भूगोल किसे कहते हैं what is Geography definition in hindi meaning भूगोल की परिभाषा बताइए

भूगोल की परिभाषा बताइए भूगोल किसे कहते हैं what is Geography definition in hindi meaning ?

भूगोल क्या है, का विश्लेषण करना भू-आकृति विज्ञान में आवश्यक है, क्योंकि इससे भूगोल की सम्पूर्णता एवं उत्कृष्टता का बोध होता है। प्राचीनकाल से ही भूगोल में इसका अध्ययन किया जा रहा है। ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में अनेक समस्याओं से ग्रसित होने पर भी यह विषय अपने उद्देश्य पथ पर अग्रसर रहा। वैश्विक स्तर पर इसके विकास में अनेक बार शिथिलता उत्पन्न हुई, परन्तु अनेक भूगोलविद् अपनी मौलिक प्रतिभा से इसमें नव-ज्ञान-प्राण संचरण किये, फलतः यह वर्तमान स्वरूप को प्राप्त करने में समर्थ हुआ। विषय एवं विषयेत्तर अध्येताओं की जिज्ञासा का विषय है – भूगोल क्या है?
भूगोल विषमताओं एवं भिन्नताओं का विषय है, ये भिन्नतायें एवं विषमतायें – भौतिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक हैं, जिस कारण यह अन्य विषयों से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है। ‘भूगोल अन्य विज्ञानों की जननी है‘, ऐसा कतिपय भूगोलवेत्ताओं द्वारा मान्य है। पुराकाल में इसका सम्बन्ध मात्र वितरण से था, जिसके अन्तर्गत भौतिक, मानवीय एवं सांस्कृतिक तथ्यों को सम्मिलित किया गया। यह काल – भूगोल वितरणों का विज्ञान है, का काल माना गया। इस काल में भूगोल का स्वरूप वर्णनात्मक सृजित हुआ। धरातल पर विद्यमान तथ्यों के अध्ययन के लिए ‘कहाँ‘ शब्द का प्रयोग किया जाता था, अर्थात भौतिक, मानवीय या सांस्कृतिक तत्व कहाँ-कहाँ हैं।
समय के साथ ‘कहाँ‘ के साथ-साथ ‘क्यों‘ और ‘कैसे‘ शब्दों का प्रयोग किया जाने लगा, जैसे कोई वस्तु किसी स्थान विशेष पर है, तब वह कहाँ है, कैसे है, और क्यों है, का विश्लेषण किया जाने लगा। इस प्रकार के अध्ययनों में ग्रीक दार्शनिकों ने सराहनीय योगदान प्रस्तुत किये। इनके अध्ययनोपरान्त भूगोल महत्वपूर्ण परिवर्तन घटित हआ। इसमें कार्य-कारण तथा इनके अन्र्तसम्बन्धों का अध्ययन एवं अनसंधान किया जाने लगा। कोई कार्य है, तब उसका कारण कोई अवश्य होगा, कोई कार्य अकारण नहीं है। ‘वर्षा हो रही है‘ तो इसका कारण कोई अवश्य है। इनकी इस चिन्तनशीलता ने भूगोल में वैज्ञानिक अध्ययन का सूत्रपात किया। इन अध्ययनों को कास्मोग्राफी के अन्तर्गत विश्लेषित किया गया, जिसमें अनेक समस्याओं – बादल क्यों बनते हैं? वायु में गति क्यो होती है?, भूकम्प-ज्वालामुखी क्यों आते हैं? आदि का वैज्ञानिक अध्ययन किया गया है।
उपर्युक्त तथ्य भूगोल की विकासशील श्रेणियों को स्पष्ट करता है। वर्तमान समय में इस विषय का जो स्वरूप द्रष्टव्य है, वह अनवरत संघर्षों एवं श्रेणियों से गुजरने के पश्चात सृजित हुआ है।
‘प्राकृतिक वातावरण, मानव एवं इनके अन्तर्सम्बन्ध‘ का अध्ययन भूगोल का प्रमुख विषय है। इस प्रकार – ‘भूगोल मनुष्य एवं उसके वातावरण का अध्ययन‘ की संकल्पना का प्रादुर्भाव हुआ। कभी वातावरण मानव को तथा कभी मानव वातावरण को प्रभावित करता है। मानव की क्रियायें एवं वातावरण का प्रभाव दोनों परिवर्तनशील हैं, फलतः इनका सम्बन्ध सापेक्ष होता है। मानव वातावरण में चिन्तनशील गुण एवं क्रियाशील व्यक्तित्व से निरन्तर परिवर्तन करता है। जब यह परिवर्तन करने में असमर्थ हो जाता है, तब उससे वह समायोजन स्थापित कर लेता है। भूगोल में इस विचार ने नियतिवाद तथा सम्भववाद को उद्भुत किया। नियतिवाद का तात्पर्य वातावरण की प्रधानता से है, जिससे मानव प्रभावित होता है तथा संभववाद का तात्पर्य मानव की परिवर्तन क्षमता से है, जिससे वह वातावरण में परिवर्तन करता है। अतः भूगोल के अन्तर्गत सामन्जस्य के अध्ययन पर जोर दिया जाने लगा, जिससे यह विचार बनने लगा कि – भूगोल उस सामंजस्य का अध्ययन है, जो मानव ने वातावरण से स्थापित किया है। मानव तथा वातावरण के अन्तर्सम्बन्धों के अध्ययन से भूगोल में उत्कृष्टता का समावेश हुआ।
वैज्ञानिक प्रगति, दार्शनिक चिन्तन, मानवीय आवश्यकताओं ने भूगोल के अर्थ एवं विषय क्षेत्र को समय के साथ परिवर्तनशील बना दिया। ‘भूगोल मनुष्य के वातावरण का दर्शन है‘ एक उत्कृष्ट विचार भूगोल में उत्पन्न हो गया, जिसमें मानव एवं उसके कृतित्व को अत्यन्त महत्व प्रदान किया गया। तर्क को भूगोल में अध्ययन उपागम के रूप में मान्यता प्राप्त हुई तथा यह विचार प्रस्फुटित हुआ कि – भूगोल घरातल के सन्निकट की विषमताओं, भिन्नताओं एवं वितरणों का वैज्ञानिक अध्ययन एवं विश्लेषण करता है। ज्ञान एव तर्कज्ञान में भेद दर्शन के चिन्तन-संश्लेषणात्मक तथा विश्लेषणात्मक ज्ञान के आधार पर भूगोल में किया जाने लगा। जीवन- चक्र, प्रतीकवाद, अस्तित्ववाद, यथार्थवाद आदि उत्कृष्ट दार्शनिक चिन्तनों का समावेश भूगोल में हो गया, जिससे इसका स्वरूप अधिक मौलिक होने लगा।
धरातल, वातावरण, मानव एवं इनके अन्तर्सम्बन्धों का वैज्ञानिक अध्ययन एवं विश्लेषण ही भूगोल है, वर्तमान भूगोल की प्रवृत्ति के आधार पर कहा जा सकता है। धरातल के अन्तर्गत – जलमंडल, वायु मंडल, स्थलमण्डल तथा जैविक मंडल एवं वातावरण और मानव के अन्तर्गत-मानव का अध्ययन, जाता है। इस प्रकार भूगोल में दो प्रधान शाखाओं भौतिक भूगोल तथा मानव भूगोल की उत्पत्ति हुई।
भूगोल की प्रधान शाखा भौतिक भूगोल के मुख्य अध्ययन क्षेत्र-स्थल मण्डल की अध्ययन के कारण इसका विकास भू-आकृति विज्ञान के रूप में हुआ।