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17 वें वर्ग के तत्व elements of 17th block

elements of 17th block 17 वें वर्ग के तत्व :

  1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास :
परमाणु क्रमांकप्रतिकइलेक्ट्रॉनिक विन्यास
9Fe2[He] 2S22P5
17Cl10[Ne] 3S23P5
35Br18[Ar] 3d104S24P5
53I36[Kr] 4d105S25P5
85At54[Xe] 4f145d106S26P5

नोट : इनका बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास nS2 nP5 होता है

नोट : इन्हें हैलोजन कहते हैं जिसका अर्थ है लवण बनाने वाले

नोट : समुद्री जल में यह सोडियम , पोटेशियम , कैल्शियम के क्लोराइड , ब्रोमाइड , आयोडाइड के रूप में पाए जाते हैं , समुद्री घास में यह कार्नेलाइट के रूप में पाए जाते हैं

  1. परमाणु आकार :

ऊपर से नीचे जाने पर कक्षों की संख्या बढ़ती जाती है अतः परमाणु का आकार बढ़ता जाता है

  1. आयनन एंथैल्पी :

परमाणु का आकार बढ़ने पर इसका मान कम होता जाता है

  1. विधुत ऋणता :

परमाणु आकार बढ़ने पर विधुत ऋणता कम होती जाती है

नोट : प्रत्येक आवर्त में हैलोजन की विधुत ऋणता सबसे अधिक होती है क्योंकि प्रत्येक आवर्त में इनका आकार छोटा व प्रभावी नाभिकीय आवेश सबसे अधिक होता है

नोट : आवर्त सारणी में सबसे अधिक विधुत ऋणता F की है क्योंकि इसका आकार छोटा व प्रभावी नाभिकीय आवेश सबसे अधिक होता है

  1. इलेक्ट्रॉन बंधुता या इलेक्ट्रॉन लब्धि एंथैल्पी :

इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने पर जो ऊर्जा निकलती है उसे इलेक्ट्रॉन लब्धि एंथैल्पी कहते हैं , परमाणु आकार बढ़ने पर इलेक्ट्रॉन लब्धि एंथैल्पी कम होती जाती है

अपवाद :

प्रश्न : Cl की इलेक्ट्रॉन लब्धि एंथैल्पी F से अधिक होती है क्यों ?

उत्तर : F का परमाणु आकार छोटा होने के कारण इस पर इलेक्ट्रॉन का घनत्व अधिक होता है जिससे आने वाला इलेक्ट्रॉन अधिक प्रतिकर्षण होता है , दूसरे शब्दों में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति कम होती है अतः इलेक्ट्रॉन बंधुता कम होती है

Cl का परमाणु आकार बडा होने के कारण इस पर इलेक्ट्रॉन का घनत्व कम होता है जिससे आने वाला इलेक्ट्रॉन कम प्रतिकर्षित होता है , दूसरे शब्दों में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति अधिक होती है अतः इलेक्ट्रॉन बंधुता अधिक होती हैं

नोट : आवर्त सारणी में सबसे अधिक इलेक्ट्रॉन बंधुता वाला तत्व क्लोरीन है

प्रश्न : हैलोजन को इलेक्ट्रॉन बंधुता के घटते क्रम में लिखिए

उत्तर : Cl > F > Br > I

  1. भौतिक गुण :
  • F2 पीले रंग की गैस , Cl2 हरे पीले रंग की गैस , Br2 लाल रंग का द्रव , I2 बैंगनी रंग का ठोस है
  • ऊपर से नीचे जाने पर गलनांक व क्वथनांक बढ़ते जाते हैं
  • सभी हैलोजन द्विपरमाण्वीय अणु है
  • सभी हैलोजन रंगीन होते हैं क्योंकि सूर्य के प्रकाश में दृश्य क्षेत्र से भी किरणों को अवशोषित कर लेते हैं जिससे इलेक्ट्रॉन निम्न ऊर्जा के कक्षको से चले जाते हैं , जब भी यह इलेक्ट्रॉन वापस ऊर्जा के कक्षाओं में जाते हैं तो दृश्य क्षेत्र में प्रकाश विकिरणों को उत्सर्जित करते हैं अतः यह रंगीन दिखाई देते हैं
  1. ऑक्सीकरण अवस्था :
  • इनकी न्यूनतम ऑक्सीकरण अवस्था -1 तथा अधिकतम ऑक्सीकरण +7 होती है ,
  • वह हैलोजन जिनमें खाली d कक्षक होते हैं वह +3 , +5 , +7 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं , ऑक्सीकरण अवस्था में जैन नियम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास दर्शाते हैं
  • F केवल -1 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं , क्योंकि इसकी विधुत ऋणता सबसे अधिक तथा खाली d कक्षको का अभाव होता है

नोट : F का आकार छोटा होने के कारण l.p -l.p (loan pair) प्रतिकर्षण बल अधिक होता है अतः F2 की बंध वियोजन एंथैल्पी कम होती है