अलाई दरवाजा किसने बनवाया था alai darwaza was built by in hindi अलाई दरवाजा का निर्माण किसने करवाया कहाँ स्थित है

alai darwaza was built by in hindi अलाई दरवाजा किसने बनवाया था अलाई दरवाजा का निर्माण किसने करवाया कहाँ स्थित है  ?
मेहराब शैली-अलाई दरवाजा
अलाउद्दीन खिलजी के काल की इमारतें पूर्णतः इस्लामी विचारधारा के अनुकूल है। उसने कुतुबमीनार के पास 1311 ई. में अलाई दरवाजे का निर्माण करवाया। यह कुव्वत-उल-इस्लाम का मेहराबदार दरवाजा है। अलाई दरवाजे का गम्बद भारत में सही वैज्ञानिक विधि से बना हुआ प्रथम गुम्बद है। अलाई दरवाजा भारत की पहली इमारत है जहाँ केवल इस्लामी पद्धतियों का प्रयोग हुआ। इसका गुम्बद प्रारम्भिक तुर्की कला का श्रेष्ठ नमूना है। यहीं से हिंद-इस्लामी शैली का विकास होता है। स्थापत्य कला में गुम्बद को आधार प्रदान करने के लिए सबसे पहले भित्ति मेहराब प्रणालियों का प्रयोग अलाई दरवाजे में किया गया। अतः यह स्पष्ट है कि उस काल तक भारतीय कारीगरों ने मेहराब और गुम्बद बनाने की वैज्ञानिक विधि को आत्मसात् कर लिया था। इसमें चतुष्केन्द्रीय मेहराब या ट्यूडर मेहराब (4. Centred Arch) का प्रयोग किया गया है। यह लाल-बलुआ तथा श्वेत संगमरमर की पट्टियों से बना है। इसे इस्लामी वास्तुकला का रत्न कहा जाता है। मार्शल के अनुसार श्अलाई दरवाजा इस्लामी स्थापत्य कला के खजाने का सबसे सुन्दर हीरा है।श् फर्ग्युसन ने इसे सल्तनतकालीन इमारतों में सबसे सुंदर माना है।

प्रश्न: खिलजीकालीन स्थापत्य समकालीन राजनैतिक-आर्थिक परिस्थितियों की सुदृढ़ता को दर्शाता है। विवेचना कीजिए।
उत्तर: खिलजी कालीन स्थापत्य की विशेषताएं
(1) मेहराबें जो आकार में नुकीली तथा घोड़े की नालनुमा हैं।
(2) लाल-पत्थरों तथा नक्काशीदार संगमरमर का प्रयोग।
(3) अलंकरण में सुलेखन, ज्यामिति का प्रयोग।

सीरी नगर
अलाउददीन ने दिल्ली में मंगोल आक्रमण से सुरक्षा हेतु सीरी फोर्ट तथा उसमें हजार खम्भों वाला महल (हजार सितुन) का निर्माण करवाया। यह दिल्ली के 7 नगरों में से एक था। जिसका निर्माण 1303-4 ई. में दिल्ली में करवाया गया था। अलाउददीन खिलजी ने 1303 ई. में वृत्ताकार अलाई किला अथवा कोशके-सीरी जिसकी दीवारें पत्थर, ईट तथा चने की बनी थी और जिसमें सात द्वार थे, का निर्माण करवाया। अलाउद्दीन खिलजी कालीन दिल्ली सल्तनत मंगोल आक्रमण से त्रस्त रही। अतः वह मंगोलों से दिल्ली को सुरक्षित रखना चाहता था। इसलिए उसने सीरी दुर्ग निर्मित कराया। शेरशाह ने सीरी के किले को तोड़कर पुरानी दिल्ली के समीप एक नया शहर बसाया।
जमैयत खाना मस्जिद
यह पहली मस्जिद है जो पूर्ण रूप से मुस्लिम आदर्श पर बनी हुई है। यह लाल-बलुआ पत्थर से निर्मित है. निजामुद्दीन औलिया के मकबरे के पास है। यह तत्कालीन मस्जिदों में सबसे बड़ी थी। अलाउद्दीन ने कल उल-इस्लाम मस्जिद का प्रांगण प्रवर्धित करवाया।
हौज-ए-इलाही
इसे हौज-ए-खास भी कहा गया। सीरी के निकट हौज-ए-अलाई या हौज-ए-खास नामक तालाब बनवाया।
अलाउद्दीन ने कुतुबमीनार के पास उससे दुगुनी ऊँचाई की अलाई मीनार का निर्माण प्रारम्भ किया। किन्तु उसकी मृत्य से इसकी एक मंजिल के बाद निर्माण कार्य बन्द हो गया।
प्रश्न: तुगलककालीन स्थापत्य निर्माण में गुणात्मकता की बजाय बहुलता दिखाई देती है। कथन के संदर्भ में तुगलककालीन स्थापत्य की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर: तुगलक सुल्तानों ने लाल पत्थरों के स्थान पर सस्ते बलुआ पत्थरों (ैंदक ैजंदम) का उपयोग किया। तुगलक कालीन इमारत विशाल
किन्तु अत्यधिक सादगी पूर्ण है। संभवतः इसका कारण राजनीतिक अस्थिरता व आर्थिक तंगी थी। तगल स्थापत्य की महत्वपूर्ण विशेषता इसकी ढलवाँ दीवारें (सलामी पद्धति) हैं। इससे इमारत को मजबूती मिलती है। हालांकि फिरोज तुगलक की इमारतों में ढलवां दीवारों का प्रयोग नहीं मिलता। तुगलक स्थापत्य की दूसरी विशेषता मेहराब तथा शहतीर व बीम पद्धति के सिद्धान्तों का मिश्रण है। फिरोज तुगलक की इमारतों में यह विशेषता परिलक्षित होती है। हौज खास में यह विशेषता है। बलुआ पत्थर पर चिहन उत्कीर्ण करना आसान नहीं है। अतः तुगलककालीन इमारतों में कम से कम सजावट है। फिरोज की इमारतों में कमल के फूल को अलंकरण के रूप में उत्कीर्ण किया गया है।
गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलकाबाद फोर्ट का निर्माण करवाया तथा उसके चारों ओर कृत्रिम झील का निर्माण करवाया। इसी झील के बीच
गयासुद्दीन ने अपना मकबरा बनवाया। गयासुद्दीन का मकबरा नई स्थापत्य कला को जन्म देता है। इसमें भवन (मकबरे) ऊँचे प्लेटफार्म पर बनाया गया है तथा सुन्दरता बढ़ाने के लिये मार्बल का गुम्बद बनाया गया है। इसका गुम्बद हिन्दू वास्तुकला के प्रतीक कलश के अनुकरण पर निर्मित है। गयासुद्दीन ने दिल्ली में छप्पन कोट का दुर्ग बनवाया। यह रोमन शैली में बना है। मुल्तान में रूकने आलम के मकबरे को सबसे शानदार माना गया है। इसका निर्माण गयासुद्दीन तुगलक ने किया।
मुहम्मद बिन तुगलक ने दिल्ली में जहांपनाह नगर व तुगलकाबाद के निकट आदिलाबाद फोर्ट का निर्माण करवाया। मुहम्मद बिन तुगलक की जहांपनाह नगर में बनाई गई इमारतों में कवेल सथपलाह बांध और बिजाई मण्डल नामक दो इमारतों के अवशेष प्राप्त होते हैं।
फिरोज ने दिल्ली में फिरोजशाह कोटला नामक नया किला बनाया तथा हौज खास के निकट मदरसा बनवाया। फिरोज तगलक ने हौज खास में अपने प्रधानमंत्री खान-ए-जहाँ तेलंगानी का अष्टभुजाकार मकबरा बनवाया। यह दिल्ली में निमित प्रथम अष्ट भुजाकार मकबरा है। वैसे इसका निर्माण फिरोज के पुत्र जूना शाह खाने जहाँ ने किया। फिरोज के पुत्र खानेजहाँ जूना शाह ने काली मस्जिद, खिर्की मस्जिद व कलन मस्जिद का भी निर्माण करवाया। नासिरूद्दीन मुहम्मद तुगलक शाह के समय कबीरूद्दीन औलिया की कब्र पर लाल गुम्बद नामक मकबरा बना।