12th class chemistry chapter एल्डिहाइड, कीटोन और कार्बोक्जिलिक एसिड नोट्स (Aldehydes, Ketones and Carboxylic Acids) notes in hindi language topic wise .
एल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल pdf download
परिचय , नामकरण , ऐल्डिहाइड तथा कीटोन दोनों के बनाने की विधियाँ
रोजेन मुण्ड अपचयन , स्टीफैन , ईटार्ड , गाटरमान कॉख , फ्रीडल क्राफ्ट अभिक्रिया
कार्बोनिल यौगिक के भौतिक गुण , संरचना , क्वथनांक के बढ़ते क्रम
एल्डिहाइड व कीटोन में नाभिक स्नेही योगात्मक अभिक्रिया
क्लीमेन्सन अपचयन , वोल्फ किश्नर , फेलिंग विलयन & टॉलेन अभिकर्मक से क्रिया
हैलोफार्म अभिक्रिया , ऐल्डोल संघनन , क्रॉस ऐल्डोल संघनन , कैनिजारो अभिक्रिया
कार्बोक्सिलिक अम्ल क्या है , नामकरण , बनाने की विधियां , Carboxylic acid
कार्बोक्सिलिक अम्ल के भौतिक गुण , ऐमाइड , एनहाइड्राइड , एस्टर बनाना
-COOH समूह , कोल्वे विद्युत अपघटनी अभिक्रिया , कार्बोक्सिलिक अम्ल की अम्लीय प्रकृति
मुण्ड अपचयन एक प्रमुख पर्वतीय विधि है जिसका उपयोग वन विकास और प्रबंधन में किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य वनों के प्रबंधन के माध्यम से भूमि की सुरक्षा, उर्वरकता और पानी की संचयन को बढ़ाना है। यह विधि पहाड़ी क्षेत्रों में प्रयोग की जाती है जहां भूमि की गिरावट, जल प्रबंधन और भूगर्भीय वायुमंडल के उद्धार के लिए महत्वपूर्ण है।
मुण्ड अपचयन की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. मुण्ड बनाना: मुण्ड अपचयन की प्रक्रिया में पहले वन विभाग द्वारा प्राथमिक मुण्ड बनाए जाते हैं। यह मुण्ड भूमि परिवर्तन की शुरुआत करने वाली प्रक्रिया होता है।
2. पथ निर्माण: मुण्ड बनाने के बाद, मुण्ड अपचयन के दौरान पथ निर्माण किया जाता है। यह पथ वनीकरण और प्रबंधन के लिए संकेतित करता है और प्रवासी जानवरों और वन कर्मचारियों के लिए सुरंगों और मार्गों का निर्माण करता है।
3. भूमि संरक्षण: मुण्ड अपचयन की प्रमुख उद्देश्यों में से एक भूमि संरक्षण है। मुण्ड के निर्माण और पथ निर्माण के माध्यम से, जमीन को पानी और वायु के नुकसान से बचाया जाता है और जल प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए सुरंगों का निर्माण किया जाता है।
4. जल संचयन: मुण्ड अपचयन के माध्यम से, वन क्षेत्र में जल संचयन को बढ़ाने के लिए तालाब, झील, खद, नहर और अन्य जल संरचनाएं बनाई जाती हैं। यह जल संचयन पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करने और पृथ्वी की जलस्तर को बढ़ाने में मदद करता है।
इन सभी प्रक्रियाओं के माध्यम से मुण्ड अपचयन वन क्षेत्रों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और सुरक्षा, प्रबंधन और जल संचयन के माध्यम से भूमि की संरक्षण में मदद करता है।
कोल्वे विद्युत अपघटनी अभिक्रिया (Kolbe’s electrolysis reaction) एक विद्युत अभिक्रिया है जिसमें कार्बोक्सिलिक एसिड का विद्युत अपघटन किया जाता है और उससे दो प्राथमिक रासायनिक यौगिकों का उत्पादन होता है। यह अभिक्रिया कार्बोक्सिलिक एसिड के एकीकृत क्रमवार्ती ईस्टरों की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण है।
इस अभिक्रिया के दौरान, कार्बोक्सिलिक एसिड को विद्युत के संचालन में रखा जाता है। इसमें विद्युत प्रवाह के कारण, कार्बोक्सिलिक एसिड का अपघटन होता है और दो कार्बनिक रासायनिक यौगिकों, जो एक ईस्टर होता है और दूसरा कार्बनिक अम्ल होता है, का उत्पादन होता है।
यहां एक उदाहरण दिया गया है:
पहला पदार्थ: कार्बोक्सिलिक एसिड (R-COOH)
द्वितीय पदार्थ: ईस्टर (R’-COOR”)
तृतीय पदार्थ: कार्बनिक अम्ल (R”-COOH)
अभिक्रिया:
2R-COOH → R’-COOR” + R”-COOH
इस अभिक्रिया में कार्बोक्सिलिक एसिड को अपघटन करने के लिए धाराप्रवाही या प्राचुर्य विद्युत का उपयोग किया जाता है। यह विद्युत अभिक्रिया विज्ञान और रसायन विज्ञान में उपयोगी है और ईस्टर और कार्बनिक अम्ल की तैयारी में एक महत्वपूर्ण अभिक्रिया है।
ऐमाइड (Amide) एक रासायनिक यौगिक है जो एक कार्बोक्सिलिक अम्ल (carboxylic acid) और एक अमोनिया या अमिन (ammonia or amine) के बीच गुणस्थान करता है। ऐमाइड एक महत्वपूर्ण रासायनिक वर्ग है और बहुत सारे उपयोगों के लिए उपयोगी होता है।
ऐमाइड में कार्बोक्सिलिक अम्ल के कार्बोक्सील ग्रुप (-COOH) का हाइड्रोक्साइल (hydroxyl) धातु (O) के साथ संघटित होता है और अमोनिया या अमिन के निकटस्थ नाइट्रोजन (nitrogen) धातु (N) के साथ संघटित होता है। इस प्रकार, ऐमाइड में एक कार्बोनिल (carbonyl) ग्रुप (C=O) और एक निकटस्थ नाइट्रोजन अणु होते हैं।
ऐमाइड अपने संरचनात्मक प्रकार के कारण विभिन्न कार्यों के लिए उपयोगी होता है। यह जीवाणुओं, प्रोटीन, पेप्टाइड, फार्मास्यूटिकल दवाओं, संरचनात्मक रसायनों, प्लास्टिक, संशोधन यंत्रों, औद्योगिक रसायनिक प्रक्रियाओं, और बहुत सारे अन्य क्षेत्रों में उपयोग होता है।
ऐमाइड के उदाहरणों में से कुछ प्रमुख शामिल हैं:
– एस्पिरिन (Aspirin): यह एक प्रसिद्ध दर्दनाशक और एंटी-इन्फ्लेमेटरी दवा है।
– एसेटामाइड (Acetamide): यह एक एंटीबायोटिक के रूप में उपयोग होता है।
– नाइलोन (Nylon): यह एक प्रसिद्ध संशोधनीय पॉलीमर है और वस्त्र, रसायनिक औजार, इलेक्ट्रॉनिक्स, और अन्य क्षेत्रों में उपयोग होता है।
ऐमाइडों का उत्पादन विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाओं और संशोधन विधियों के माध्यम से किया जा सकता है, जैसे कि कार्बोक्सिलिक अम्ल और अमोनिया/अमिन के साथ प्रतिक्रिया, नाइट्राइल (nitrile) का हाइड्रोलाइसिस, या एमोनिया/अमिन के साथ कार्बोक्सिलिक एसिड का अपघटन।
एनहाइड्राइड (Anhydride) एक रासायनिक यौगिक है जो दो कार्बोक्सिलिक अम्लों के बीच गुणस्थान करता है। यह कार्बोक्सिलिक अम्लों की संघटकता को प्रतिष्ठित करता है और उन्हें एकल अणु पदार्थों में परिवर्तित करता है। एनहाइड्राइड धातु (O) के माध्यम से दो कार्बोनिल (carbonyl) ग्रुपों (C=O) का संयोजन करता है।
एनहाइड्राइड के उदाहरणों में से कुछ प्रमुख हैं:
1. एस्पिरिन का एनहाइड्राइड (Aspirin Anhydride): एस्पिरिन के निर्माण में एस्पिरिनिक एसिड (acetylsalicylic acid) का एनहाइड्राइड उपयोग किया जाता है।
2. अस्पर्टेमाइड का एनहाइड्राइड (Acetanhydride): यह एक प्रसिद्ध एनहाइड्राइड है और कार्बोक्सिलिक अम्लों के आपसी संघटन में उपयोग होता है।
एनहाइड्राइड उत्पादन विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जा सकता है, जैसे कि दो कार्बोक्सिलिक अम्लों के साथ रासायनिक अभिक्रिया, अस्ट्रोइड कार्बोक्सिलिक अम्लों की संघटन, या अस्ट्रालिड कार्बोक्सिलिक अम्लों के उपघटन के माध्यम से।
क्रॉस ऐल्डोल संघनन (Cross Aldol Condensation) एक रासायनिक प्रक्रिया है जो दो अल्डिक या केटोनिक यौगिकों के बीच गुणस्थान करती है। यह प्रक्रिया केमिस्ट्री में उपयोगी होती है और आपूर्ति में नया कार्बन-कार्बन बंध बनाती है।
क्रॉस ऐल्डोल संघनन के दौरान, दो अल्डिक या केटोनिक यौगिकों के कार्बोनिल (carbonyl) ग्रुपों का हाइड्रोक्साइल (hydroxyl) ग्रुप या उसका नाइट्रोजन प्राप्त होता है। इस प्रक्रिया में, प्राथमिक या सेकेंडरी अल्कोहल या अमिन को उपयोग किया जाता है जो अनुयायी (nucleophile) के रूप में कार्बोनिल ग्रुप के पास पहुंचता है और उसके साथ एल्डोल (aldol) अथवा नाइट्रोइल (nitroil) ग्रुप बनाता है। इसके बाद, एल्डोल या नाइट्रोइल यौगिक को उपघटित किया जाता है जिससे कार्बन-कार्बन बंध बनता है।
क्रॉस ऐल्डोल संघनन अनेक उपयोगों के लिए उपयोगी होती है, जैसे नये आर्थिक यौगिकों के सिंथेसिस में, फार्मास्यूटिकल रसायन में, और अन्य केमिस्ट्री और विज्ञान के क्षेत्रों में।