एल्कोहल , Alcohols in hindi , अल्कोहल का वर्गीकरण , types of alcohol , संरचना , structure of alcohol

एल्कोहल , फिनोल और इथर :

एल्कोहल : -OH समूह युक्त हाइड्रोकार्बन यौगिक व इनके बने व्युत्पन्न यौगिक एल्कोहल कहलाते है।

उदाहरण : CH3OH – मैथिल एल्कोहल

CH3-CH2-OH – एथिल एल्कोहल

एल्कोहल का सामान्य सूत्र निम्न होता है –

CnH2n+2O

या

CnH2n+1OH

यहाँ n = 1 , 2 , 3 , 4 ……….

एल्कोहल का वर्गीकरण :

इनको आगे निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है –

(A) on the basis of carbon atom which direct link of -OH group containing carbon atom.

(B) -OH ग्रुप की संख्या के आधार पर

(C) एलिल एल्कोहल

(D) बेन्ज़िल एल्कोहल

(E) वाइनिल एल्कोहल

  • इसमें -Cl समूह का -I प्रभाव समान स्थायित्व बढाता है।
  • क्लोरल हाइड्रेट में अन्त: अणुक हाइड्रोजन बंध बनने के कारण यह किलेट का निर्माण कर लेता है।

इसलिए स्थायी होता है।

(A) on the basis of carbon atom which direct link of -OH group containing carbon atom (-OH समूह युक्त कार्बन से जुड़े अन्य कार्बन की संख्या के आधार पर ) :

(i) प्राथमिक एल्कोहल : इसमें -OH समूह युक्त कार्बन अन्य एक कार्बन के साथ जुड़ा होता है।

(ii) द्वितीयक एल्कोहल : इसमें -OH समूह युक्त कार्बन अन्य दो कार्बन के साथ जुड़ा होता है।

(iii) द्वितीयक एल्कोहल : इसमें -OH समूह युक्त कार्बन अन्य तीन कार्बन के साथ जुड़ा होता है।

उदाहरण :

निओ पेंटील एल्कोहल में

एल्कोहल का प्रकार बताइये तथा -OH समूह से जुड़े कार्बन की संकरण अवस्था बताइए।

प्राथमिक एल्कोहल : SP3 संकरण

(B) -OH ग्रुप की संख्या के आधार पर (on the basis of number of -OH group) :

इनको आगे निम्न प्रकार बांटा गया है –

(i) मोनो हाइड्रिक एल्कोहल : इनमे ठीक एक -OH समूह जुड़ा होता है।

उदाहरण : CH3-OH मैथिल एल्कोहल

CH3-CH2-OH एथिल एल्कोहल

(ii) डाई हाइड्रिक एल्कोहल : इनमे दो -OH समूह जुड़े होते है।

उदाहरण : एथेन-1-2डाइ ओल

(iii) ट्राई हाइड्रिक एल्कोहल : इनमे तीन -OH समूह उपस्थित होते है।

उदाहरण : ग्लिसरीन

(iv) पोली हाइड्रिक एल्कोहल : इनमे तीन से अधिक -OH समूह उपस्थित होते है।

उदाहरण :

sorbital

manhital

aldital

or

Hexane 1,2,3,4,5,6

Hexol ol

(C) एलिल एल्कोहल (Allyl alcohol) : इनको आगे निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है –

(i) प्राथमिक एल्कोहल एलिल : उदाहरण – एलिल एल्कोहल या प्रोप-2एन-1-ओल

(ii) द्वितीयक एलिल एल्कोहल : उदाहरण : ब्युट-3-एन-2-ओल

(iii) तृतीयक एलिल एल्कोहल : उदाहरण – 2-मैथिल ब्युट-3-एन-ओल

(D) बेन्जिल एल्कोहल : इसको आगे निम्न प्रकार बांटा गया है –

(i) प्राथमिक बेन्जिल एल्कोहल :

उदाहरण – बेन्जिल एल्कोहल या 1-फेनिल मेथेनोल

(ii) द्वितीयक बेन्जिल एल्कोहल :

उदाहरण – 1-फेनील एल्कोहल

(iii) तृतीयक बेंजिल एल्कोहल :

उदाहरण : 2-फेनिल 2 – प्रोपेनोल

या

2-फेनिल प्रोप-2-ओल

(E) वाइनिल एल्कोहल (vinyl alcohol) :

in which -OH group containing carbon is SP2 hyberidised

उदाहरण : वाइनिल एल्कोहल

एल्कोहल क्रियात्मक समूह की संरचना (structure of alcohol functional group) :

कार्बन परमाणु का संकरण – SP3

ऑक्सीजन परमाणु का संकरण – SP3

संरचना का नाम – V-shaped

बंध कोण – 108.9

अयुग्मित  इलेक्ट्रॉन – 2 जोड़ी (4 इलेक्ट्रॉन)

समावयवता (Isomerism) : एल्कोहल निम्न प्रकार के समावययी दर्शाता है –

(a) श्रृंखला समावयवता :

उदाहरण – CH3-CH2-CH2-CH2-OH : 1-ब्युटेन

(b) positional isomers :

(c) Function Isomerism : उदाहरण – C2H16O

(d) प्रकाशिक समावयव : वे एल्कोहल जिनमे किरेल कार्बन पाया जाता है तथा जो ध्रुवण ध्रुवकता दर्शाते है , प्रकाशिक समावयव होते है।

उदाहरण :

संरचना 1 और संरचना 2 एक दुसरे के प्रतिबिम्ब होते है और इन्हें ही प्रकाशिक समावयवी कहते है।

pre protion method :

(i) एल्किल हैलाइड द्वारा : एल्किल हैलाइड की अभिक्रिया सान्द्र NaOH , सान्द्र KOH , सान्द्र NO2.CO3 या नम Ag से कराने पर एल्कोहल प्राप्त होते है।

यह अभिक्रिया नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन (Sn2) प्रकार से संपन्न होते है।

R-X + NaOH → R-OH + NaX

उदाहरण : CH3-CH2-I + NaOH → CH3-CH2-OH + NaI

(ii) एल्केनिल द्वारा : निम्न विधियों द्वारा बताये जाते है।

  • हाइड्रेशन द्वारा
  • By hydroboration – ऑक्सीकरण अभिक्रिया
  • by mercuration – demercuration

(i) जल योजन द्वारा (हाइड्रेशन द्वारा) : एल्केन की अभिक्रिया H2O के साथ कराने पर (Dilute H2SO4) की उपस्थिति में एल्कोहल बनते है।

यह अभिक्रिया इलेक्ट्रॉन स्नेही योगात्मक प्रकार से संपन्न होती है।

Dadirect method – In which uses of सान्द्र H2SO4 in old medium.

note : यदि unsymmetrical alcohol पर H2O का योग Dilute H2SOकी उपस्थिति में करवाते है तो योग m addition के अनुसार होता है।

(ii) हाइड्रोबोरीकरण – ऑक्सीजन अभिक्रिया : इस अभिक्रिया में एल्किन की अभिक्रिया शुष्क ईथर की उपस्थिति में Dibbrane के साथ करवाने पर ट्राई एल्किल बोरेन प्राप्त होता है।  जो क्षार की उपस्थिति में H2O2 द्वारा ओक्सिकृत होकर एल्कोहल बनाता है।

इस अभिक्रिया के प्रथम पद में ब्रोमेन जुड़ता है तथा द्वितीय पद में ऑक्सीकरण होता है इसलिए इस अभिक्रिया को संयुक्त रूप से हाइड्रोबोरीकरण ऑक्सीकरण अभिक्रिया कहते है।

इस अभिक्रिया में मुख्य रूप से जल का योग एंटी मोर्कोनिकाफ़ के नियम से होता है।

3CH2=CH2 + ½ B2H6 → (CH3-CH2)3B → 3CH3-CH2-OH + H3BO3

(iii) मर्क्युरीकरण – विमर्क्युरीकरण द्वारा (by mercuration – demercuration) : एल्किन की अभिक्रिया मरक्यूरिक एसिटेट व जल के साथ T.H.E. की उपस्थिति में करवाने पर एक योगात्मक उत्पाद प्राप्त होता है जो NaBH4 द्वारा अपचयित होकर 2 डिग्री एल्कोहल बनाता है।

इस अभिक्रिया के प्रथम पद में मर्करी जुड़ता है तथा द्वितीयक पद में मरकरी हटता है इसलिए इसे संयुक्त रूप से मर्क्युरीकरण – विमर्क्युरीकरण कहते है।

मूल रूप से इस अभिक्रिया में जल का योग मोर्कूनी मार्कोनी नियम के अनुसार होता है।