पैंदे का ऊपर उठा हुआ , छड का मुड़ा हुआ दिखाई देना , कांच की पट्टिका द्वारा अपवर्तन

appearance of bottom raised of a liquid in hindi द्रव से भरे पात्र के पैंदे का ऊपर उठा हुआ दिखाई देना : जब किसी पात्र में पानी भरा जाता है तो हमें बाहर से देखने पर इस पानी की गहराई कम दिखाई देती है अर्थात इस पात्र का पैंदा कुछ उठा हुआ प्रतीत होता है इसका कारण प्रकाश का अपवर्तन है।
यह घटना कैसे होती हा इसकी हम यहाँ विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।

चित्रानुसार एक पात्र में जल भरा हुआ है इसका वास्तविक पैंदा PQ से दर्शाया गया है , माना पैंदे पर कोई बिन्दु O स्थित है जब इस बिन्दु को बाहर हम हमारी आँखों से देखते है तो यह बिन्दु कुछ उठा हुआ I स्थिति पर दिखाई देता है और पैंदा P’Q’ स्थिति पर प्रतीत होता है।
माना O बिन्दु से कोई दो प्रकाश किरणें हमारी आँखों की तरफ जाती है , ये किरणे पानी से वायु में गति करती है अर्थात सघन से विरल में प्रवेश करती है तो ये अभिलम्ब से दूर हट जाती है और इनका मार्ग विचलित हो जाता है।
प्रकाश के अपवर्तन की घटना के कारण मार्ग विचलित होने के बाद किरणों को जब पीछे बढाया जाता है तो ये I बिन्दु पर मिलती हुई प्रतीत होती है अर्थात O बिन्दु हमें I स्थिति पर महसूस होता है और पैंदे की स्थिति कुछ ऊपर उठी हुई P’Q’ स्थिति पर प्रतीत होती है।

किसी छड का मुड़ा हुआ दिखाई देना (bending of an object)

जब किसी छड को पानी में डुबाया जाता है तो यह कुछ मुड़ी हुई दिखाई देती है इसका कारण भी प्रकाश का अपवर्तन है , यह कैसे होता है ?
माना चित्रानुसार कोई छड AO का BO भाग पानी में डूबा हुआ है।  जब इसको बाहर से देखा जाता है तो यह हिस्सा मुड़ा हुआ दिखाई देता है।
माना छड के बिन्दु O से दो प्रकाश की किरणें हमारी आँखों की तरफ आती है ये किरणें सघन माध्यम से विरल माध्यम में गति करती है इसलिए अपवर्तन के नियम के अनुसार अभिलम्ब से दूर हटती है।
पहले इन किरणों का मार्ग OC तथा OD था लेकिन अपवर्तन की घटना के कारण मार्ग विचलित होकर CX तथा DY हो जाता है।
जब CX तथा DY किरणों को पीछे बढाया जाता है तो ये L बिन्दु पर मिलती हुई प्रतीत होती है और हमें छड मुड़ी हुई दिखाई देती है।

कांच की पट्टिका द्वारा अपवर्तन (refraction through a glass slab )

जब एक प्रकाश की किरण किसी कांच की पट्टिका पर आपतित होती है तो इसमें अपवर्तन की घटना कैसे घटित होती है इसका अध्ययन करते है।
माना एक प्रकाश किरण एक आयताकार कांच की पट्टिका पर आपतित होती है जैसा चित्र में दिखाया गया है।  आपतित किरण को लाल रंग की रेखा से दिखाया गया है।
आपतित किरण वायु से कांच में प्रवेश करती है अर्थात विरल से सघन में प्रवेश करती है तो अपवर्तन के नियमानुसार यह अभिलम्ब (normal) की तरफ झुक जाती है , जब यह किरण आगे कांच में से चलकर बाहर निकलती है अर्थात सघन से वायु में प्रवेश करती है तो किरण अभिलम्ब से दूर हट जाती है और आपतित किरण के समानांतर हो जाती है। यहाँ आपतन कोण i तथा निर्गत कोण e बराबर है।