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पशुपालन , Animal Husbandry in hindi , आखेट व संग्रहण , मत्स्यन , पशुचारण , पशु चारण

आखेट व संग्रहण :यह वन आवरण में किया जाता है।

दक्षिणी पूर्वी एशियाई आंतरिक क्षेत्र में संग्रहण होता है। यह संग्रहण पर्वत में ही होता है।

विश्व में संग्रहण: विश्व स्तर पर संग्रहण इन सबका होता है –

विभिन्न प्रकार की पत्तियों का , लकडियो का , कंद मूल , जड़ी बूटियो का और भारत में हमालय पर्वत माला पर भी संग्रहण होता है।

मत्स्यन: (i) आंतरिक जल (ii) समुद्री जल

आन्तरिक जल: तालाब , नदी , झील (मीठा पानी) आजीविका चलाने के लिए जनजातियो द्वारा किया जाता है और अल्प विकसित देश भी यह कार्य करते है।

समुद्री जल: जहाँ पर दो विपरीत धाराएँ मिलती है वहां पर अधिक मछलियाँ पायी जाती है। यहाँ पर मछलियों को खाना आसानी से प्राप्त होता है , यह पानी खारा होता है , यह व्यापार के उद्देशय से होता है। विकसित देश जापान में ओयरटर मछली का व्यापार करते है। कनाडा , विकाशील चीन , भारत , पेरू आजीविका के लिए जो मछली पालन करते है जिसमे तकनिकी , पूंजी , श्रम आदि निम्न स्तर का चाहिए।

व्यापारिक उद्देश्य से जो मछली पालन करते है उसमे पूँजी , तकनीके , श्रम , ज्ञान की उच्च स्तर का चाहिए।

बैक: समुद्र के निकट जो कम गहरा भाग होता है उसे बैक कहते है।

पशुचारण: यह आजीविका के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक पशुचारण करते है उसे ही पशुचारण कहते है।

पशुपालन: व्यापारिक उद्देश्य से किया जाता है उसे ही पशुपालन कहते है।

पशु’चारण में श्रम अधिक , तकनिकी निम्न , पूंजी – प्रयाप्त।

पशुओ की संख्या उनके सामाजिक स्तर को बताती है और यह जनजातियो के द्वारा कनीलाई युक्त किया जाता है।

भौतिक विशेषता: यह अधिक मरुस्थलीय क्षेत्र में मिलते है और यह घुम्मकड जीवन यापन करते है।

पशुचारण: पशु चारण पूर्णत: प्राकृतिक वनस्पति पर निर्भर रहता है , यह प्राकृतिक में भी घास के मैदानों पर।

पशुचारण :- इस प्रकार के जानवरों का पशु चारण करते है –

(i) भेड़ बकरियां (ii) गाय – बैल (iii) ऊंट

शीतोष्ण वातावरण में व्यापारिक पशुचारण होता है।

गर्म वातावरण में चलवासी पशुचारण होता है।

प्रश्न 1 : प्राथमिक व्यवस्था के अन्तर्गत मत्स्य व पशुचारण का वर्णन कीजिये।

उत्तर :प्राथमिक व्यवस्था:

(i) मत्स्य

(ii) पशुचारण

(i) मत्स्य: यह व्यवस्था भी प्राचीन काल से ही होता है आ रहा है , इस व्यवस्था में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध मछलियों की पकड़ते है तथा अपना जीवन निर्वाह करते है। मछलियाँ को भोजन के अलावा तल व चमड़ी प्राप्त करते दुधारू पशुओ को खिलाने व खाद बनाने आदि।

तकनीक विकास व बढती जनसँख्या की उदरपूर्ती के कारण मत्स्य व्यवसाय में आधुनिकीकरण हुआ –

  1. उत्तरी प्रशांत महासागर तटवर्तीय क्षेत्र
  2. उत्तरी अटलांटिक तटीय अमेरिकन क्षेत्र
  3. उत्तरी पश्चिमी यूरोपियन क्षेत्र
  4. जापान सागर क्षेत्र

पशुचारण: पशुओं से भोज्य पदार्थ , चमडा व ऊन प्राप्त करते है। यह व्यवसाय मुख्यत उन क्षेत्रो में किया जाता है , जहाँ जलवायु ऊष्ण व शुष्क अथवा शीतोष्ण व शुष्क होती है तथा धरातल उबड-खाबड़ व पर्वतीय होता है , पशुपालन के मुख्य क्षेत्र है।

(i) उष्णकटिबंधीय घास के मैदान

(ii) शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदान

(i) उष्णकटिबंधीय घास के मैदान: यहाँ पर घास की ऊँचाई 1.8 से 3.0 की बीच होती है। इन घास के मैदानों के सूडान में सवाना वेनेजुएला में लानोस , ब्राजील में कम्पास तथा दक्षिणी अफ्रीका में पार्कलैंड के नाम से जाना जाता है।

(ii) शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदान: यहाँ वर्षा का औसत 50 सेमी है , इन घास के मैदानों की रूस में स्टेपिज , USA में पम्पाज , आस्ट्रेलिया में डाउंस के नाम से जाना जाता है।

पशुचारण:

(1) चलवासी पशु चारण

(2) व्यापारिक पशुचारण

(1) चलवासी पशु चारण:

  • चलवासी पशुचारण मुख्यतः जीवन-निर्वाह क्रिया है।
  • यह पशुपालन का साधारण रूप जिसमे पशु मुख्यतः प्राकृतिक वनस्पति पर ही आश्रित होते है
  • चलवासी पशुचारण ये भूमि का विस्तृत उपयोग किया जाता है।
  • इनकी सम्पति इनके पशु होते है।
  • अधिकांश चलवासी चरवाहे कबीहे में रहते है।

(2) व्यापारिक पशुचारण:

  • यह अधिक व्यवस्थित तथा पूँजी प्रधान व्यवसाय है।
  • पशुओ के लिए बड़े बड़े फ़ार्म बनाये जाते है , जिन्हें “रेच” कहते है।
  • पशु उत्पादों को वैज्ञानिक ढंग से संशोधित एवं डिब्बा बंद कर विश्व बाजार में निर्यात कर किया जाता है।
चलवासी पशुचारणव्यापारिक पशुचारण
1. ये चारे व पानी की खोज में एक स्थान से दुसरे स्थान पर घूमते है।इस प्रकार का पशुचारण एक निश्चित स्थान पर बाड़ो में किया जाता है।
2. पशु प्राकृतिक रूप से पाले जाते है और उनकी विशेष देखभाल नहीं की जाती है।पशुओ को वैज्ञानिक रीती से पाला जाता है और उनकी विशेष देखभाल की जाती है।
3. यह पुरानी दुनिया तक सिमित होते है।यह मुख्यतः नयी दुनिया के देशो से प्रचलित है।