हम यहाँ अध्ययन करेंगे की ऐसा क्यों होता है ?
चित्र को ध्यान से देखिये , जब सूर्य क्षैतिज रेखा के ऊपर हो तो हमें बिना किसी संदेह के वास्तविकता में दिखाई देने लग जायेगा लेकिन अपवर्तन की घटना के कारण जब सूर्य क्षैतिज से नीचे होता है तब ही दिखाई देना शुरू हो जाता है ऐसा क्यों होता है ? इसका अध्ययन ही हम यहाँ करने वाले है।
इसका कारण वायुमंडल से सूर्य की किरणों का अपवर्तन है।
वायुमण्डल की जो सतहें पृथ्वी के निकट स्थित होती है उनका घनत्व अधिक होता है तथा जो सतह पृथ्वी सतह से ऊपर स्थित होती है उनका घनत्व अपेक्षाकृत कम होता जाता है।
अत: क्षैतिज से नीचे अर्थात पृथ्वी की सतह से दूर वायुमंडल विरल माध्यम की तरह व्यवहार करता है तथा क्षैतिज से ऊपर अर्थात पृथ्वी की सतह के निकट वायुमंडल सघन माध्यम की तरह व्यवहार करता है।
जब सूर्य से प्रकाश की किरणें क्षैतिज के नीचे से चलकर पृथ्वी के पृष्ठ पर स्थित मनुष्य की रेटिना तक पहुचती है तो किरणें विरल माध्यम से सघन माध्यम में गमन करती है जिससे प्रकाश का अपवर्तन घटित होता है और चूँकि प्रकाश की किरणें विरल से सघन में प्रवेश करती है अत: ये अभिलम्ब की ओर झुक जाती है और फिर मनुष्य की आँख तक पहुँचती है।
और हमें आभासी सूर्य क्षैतिज से ऊपर दिखाई देता है अर्थात सूर्योदय से पहले ही सूर्य दिखाई देने लग जाता है।
इस प्रकार सूर्यास्त की घटना भी घटित होती है जिससे सूर्यास्त होने के बाद भी हमें सूर्य कुछ समय के लिए दिखाई देते रहता है।