशिकाओं में वर्णक कणिकाए मार कुछ काशिकाएं रोमनुमा प्रवों के रूप में रूपान्तरित हो जाते हैं जो क्यूटिकल का बाहरी स्तर पर उभरे रहते हैं।
  2. आधारी झिल्ली (hasementmembrane): अधिचर्म के नीचे एक पतली आधारी झिल्ली पायी जाती है।

पाचन तन्त्र (Digestive System)

बिच्छू का पाचन तन्त्र दो भागों का बना होता है

  1. आहार नाल (Alimentary canal)
  2. पाचक ग्रन्थि (Digestive gland)
  3. आहारनाल (Alimentary canal) : यह एक लम्बी नलिकाकार संरचना होती है जो मुख से गुदा तक फैली रहती है। इसे निम्नलिखित चार भागों में बांटा जा सकता है

(i) मुख-पूर्व गुहा (Pre oral cavity)

(ii) अग्र आंत्र (Foregut or stomodaeum)

  • मध्य आंत्र (Midgut or Mesenteron)

(iv) पश्च आंत्र (Hindgut or Proctodaeum)

(i) मुख-पूर्व गुहा (Pre oral cavity) : यह एक बड़ी मुख के आगे खुली हुई गुहा होती है। जो अग्रकाय की चार जोड़ी उपांगों द्वारा घिरी रहती है। इस गुहा का ऊपरी भाग दो केलिसेरियों तथा तण्ड या लेब्रम का बना होता है। दोनों पावों में यह पद-स्पर्शकों के कक्षांगों द्वारा सुरक्षित रहती है। इसका फर्श प्रथम दो जोड़ी चलन टांगों के जम्भिका प्रवर्षों से बना होता है।

(ii) अग्र आंत्र या स्टोमोडियम (Foregut or stomodaeum): यह आहारनाल का वह अग्रभाग होता है, जो क्यूटिकल द्वारा आस्तरित होता है। यह भाग मुख, ग्रसनी व ग्रसिका से मिलकर बना होता है। मुख पूर्व गुहा के पीछे की तरफ एक छोटा संकरा, अनुप्रस्थ छिद्र पाया जाता है जिसे मख कहते हैं। यह लेब्रम के नीचे स्थित रहता है। मुख पीछे की तरफ ग्रसनी में खलता है। मुख इतना संकरा होता है कि बिच्छु केवल तरल पदार्थ (भोजन का रस) तथा लगदी ही प्रवेश कर सकते है

ग्रसनी, एक बड़ी पेशीय व चूषणीय संरचना होती है। इसकी भित्ति लचीली होती है। इसकी भित्ति से सिरोवक्ष की भित्ति तक मांस पेशियों के अनेक समूह पाये जाते हैं। ये पेशियाँ ग्रसनी को चूषक अंग की तरह कार्य करने की क्षमता प्रदान करते हैं। ग्रसनी की सहायता से तरल भोजन को मुख द्वारा चूसा जाता है।

ग्रसनी पीछे की तरफ एक संकरी नलिका में खुलती है जिसे ग्रसिका (oesophagus) कहते हैं। यह तंत्रिका वलय के मध्य से होकर गुजरती है तथा आमाशय के अन्दर पहुँच कर खोल कपाटी (sleeve valve) बनाती है जो आमाशय में गये हुए भोजन का वापस आने से रोकती है। ग्रसनी जहाँ ग्रसिका में खुलती है वहीं पर लार ग्रन्थियों से आने वाली एक जोड़ी लार वाहिकाएँ आकर खुलती है।

  • मध्य आंत्र या मीजेन्ट्रॉन (Midgut or Mesennteron) : अग्र आंत्र के पीछे एक लम्बी, चौडी सीधी नलिका पायी जाती है, जिसकी भित्ति ग्रन्थिल होती है, उसे मध्य आंत्र कहते हैं। यह आमाशय व आंत्र नामक दो भागों से मिलकर बनी होती है। ग्रसिका पीछे की तरफ एक फूले हुए आमाशय में खुलती है जो मध्य पट (diaphragm) तक फैला रहता है। पीछे की तरफ यह आंत्र में खुलता है।

आंत्र एक संकरी लम्बी नलिकाकार संरचना होती है, जो उदर के अन्तिम खण्ड तक फैली रहती है। यह आहारनाल का सबसे लम्बा भाग बनाती है उदर के अन्तिम खण्ड में यह पश्च – आंत्र में खुल जाती है आंत्र ग्रन्थिल उपकला द्वारा आस्तरित  होती है आंत्र को दो भागों में विभेदित किया जा सकता है

(a) उदर पूर्वी भाग या पार्सटेक्टा-इन्टेस्टाइना (Pre abdominal or pars tecta-intestini) (b) उदर पश्च भाग या पार्स नुडा  इन्टेस्टाइनी (Post abdominal or pars nuda unrestini) आंत्र के इन दोनों भागों के संगम स्थल पर एक सकुचन पाया जाता है, जहाँ एक या दो  जोड़ी  सकरी लम्बी अन्ध नलिकाएँ निकलती है। इन्हें मैल्पिगी नलिकाए (Malpighian tubita कहते हैं। ये उत्सर्जन का कार्य करती है।

(iv) पश्च आंत्र या प्रोक्टोडियम (Hindgut or proctodaeum): यह आहार नाल का सबसे.पश्च एवं छोटा भाग होता है जो क्यटिकल द्वारा आस्तरित होता है। यह पश्च उदर भाग अन्तिम खण्ड तक ही सीमित रखती है। यह पच्छखण्ड की अधर सतह पर गुदाद्वार द्वारा बाहर खलती

  1. पाचक ग्रन्थि (Digestivegland): सम्पूर्ण पूर्व उदरीय गुहा में एक भूरे रंग की पालिदार ग्रन्थिल संरचना फैली रहती है जिसे यकृत (liver) या यकृताग्नाशय (hepatopancrease) या काइलेन्ट्रोन (chylenteron) कहते हैं। यह पांच जोड़ी वाहिकाओं द्वारा आंत्र में खुलती है। ये वाहिकाएँ यकृत वाहिकाएँ (hepaticducts) कहलाती है। यकृताग्नाशय के मध्य पृष्ठ तल पर एक खांच पायी जाती है जिसमें हृदय स्थित रहता है। आंत्र तथा आन्तरांग इस ग्रन्थि के भीतर धंसे रहते हैं। यकृताग्नाशय एक शाखित ग्रन्थि होती है जो छोटी-छोटी नलिकाओं का पुंज होती है। इसका यकृति कार्य सन्देहास्पद है, तथापि इसके आकार से यह लगता है कि पाचक रसों के प्रावण के अलावा अन्य कार्य भी करती है।

भोजन एवं अशन विधि (Food and Feeding)

बिच्छू एक मांसाहारी एवं परभक्षी प्राणी होता है। यह कीटों, मकडियों तथा अन्य अकशेरूकी प्राणियों को भोजन के रूप में ग्रहण करता है। यह स्वजाति भक्षी (cannibal) भी होता है अर्थात् अपनी ही जाति के सदस्य प्राणियों को भी यह भोजन के रूप में ग्रहण कर लेता है। यह काफी लम्बी अवधि तक बिना भोजन ग्रहण किये भी रह सकता है। मुख बहुत छोटा होने के कारण यह ठोस भोजन को ग्रहण नहीं करता है। यह अपने शिकार के शरीर के तरल पदार्थों को ही चूसता है।

बिच्छू अपने पद स्पर्शकों की सहायता से शिकार को पकड़ता है तथा दर्शन द्वारा उसे अचेत कर देता है। पकड़े हुए शिकार को मुखपूर्व गुहा में पहुंचा दिया जाता है जहाँ इसे केलिसेरियों द्वारा छोटे-छोटे टुकड़ा म कुतर दिया जाता है। मुख-पूर्व गुहा में उपस्थित विभिन्न उपागों के इन आधरा सहायता से इन टुकड़ों को दबाकर निचोड़ा जाता है, इससे शिकार से निकले तरल पदार्थों का चूषणीय ग्रसनी की सहायता से चूस लिया जाता है। इसकी भोजन ग्रहण की प्रक्रिया बहुत धीमी होती है।

पाचन, अवशोषण एवं बहिनिक्षेपण   (Digestion, Absorption and Egestion) : भोजन ग्रहण के समय जब मुख पूर्व गुहा में भोजन को लुगदी स्वरूप में बदला जाता है उसी समय प्रथम दो जोड़ी टांगों के जम्भिका प्रवर्षों में उपस्थित कूपकीय ग्रन्थियों (alveolar glands) द्वारा  स्रावित एन्जाइम की सहायता से प्रोटीन्स का आशिक पाचन हो जाता है। यह आंशिक रूप से पचा भोजन आमाशय में जाता है जहाँ इसका पूर्ण पाचन होता है । आमाशय में आमाशयी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित पाचक रस भोजन के साथ मिलाया जाता है जिसमें एमाइलेज (amylase), ट्रिप्सिन (trypsin) तथा लाइपेज (lipase) जैसे एन्जाइम्स पाये जाते हैं। ये एन्जाइम कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स एवं वसा का पाचन करते हैं। पचे हुए भोजन का अवशोषण आंत्र द्वारा किया जाता है तथा बिना पचा भोजन पश्च आंत्र में एकत्र कर लिया जाता है जहाँ से इसे समय-समय पर गुदा द्वार द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।