acraniata or protochordata meaning in hindi , ऐक्रैनियेटा या प्रोटोकॉर्डेटा ?
कॉर्डेटा संघ के सामान्य लक्षण (general characters of phylum chordata) :
- जलीय , वायवीय अथवा स्थलीय। कोई पूर्ण परजीवी नहीं , प्राय: सभी मुक्तजीवी।
- शरीर छोटे से वृहत , द्विपाशर्व सममित और विखंडी खण्डयुक्त।
- एक पश्चगुद पूंछ प्राय: किसी अवस्था में गुदा के पीछे निकली होती है जो प्रोढ़ावस्था में भी विद्यमान अथवा अनुपस्थित होती है।
तंत्रिका रज्जु और युग्मित क्लोम अथवा क्लोम छिद्र होते है , जो प्रौढो में स्थायी बने रहते है अथवा रूपांतरित हो सकते है अथवा लुप्त हो सकते है। कैम्ब्रियन से नूतन कल्प तक। कॉर्डेट्स। लगभग 50000 जातियाँ ज्ञात।
कॉर्डेट्स संघ को दो बड़े समूहों में बाँटा जा सकता है –
ऐक्रैनियेटा (प्रोटोकॉर्डेटा) और क्रेनियेटा (यूकॉर्डेटा) |
इनके भेदी लक्षण निम्नलिखित तालिका में दिए गए है –
समूह A. ऐक्रैनिया , प्रोटोकॉर्डेटा या निम्न कॉर्डेटा | समूह B. क्रेनियेटा , यूकॉर्डेटा या उच्च कॉर्डेटा |
1. केवल समुद्री , आकार में छोटे कॉर्डेट्स | जलीय अथवा स्थलीय , अधिकतर वृहत आकार वाले अकशेरुकी | |
2. पाद , शिरोभवन और बाह्य कंकाल अनुपस्थित | पाद प्राय: 2 जोड़े | सिर पूर्ण विकसित और बाह्य कंकाल उपस्थित |
3. प्रगुहा आंत्रगुहिक जो भ्रूणीय आद्यंत्र से मुकुलित होती है | | प्रगुहा दीर्ण गुहिक जो मध्यचर्म के विपाटन से उत्पन्न होती है | |
4. पृष्ठरज्जु दीर्घस्थायी | कपाल , क्रेनियम और मेरुदण्ड अनुपस्थित | | पृष्ठ रज्जु मेरुदण्ड से आच्छादित अथवा प्रतिस्थापित | कपाल एवं क्रेनियम विकसित | |
5. ग्रसनी स्थायी क्लोम झिर्रियाँ , सहित | अधोग्रसनी खाँच उपस्थित | | ग्रसनी क्लोम झिर्रियाँ स्थायी अथवा लुप्त हो जाती है | अधोग्रसनी खाँच अनुपस्थित | |
6. ह्रदय जब होता है , प्रकोष्ठ रहित | रुधिर लाल रक्त कणिका रहित | | ह्रदय में 2 , 3 या प्रकोष्ठ | रुधिर लाल रक्त कणिका युक्त | |
7. वृक्क अग्रवृक्क्क होते है | | वृक्क मध्य अथवा पश्च वृक्क होते है | |
8. लिंग पृथक अथवा संयुक्त | प्रजनन अलैंगिक तथा लैंगिक | जनन वाहिनियाँ प्राय: अनुपस्थित | | लिंग पृथक | केवल लैंगिक प्रजनन होता है | जनन वाहिनियाँ सदैव उपस्थित | |
9. स्वतन्त्र-प्लावी लारवा अवस्था सहित अप्रत्यक्ष परिवर्धन | | लारवा अवस्था सहित अथवा रहित अप्रत्यक्ष अथवा प्रत्यक्ष परिवर्धन | |
समूह A. ऐक्रैनियेटा या प्रोटोकॉर्डेटा
सभी समुद्री , छोटे , आद्य अथवा निम्न कॉर्डेट्स। सिर , खोपड़ी अथवा क्रेनियम , मेरुदण्ड , जबड़े तथा मस्तिष्क अनुपस्थित। लगभग 2000 जातियाँ ज्ञात। ऐक्रैनिया अथवा ऐक्रैनिएटा को मुख्यतः उपस्थित नोटोकार्ड के लक्षण के आधार पर तीन उपसंघों में विभाजित किया जाता है – हेमीकॉर्डेटा , यूरोकॉर्डेटा और सिफैलोकॉर्डेटा।
उपसंघ I. हेमीकॉर्डेटा : शरीर तीन प्रदेशों में बंटा होता है – प्रोबोसिस , कॉलर और धड।
संदेहास्पद नोटोकॉर्ड छोटा , प्रोबोसिस में सिमित और कॉर्डेट्स के पृष्ठरज्जु से असमजात।
वर्ग 1. एंटेरॉप्न्युस्टा : शरीर बृहत् और कृमि समान। क्लोम छिद्र अनेक। आंत्र सीधी। एकॉर्न अथवा जिव्हा कृमि। 70 जातियाँ ज्ञात। बैलैनोग्लोसस , सैकोग्लोसस।
वर्ग 2. टेरोब्रैंकिया : शरीर छोटा और संहत। क्लोम झिर्रियाँ एक अथवा अधिक जोड़े। U समान आंत्र। टेरोब्रैंक्स। 20 जातियाँ ज्ञात। सिफैलोडिस्कस , रेब्डोप्लूरा।
उपसंघ II. यूरोकॉर्डेटा अथवा कंचुकी : पृष्ठरज्जु और तंत्रिका रज्जु केवल टैडपोल समान लारवा में। प्रोढ़ थैली समान , प्राय: स्थानबद्ध और एक सुरक्षित कंचुक से आवरित। कंचुकी।
वर्ग 1. ऐसिडिएसिया : कंचुक में छितरी हुई माँसपेशियो युक्त स्थानबद्ध कंचुकी। एकल , निवही अथवा संयुक्त। अनेकों क्लोम झिर्रियाँ। ऐसिडियंस अथवा समुद्री स्क्वट्र्स।
1200 जातियां। हर्डमानिया , सायोना , मोल गुला।
वर्ग 2. थैलिएसिया : कंचुक में वर्तुल पेशीयुक्त स्वतंत्र प्लावी अथवा पेलैजिक कंचुकी। कभी कभी निवही। साल्प्स अथवा चेन कंचुकी 30 जातियाँ। साल्पा , डोलिओलम , पाइरोसोमा।
वर्ग 3. लार्वेसिया : छोटे , पारदर्शी , स्वतंत्र प्लावी। प्रोढ़ लारवा के बहुत से लक्षण , पूंछ सहित ,धारण किये होते है। केवल दो क्लोम झिर्रियाँ। 30 जातियाँ। ऑइकोप्ल्युरा।
उपसंघ III. सिफैलोकॉर्डेटा
पृष्ठरज्जु और तंत्रिका रज्जु शरीर की पूरी लम्बाई में आजीवन उपस्थित।
वर्ग लैप्टोकार्डाई : शरीर मछली के समान , स्पष्ट आदिपेशी खण्डो और असंख्य क्लोम झिर्रियों सहित खण्डयुक्त। स्वतंत्र प्लावी और बिलकारी। लैंसिलेट्स। 30 जातियाँ।
ब्रैंकिओस्टोमा अथवा एम्फिऑक्सस , एसिम्मैट्रोन।
समूह B. क्रेनियेटा या यूकॉर्डेटा : जलीय अथवा स्थलीय , प्राय: विशालकाय। स्पष्ट सिर , मेरुदण्ड , जबड़े और कपाल अथवा क्रेनियम से सुरक्षित मस्तिष्क सहित उच्च कॉर्डेट्स अथवा कशेरुकी।
क्रेनियेटा के अंतर्गत मात्र एक उपसंघ , कशेरुकी अथवा वर्टिब्रेटा होता है।
उपसंघ IV. कशेरुकी अथवा वर्टिब्रेटा : पृष्ठरज्जु , मेरुदण्ड अथवा कशेरुकदण्ड से , जो अतिव्यापी।
कशेरुकाओं से निर्मित होता है , द्वारा सम्पूरित अथवा प्रतिस्थापित। शरीर सिर , ग्रीवा , धड और पूंछ में विभक्त। प्राय: एकलिंगाश्रयी। वर्टिब्रेट्स। सर्वाधिक विशाल कॉर्डेट उपसंघ जिसके अंतर्गत लगभग 46500 जातियाँ सम्मिलित है।
उपसंघ वर्टिब्रेटा को दो खण्डो में बाँटा गया है – एग्नेथा और नैथोस्टोमैटा। इनके विपर्यासी लक्षण निम्नलिखित तालिका के अनुसार है –
खण्ड I. ऐग्नेथा | खण्ड II. नैथोस्टोमैटा |
1. वास्तविक जबड़ो रहित | | वास्तविक जबड़ो सहित | |
2. युग्मित अथवा जोड़ेदार पाद अनुपस्थित | जोड़ेदार पाद उपस्थित (पेक्टोरल और पेल्विक) |
3. अन्त:कर्ण 2 अर्धवृत्ताकार नलिकाओं सहित | अंत:कर्ण 3 अर्धवृत्ताकार नलिकाओं सहित |
4. पृष्ठ रज्जु प्रोढो में दीर्घस्थायी | पृष्ठरज्जु विद्यमान या कशेरुकाओं द्वारा प्रतिस्थापित |
खण्ड I. एग्नेथा
वास्तविक जबड़े और जोड़ीदार पादों रहित , जबड़े विहीन , आदिम , मछली समान कशेरुकी।
वर्ग 1. ऑस्ट्रेकोडर्मी : प्राचीन , आदिम , भारी कवच युक्त , पैलियोजोइक कल्प के अनेकों विलुप्त गण। संसार के सर्वप्रथम कशेरुकी जो सामूहिक रूप से ऑस्ट्रेकोडर्मस कहे जाते है। सिफैलेस्पिस , ड्रेपैनेस्पिस।
वर्ग 2. साइक्लोस्टोमैटा : शरीर ईल के समान। शल्क , जबड़ो और पाशर्व पंखो रहित। गोलाकार और चूषण मुख। क्लोम 5-6 जोड़े। परजीवी और अपमार्जक। 45 जातियाँ। लैम्प्रेज (पेट्रोमाइजॉन ) , और हैग मछलियाँ (मिक्साइन )
खण्ड II. नैथोस्टोमैटा
वास्तविक जबड़े और जोड़ीदार पादों सहित जबड़ेयुक्त कशेरुकी।
सुगमता की दृष्टि से कुछ वर्गिकीविज्ञो ने नैथोस्टोमैटा को फिर दो अधिवर्गों में बांटा है। सभी मछलियों और मछली के समान जलीय नैथोस्टोम्स को अधिवर्ग पीसीज में रखा गया है जबकि सभी चतुष्पद स्थलीय नैथोस्टोम्स को अधिवर्ग टेट्रापोडा में। इनके विरोधी लक्षण निम्नलिखित तालिका के अनुसार है –
अधिवर्ग 1. पिसीज | अधिवर्ग 2. टेट्रापोडा |
1. केवल जलीय नैथोस्टोम कशेरुकी | जलीय अथवा स्थलीय | कुछ वृक्षवासी और वायस |
2. युग्मित पाद होने पर पंखो के रूप में | जोडेदार पंचान्गुली पाद उपस्थित |
3. मध्य पंख उपस्थित | मध्य पंख अनुपस्थित |
4. त्वचा प्राय: नम और शल्की | त्वचा प्राय: शुष्क और श्रृंगी |
5. क्लोमो द्वारा जलीय श्वसन | फेफड़ो द्वारा वायव श्वसन |
6. ह्रदय 2 वेश्मीय | ह्रदय 3 अथवा वेश्मीय |
7. संवेदी अंग जल में कार्यशील | संवेदी अंग वायु में कार्यशील |
अधिवर्ग 1. पिसीज
जोड़ेदार एवं मध्य पंखो , क्लोमो और शल्की त्वचा युक्त मछलियाँ अथवा मछली समान जलीय कशेरुकी।
वर्ग 1. प्लैकोडर्मी :
पैलियोजोइक कल्प की आदिम , सर्वप्रथम , जबड़ेयुक्त मछलियों के अनेक विलुप्त गण। धड शील्ड से चल संधि द्वारा जुडी अस्थिल सिर की ढाल अथवा शील्ड। प्लैकोडर्म्स। क्लाइमेंटियस , डाइनिक्थिस।
वर्ग 2. कॉन्ड्रिकक्थीज : अधिकतर समुद्री। अन्त:कंकाल उपास्थिमय। त्वचा प्लैकॉइड शल्को युक्त। गिल छिद्र ऑपरकुलम बिना। नर में श्रोणीय आलिंगक। उपास्थिमय मछलियाँ। लगभग 600 जातियां। स्कोलियोडॉन अथवा डॉगफिश , काइमिरा अथवा रेटफिश।
वर्ग 3. ऑस्टिक्थीज : अलवण जलीय और समुद्री। अन्त:कंकाल अधिकतर अस्थिल। प्लैकोइड के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के शल्कों (साइकलॉइड, टीनॉइड) से युक्त त्वचा। क्लोम झिर्रियाँ प्रच्छद द्वारा ढकी हुई। नर आलिंगक रहित। अस्थिल मछलियाँ। 20000 जातियाँ। लेबिओ अथवा रोहु , प्रोटोप्टेरस अथवा फुफ्फुसमीन , हिप्पोकैम्पस अथवा समुद्री घोडा।
अधिवर्ग 2. टेट्रापोडा
दो जोड़े पंचागुलि पादों , श्रृंगी त्वचा और फुफ्फुस युक्त स्थलीय कशेरुकी।
वर्ग 1. एम्फिबिया : लारवा अवस्था अधिकतर जलीय जिसमे क्लोम द्वारा श्वसन। प्रोढ़ प्राय: स्थलीय और फुफ्फुस द्वारा श्वसन। त्वचा नम , ग्रंथिल और बाह्य शल्कों रहित। ह्रदय 3 वेश्मीय। असमतापी। उभयचरी। अनुमानत: 2500 जातियाँ। राना अथवा मेंढक , ब्यूफो अथवा भेक , एम्बिस्टोमा अथवा सैलामैंडर।
वर्ग 2. रेप्टीलिया : स्थलीय टेट्रापोड्स। बाह्यचर्मीय श्रृंगी शल्कों अथवा अस्थिल पट्टिकाओ से ढकी शुष्क त्वचा। ह्रदय अपूर्ण रूप से 4 वेश्मीय। असमतापी। फुफ्फुस द्वारा श्वसन। 7000 जातियाँ। हेमीडैक्टिलस अथवा भित्ति छिपकली , यूरोमैस्टिक्स अथवा स्पाइनी टेल लिजर्ड , नाजा अथवा कोब्रा , स्फ़ीनोडॉन अथवा टुऐटारा , क्रोकोडाइलस अथवा अ\मगर।
वर्ग 3. एवीज : पिच्छ अथवा परों से ढके प्रारूपिक उड़ने वाले कशेरुकी। अग्रपाद पंखो में रूपांतरित। दांतों रहित चोंच।
ह्रदय 4 वेश्मीय। समतापी। चिड़िया। लगभग 9000 जातियाँ। स्ट्रुथियो अथवा अफ्रीकन ऑस्ट्रीच , कोलम्बा अथवा कबूतर गैलस अथवा मुर्गी।
वर्ग 4. मैमेलिया : शरीर बालों से ढका हुआ। ग्रंथिल त्वचा। मादा स्तन ग्रंथियों युक्त जो शिशुओं के लिए दूध का स्त्राव करती है। ह्रदय 4 वेश्मीय। समतापी। वायु श्वसनीय कशेरुकी। 4500 जातियाँ। एकिडना अथवा कंटकी चींटीखोर , मैक्रोपस अथवा कंगारू , रेटस अथवा चूहा , होमो या मनुष्य।