वैसे देखा जाए तो फास्फोरस के लगभग 10 अपरूप होते है लेकिन फास्फोरस के मुख्य अपरूप लाल , काला और सफ़ेद (श्वेत) होते है इसके अलावा अंगूरी रंग का और बैंगनी रंग का फास्फोरस भी पाया जाता है इन अपरूपो के भौतिक गुण एक दुसरे से कुछ भिन्न होते है जिसका अध्ययन हम आगे करने जा रहे है।
फॉस्फोरस को मुख्यतः तीन अपरूपो में पाया जाता है जो निम्न है –
1. श्वेत या सफ़ेद फॉस्फोरस
2. लाल फॉस्फोरस
3. काला फॉस्फोरस
अब हम बारी बारी से इन सभी अपरूपों के बारे में विस्तार से अध्यन करते है।
1. श्वेत या सफ़ेद फॉस्फोरस (White Phosphorus)
- वह फोस्फोरस जिसे आर्क भट्टी से प्राप्त किया जाता है उसे श्वेत फॉस्फोरस कहा जाता है , इसे जब वायु में खुला छोड़ा जाता है तो यह श्वेत फास्फोरस पीला पड जाता है इसलिए ही इसको पीला फास्फोरस भी कहा जाता है।
- फास्फोरस के इन तीनों अपरूपो में से श्वेत फोस्फोरस सबसे अधिक क्रियाशील होता है और इसलिए ही सबसे कम स्थायी होता है।
- यह P4 के रूप में पाया जाता है , अर्थात श्वेत फास्फोरस में 4 परमाणु होते है जो आपस में जुड़कर चतुष्फलक रूप बना लेते है और इस प्रकार प्रत्येक P परमाणु , पडोसी 3 P परमाणुओं के साथ सहसंयोजक बंध द्वारा जुडा रहता है , अर्थात श्वेत या सफ़ेद फास्फोरस की चतुष्फलकीय संरचना होती है जिसे निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जाता है –
- P4 अणु में P परमाणुओं में एक दुसरे के कारण कोणीय तनाव पाया जाता है जिसके कारण 60 डिग्री का कोण पाया जाता है।
- यह मोम के समान बहुत ही मुलायम होता है इसलिए इसे चाकू की सहायता से आसानी से काटा जा सकता है।
- इसमें लहसून के समान गंध आती है।
- श्वेत फास्फोरस बहुत ही अधिक विषैला होता है , इसमें जो कर्मचारी एक लम्बे समय तक काम करते रहते है उन्हें बीमारी का शिकार होना पड़ता है जिसमें इन लोगो के जबड़े की हड्डियाँ गलने लगती है , इस रोग को फ्रोंसीजो बीमारी कहा जाता है।
- यह जल में नही घुलता है लेकिन एल्होकल और ईथर आदि में घुल जाता है।
- यह वायु में आग पकड़ लेता है इसलिए इसे खुला वायु में नही रखा जाता है।
2. लाल फॉस्फोरस (Red Phosphorus)
श्वेत (सफ़ेद) फास्फोरस की तरह यह भी P4 रूप में ही पाया जाता है लेकिन लाल फास्फोरस बहुलिकृत के रूप में पाया जाता है इसकी संरचना को निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जाता है –
यह विषैला नहीं होता है और न ही इसमें कोई गंध उत्पन्न होती है , यह जल में नहीं घुलता है। यह कठोर और क्रिस्टलीय ठोस के रूप में पाया जाता है यह जल में तो नहीं घुलता है लेकिन एल्कोहल और इथर में घुल जाता है। श्वेत फास्फोरस तो वायु में आग पकड लेता है इसलिए उसे खुला नही रख सकते है लेकिन लाल फास्फोरस वायु में आग नही पकड़ता है इसलिए लाल फास्फोरस को वायु में खुला रखा जा सकता है।
जब लाल फोस्फोरस को गर्म किया जाता है तो उर्ध्वपातन की क्रिया द्वारा वाष्प में बदल जाता है लेकिन जब इस वाष्प को संघनित किया जाता है तो यह श्वेत फास्फोरस प्राप्त होता है।
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