अमीनो अम्ल क्या है , परिभाषा , प्रकार , amino acids in hindi , स्ट्रेकर संश्लेषण , गेब्रिल थैलिमाइड

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(amino acids) अमीनो अम्ल : वे कार्बनिक यौगिक जिनके अणु में एमीनो (-NH2) एवं कर्बोक्सिलिक (-COOH) दोनों समूह उपस्थित होते है , अमीनो अम्ल कहलाते है।

प्रोटीन के जल अपघटन से α अमीनो अम्लों का मिश्रण प्राप्त होता है , अत: α एमिनो अम्ल प्रोटीन की मूल संरचनात्मक इकाई होती है।

अमीनो अम्ल के प्रकार (वर्गीकरण) (types of amino acids)

1. -NH2 व -COOH समूह की संख्या के आधार पर :-

(a) उदासीन अमीनो अम्ल : इसमें -NH2 व -COOH समूह की संख्या समान होती है।

(b) क्षारीय अमीनो अम्ल : इनमे -COOH समूह की अपेक्षा -NH2 समूहों की संख्या अधिक होती है अत: ये क्षारीय एमीनो अम्ल कहलाते है।

(c) अम्लीय अमीनो अम्ल : इनमे -NH2 समूह की अपेक्षा -COOH समूहों की संख्या अधिक होती है अत: ये अम्लीय एमीनो अम्ल कहलाते है।

2. COOH समूह के सापेक्ष -NH2 समूह की स्थिति के आधार पर :

(a) α अमीनो अम्ल : इनमे COOH एवं -NH2 समूह एक ही C से जुड़े रहते है।

(b) β अमीनो अम्ल

(c) γ अमीनो अम्ल

संरचना एवं त्रिविम समाव्यवता : ग्लाईसीन के अलावा सभी α अमीनो अम्ल प्रकाशिक समावयवता दर्शाते है क्योंकि इनमे किरैल /असममित C उपस्थित होता है।

अमीनो अम्लों को D/L नामकरण NH2 समूह के सापेक्ष किया जाता है।

बनाने की विधियाँ :

1. स्ट्रेकर संश्लेषण : इस विधि में एल्डिहाइड या कीटोन की अभिक्रिया NH4Cl तथा NaCN के मिश्रण के साथ करायी जाती है तो साइनो हाइड्रीन बनता है जिसके एमीनिकरण व जल अपघटन से α अमीनो अम्ल प्राप्त होते है।

2. गेब्रिल थैलिमाइड संश्लेषण : पोटेशियम थैलिमाइड की अभिक्रिया α हैलो अम्ल के साथ कराने पर प्राप्त उत्पाद का जल अपघटन करने से α अमीनो अम्ल प्राप्त होता है , इसे गेब्रिल थैलिमाइड संश्लेषण कहते है।

3. अर्लेनमेयर अभिक्रिया द्वारा : बेन्जेल्डिहाइड एवं हिप्यूरिक अम्ल को एसिटिक एवं हाइड्राइड एवं सोडियम एसिटेट की उपस्थिति में गर्म करने पर एजलेक्टोन बनता है जिसे 1% NaOH विलयन में गर्म करने एवं सोडियम अमलगम द्वारा अपचयित करके जल अपघटित करने से  α अमीनो अम्ल प्राप्त होते है।

4. कूप संश्लेषण : इस विधि में α कीटो अम्ल NH3 के साथ क्रिया करके एल्डीमिनो कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाते है जिसके अपचयन से α अमीनो अम्ल बनते है।

5. मैलोनिक एस्टर द्वारा : मैलोनिक एस्टर से α हैलोजन अम्ल बनते है जिनके एमीनीकरण से α अमीनो अम्ल बनते है।

6. कर्टियस अभिक्रिया द्वारा : इस अभिक्रिया में मैलोनिक एस्टर को α अमीनो अम्ल में बदला जाता है।

7. दाशप्सकी  संश्लेषण : एल्डिहाइड एवं सायनो एसिटिक एस्टर के संघनन से प्राप्त उत्पाद का अपचयन कराने पर एल्किल सायनो एसिटिक एस्टर बनता है जो आगे अभिक्रिया करके α अमीनो अम्ल बनाता है।

8. हाफमान निम्नीकरण : इस अभिक्रिया में α-एमिडो एस्टर हाफमान निम्नीकरण अभिक्रिया द्वारा α एमिनो एस्टर बनाता है जिसके जल अपघटन से α अमीनो अम्ल बनते है।

अमीनो अम्ल : अमीनों अम्ल एक या दो अमीनो समूह रखने वाले मोनोकार्बोक्सिलिक या डाई कार्बोक्सिलिक अम्ल होते है। इनका सामान्य सूत्र R-CH-NH2COOH होता है। ये कार्बन , हाइड्रोजन , ऑक्सीजन , नाइट्रोजन (C,H,O,N) और कभी कभी सल्फर के भी बने होते है। एमिनो अम्ल जिनमे एक ही कार्बन पर एक अमीनो समूह तथा एक एसिडिक समूह होता है उदाहरण : α-कार्बन।

अमीनो अम्ल उभयधर्मी अणु या ज्विटर आयन द्विध्रुवीय आयन होते है क्योंकि इनमे एक अम्लीय (कार्बोक्सिलिक) और एक क्षारीय (अमीनों समूह) होता है इसलिए इसमें दोनों धनात्मक तथा ऋणात्मक आवेश होते है।

R-समूह हाइड्रोकार्बन को प्रदर्शित करता है जो छोटा अशाखित समूह या श्रृंखला अथवा एक शाखित श्रृंखला अथवा एक चक्रीय समूह हो सकता है। R-समूह की प्रकृति के आधार पर अमीनो अम्ल कई प्रकार के होते है। प्रोटीन में पाए जाने वाले अमीनों अम्ल 20 प्रकार के होते है , ये मुख्यतः चार प्रकार के होते है –

1. अध्रुवीय R-समूह : R-समूह अध्रुवीय और जल विरोधी होता है – उदाहरण : Alanine , valine

2. ध्रुवीय अनावेशित R-समूह : R-समूह ध्रुवीय जल स्नेही और अनावेशित होता है – उदाहरण : serine

3. अनावेशित ध्रुवीय R-समूह : Lysine , arginine

4. ऋणावेशित ध्रुवीय R – समूह : Glutamic acid , Aspartic acid

glycine सबसे साधारण और छोटा अमीनोअम्ल है। Proline और हाइड्रोक्सी प्रोलिन में (-NH) इमीनो समूह पाया जाता है (-NH2) अमीनो समूह नहीं। इसलिए इन्हें इमीनो अम्ल भी कहते है। ग्लूटेमिक अम्ल और सेरिन ध्रुवीय अमीनों अम्ल है जबकि alanine अध्रुवीय अमीनों अम्ल है। अमीनो अम्ल प्राकृतिक (उदाहरण : Glycine , alanine , valine और Leucine) , अम्लीय (उदाहरण : aspartic अम्ल तथा ग्लूटेमिक अम्ल) , क्षारीय (जैसे : arginine तथा Lysine) हो सकते है। cystine , cysteine और methionine सल्फरयुक्त एमिनो अम्ल होते है। सेरिन और थ्रियोनिन एल्कोहलयुक्त एमिनो अम्ल है। फेनिलएलेनीन , टाइरोसिन , ट्रिप्टोफेन आदि एरोमेटिक एमिनो अम्ल है जबकि हिस्टीडीन , प्रोलिन तथा हाइड्रोक्सीप्रोलिन विषमचक्रीय एमिनो अम्ल है।

सभी अमीनों अम्ल laevo rotatory होते है केवल ग्लाइसीन dextro rotatory प्रदर्शित करता है। अप्रोटीन अमीनों अम्ल मुख्यतः तीन प्रकार के होते है। आर्निथिन , सिट्रुलिन (दोनों ही यूरिया के संश्लेषण के लिए आर्निथीन चक्र में सम्मिलित होते है। ) और डाइएमीनोपिमेलिक अम्ल। एमिनों अम्ल के -NH2 और -COOH समूह की आयनीकृत प्रकृति होना एक व्यक्तिगत गुणधर्म है इसलिए विभिन्न pH वाले विलयनों में अमीनों अम्ल की संरचना बदलती है।

एमिनो अम्ल दो प्रकार के होते है –

1. आवश्यक अमीनों अम्ल

2. अनावश्यक अमीनो अम्ल

आवश्यक अमिनो अम्ल मानव शरीर में संश्लेषित नहीं हो सकते है जबकि अनावश्यक अमीनों अम्ल हो सकते है।

जंतुओं के शरीर में सात आवश्यक अम्ल पाए जाते है जबकि मानव शरीर में 8 आवश्यक अमीनों अम्ल पाए जाते है।

ये ल्युसिन आइसोल्यूसिन वेलिन , फेनिलएलेनिन , ट्रिप्टोफेन , लाइसिन , मिथियोनिन है। मानव में थ्रियोनिन एक अतिरिक्त अमीनों अम्ल होता है। दो अमीनों अम्ल आर्जिनिन और हिस्टिडीन अर्द्ध आवश्यक होते है क्योंकि ये मानव शरीर में धीमी गति से संश्लेषित हो जाते है।

प्रोटीनरहित अमीनों अम्ल

अप्रोटीन अमीनो अम्ल वे होते है जो प्रोटीन्स में नहीं पाए जाते है लेकिन मुक्त या संयुग्मी अवस्था में अप्रोटीन पदार्थों में पाये जाते है इनकी संख्या 180 से अधिक होती है।

(i) आर्निथीन व सिट्रूलिन यूरिया चक्र में भाग लेते है।

(ii) D-एलेनिन और D-ग्लूटेमिन अम्ल जीवाणु भित्ति की पेप्टाइडोग्लाइकन के संघटक होते है।

(iii) गामा एमिनोब्यूटाइरिक अम्ल या गाबा होते है जो कि क्लोराइड चैनल की ओपनिंग को inhibit करता है।

(iv) कई अणु प्रतिजैविको में एमिनों अम्ल के अनुरूप होते है जो प्रोटीन संश्लेषण को रोकते है , उदाहरण : D-phenylalanine in Gramicidin-S

(v) Actinomycin-D , RNA निर्माण का संदमक होता है जिसमे D-वेलिन उपस्थित होता है।

पेप्टाइड बंध

पेप्टाइड या एमाइड बंध वह लिंकेज है जो एक एमीनो अम्ल के एमिनो समूह और दुसरे एमिनो अम्ल के कार्बोक्सिलिक समूह के मध्य संघनन अभिक्रिया के दौरान स्थापित होती है। इसमें एक जल का अणु मुक्त होता है। पेप्टाइड बंध में -NH-CO- लिंकेज होती है। दो एमिनो अम्लों के मध्य में संघनन अभिक्रिया से डाइपेप्टाइड बनता है जिसमे एक छोर पर मुक्त कार्बोक्सिलिक समूह और दुसरे छोर के समीप मुक्त एमिनो समूह होता है। इस कारण एक डाइपेप्टाइड , एकल एमीनो अम्ल की भाँती व्यवहार करता है और एमीनो अम्लों की श्रृंखला बनाने के लिए अन्य अमीनों अम्लो के साथ संघनित हो सकता है। यदि अमीनों अम्लों की संख्या 10 या इससे कम होती है तो ये ओलिगोपेप्टाइड या simply पेप्टाइड कहलाते है। पोलीपेप्टाइड में अधिक संख्या में एमिनों अम्ल होते है।

एमीनों अम्लों के कार्य

1. ये प्रोटीन बिल्डिंग ब्लॉक्स की तरह कार्य करते है और बहुलकीकरण के द्वारा इनके संश्लेषण में सहायता करते है।

2. टाइरोसिन , थाइरोक्सिन व एड्रीनेलिन हार्मोन में परिवर्तित हो जाता है , यह त्वचा वर्णक में भी परिवर्तित हो जाता है , जिसे मिलेनिन कहते है। ग्लाइसीन रक्त के हीमोग्लोबिन के हीम और प्रोटीन का निर्माण करता है। ट्रिप्टोफेन का उपयोग विटामिन निकोटिनेमाइड और एक पादप हार्मोन इन्डोलएसिटिक अम्ल (IAA अथवा Auxin) के निर्माण होता है।

3. मोनो एमिनो अम्ल डीएमीनेशन के बाद एक अमीनों समूह के नुकसान के साथ ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाते है।

4. अप्रोटीन अमीनों अम्ल विभिन्न प्रकार के प्रति जैविको के संघटक के रूप में कार्य करता है।

5. यकृत में कुछ निश्चित एमिनों अम्ल जैसे सिट्रुलिन और आर्निथिन यूरिया चक्र में भाग लेते है।

6. एमाइड के रूप में कुछ एमिनो अम्ल के व्युत्पन्न नाइट्रोजन के संचय में सहायता करते है।

7.   यह हिस्टीडिन एमिनो अम्ल के डीकार्बोक्सीलीकरण से बनता है। सभी प्रकार की कोशिकाओं में यह हो सकता है। हिस्टामिन एलर्जिक प्रवाहित अभिक्रिया के दौरान बनता है। इसके कारण capillaries का फैलाव , रक्त दाब बढ़ जाता है और smooth muscles (bronchi , uterus) संकुचित हो जाते है और gastric स्त्राव बढ़ जाते है।

8. आवश्यकता से अधिक एमिनों अम्लों का डीएमीनेशन हो जाता है और इनके कार्बनिक अम्ल ग्लूकोज और अन्य कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित हो जाते है।

9. यह ऑक्सीकरण अपचयन अभिक्रियाओं का सह-एन्जाइम होता है , जिसमे ग्लूटेमिक अम्ल के ट्राइपेप्टाइड , सिस्टीन और ग्लाइसीन होते है। यह रसायन erythrocytes की ऑक्सीकारक क्षति को रोकने के लिए महत्वपूर्ण होता है।

10. कई हार्मोन प्रकृति से पेप्टाइड होते है , ऑक्सीटोसिन (birth hormone , milk ejection hormone ) और vasopressin (ADH एन्टीडाइयूरेटिक होर्मोन , urine concentrating hormone ) posterior pituitary के पेप्टाइड है।

11. सेकेरिन के स्वाद के बाद एस्पार्टेम असहनीय नहीं है , यह फेनिलकीटोन्यूरिया से ग्रसित व्यक्ति को सूट नहीं करता है।

अमीनो अम्ल

अमीनो अम्ल प्रोटीन के गठनकर्ता हैं। हमारी प्रकृति में कुल 20 अमीनो अम्ल होते हैं जिनमें से केवल दस अमीनो अम्ल ही जरूरी होते हैं।

1. अनिवार्य अमीनो अम्लः हिस्टडाइन, लायसाइन, फेनिएलानाइन, मिथिओनाइन, ल्युसाइन, आइसोल्युसाइनन, वलाइन, ट्राइप्टोफान, अर्गिनाइन और थ्रेओनाइन।

2. अनावश्यक अमीनो अम्लः ग्लूटामाइन, कार्निटाइन, सिस्टाइन, अलानाइन, अस्पराजाइन, अस्पार्टिक अम्ल, ग्लाइसीन, प्रोलाइन, सीरीन, टायरोसीन।

जल

जल एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका रासायनिक सूत्र भ्2व् होता है। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। कोशिका के सभी प्रमुख घटक जल में घुल जाते हैं। जल को सर्व-विलायक भी कहा जाता है। वे पदार्थ जो जल में भलिभांति घुल जाते हैं जैसे लवण, शर्करा, अम्ल, क्षार तथा कुछ गैसे विशेष रूप से ऑक्सीजन व कार्बनडाइऑक्साइड, उन्हें हाइड्रोफिलिक कहा जाता है । और जो नहीं घुल पाते हैं उन्हें हाइड्रोफोबिक कहा जाता है।

खनिज पदार्थ

ये कोशिकाओं और ऊतकों की भौतिक दशा को कायम रखने में अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके उदाहरण हैंः कैल्शियम, सोडियम, पोटैशियम, आयरन आदि।