ज्यामितीय समावयवता (geometrical isomerism) , प्रकाशिक समावयवता (optical isomerism) , specific optical activity

त्रिविम रसायन (stereochemistry) : रसायन विज्ञान की वह शाखा जिससे यौगिक की त्रिविम संरचना का अध्ययन किया जाता है , त्रिविम रसायन कहलाता है।
इसमें यौगिक की 3D संरचना को कागज के तल पर 2D संरचना के रूप में अध्ययन किया जाता है।
समावयवता (isomerism) : वे कार्बनिक यौगिक जिनके अणु सूत्र तो समान होते है परन्तु भौतिक व रासायनिक गुण भिन्न होते है , तो ऐसे यौगिक समावयव कहलाते है तथा इस परिघटना को समावयवता कहते है।
समावयवता शब्द सर्वप्रथम Berzelius (बेर्ज़ेलिउस) नामक वैज्ञानिक द्वारा दिया गया।

समावयवता का वर्गीकरण (classification of isomerism)

इसको दो भागो में वर्गीकृत किया गया है –
1. संरचना समावयवता (structural isomerism)
2. त्रिविम समावयवता (stereoisomerism)
1. संरचना समावयवता (structural isomerism) :
यह निम्न भागो में वर्गीकृत किया गया है –
  • श्रृंखला समावयवता (chain isomerism)
  • स्थिति समावयवता (positional isomerism)
  • क्रियात्मक समावयवता (functional isomerism)
  • मध्यावयवता (metamerism)
  • चलावयवता (tautomerism)
2. त्रिविम समावयवता (stereoisomerism) :
  • विन्यासी समावयवता (configurational isomers)
  • संरूपण समावयवता (conformational isomerism)
विन्यासी समावयवता (configurational isomers) :
  • ज्यामितीय समावयवता (geometrical isomerism)
  • प्रकाशिक समावयवता (optical isomerism)
ज्यामितीय समावयवता (geometrical isomerism) : ये कार्बनिक यौगिक जिनमे द्विबन्ध (double bond) का प्रतिबंधित घूर्णन (restricted rotation of double bond) पाया जाता है तो इससे बनने वाले समावयव को ज्यामितीय समावयवता तथा इस परिघटना को ज्यामिति समावयवता कहते है।
यह समावयवता C=C , C=N , N=N , Alicyclic compound व oxime यौगिको द्वारा दर्शायी जाती है।
इस समावयवता में एक समान समूह द्विबंध बनाने वाले कार्बन के एक ही तल में उपस्थित हो तो उसे समपक्ष (cis) व विपरीत उपस्थित हो तो उसे विपक्ष (trans) के नाम से जाना जाता है।
इस समावयवता में यौगिक को समपक्ष (cis) व विपक्ष (trans) के रूप में लिखा जाता है।
इस समावयवता को समझने के लिए नेल (nail) नामक वैज्ञानिक ने नेल-कार्ड बोर्ड से प्रयोग किया।
ज्यामिति समावयवता निम्न यौगिको द्वारा प्रदर्शित की जाती है –
(A) Alkene compound
(B) Oxime compound
(C) Alicyclic compound
(A) Alkene compound : इसमें द्विबंध के प्रतिबंधित घूर्णन के कारण निम्न समपक्ष व विपक्ष बनते है –
नोट : यदि यौगिक में तीन समूह समान हो तो वह समपक्ष व विपक्ष समावयवता नहीं दर्शायेगा।
(B) Oxime compound : इन यौगिको का निर्माण कार्बोनिल यौगिक (Aldehyde व ketone) की NH2-OH (hydroxy amine) से क्रिया करवाकर प्राप्त किये जाते है।
यह समावयवता C=C , C=N यौगिक दर्शाते है , इसमें समपक्ष को सम व विपक्ष को प्रति (anti) के रूप में लिखते है।
इसमें -OH समूह को क्रम वरीयता वाले समूह की ओर रखा जाता है तो वह यौगिक सम कहलाता है।
उदाहरण : acetophenone oxime
(C) Alicyclic compound : यह ज्यामितिय समावयवता निम्न प्रकार दर्शाते है।
इनमे cyclic ring (साइक्लिक रिंग) के प्रति बंधित घूर्णन के कारण समपक्ष व विपक्ष समावयवता बनते है।
उदाहरण : डाइ मैथिल साइक्लो प्रोपेन
ज्यामितीय समावयवता (geometrical isomerism) के भौतिक गुण 
1. द्विध्रुव आघूर्ण (dipole moment) : इसमें समपक्ष की तुलना में विपक्ष का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है।
नोट : यदि यौगिक में भिन्न ऋणी समूह जुड़े हो तो विपक्ष का द्विध्रुव आघूर्ण अधिक होता है।
2. गलनांक और क्वथनांक : इसमें समपक्ष व विपक्ष में गलनांक व क्वथनांक का मान विपक्ष समावयव का अधिक होता है।
उदाहरण : Buten di oic acid

cis : गलनांक = 130 डिग्री सेल्सियस
trans : गलनांक = 237 डिग्री सेल्सियस

(ii) cinnamic acid
cis : गलनांक = 68 डिग्री सेल्सियस
trans : गलनांक = 133 डिग्री सेल्सियस
नोट : इसमें द्विबंध वाले कार्बन पर भिन्न विद्युत ऋणी वाले समूह जुड़े हो तो विपक्ष की तुलना में समपक्ष का क्वथनांक अधिक होगा।
उदाहरण : But-2-enoic acid

cis : गलनांक = 150 डिग्री सेल्सियस
trans : गलनांक = 72 डिग्री सेल्सियस
ज्यामितीय समावयवता (geometrical isomerism) के रासायनिक गुण 

1. ताप का प्रभाव : समपक्ष समावयव कम ताप पर निर्जलीकृत होकर Anhydride बनाते है।
विपक्ष समावयव अधिक ताप पर निर्जलीकृत होकर An hydride का निर्माण करते है।
Maleic acid (Cis) को 140 डिग्री सेल्सियस पर गर्म करने से यह निर्जलकृत होकर maleic an hydride बनाता है।
Fumeric acid (Trans) को 270 डिग्री सेल्सियस पर गर्म करने से यह पहले Maleic एसिड (Cis) में बदलता है व बाद में निर्जलकृत होकर Maleic Anhydride का निर्माण करता है।
2. हाइड्रोजन बंध (Hydrogen bonding) : समपक्ष समावयव में अंत: अणुक H-बंध (Intra molecular H-bond) का निर्माण करता है।
विपक्ष समावयव अन्तर अणुक H-बंध (Inter molecular H-bond) का निर्माण करता है।
maleic acid (cis) में अन्त: अणुक H बन्ध पाए जाने के कारण इसके गलनांक व क्वथनांक के मान कम होते है।
Fumeric acid (Trans) में अन्तर अणुक H-बंध बनता है , इस कारण इसके क्वथनांक व क्वथनांक के मान अधिक होते है।

प्रकाशिक समावयवता (optical isomerism)

वे कार्बनिक यौगिक जिनमे किरेल कार्बन पाया जाता है व जिनके दर्पण प्रतिबिम्ब एक-दूसरे पर अध्यारोपित नहीं होते तथा जो ध्रुवण ध्रुणकता दर्शाते है , प्रकाशिक समावयव होते है तथा इस परिघटना को प्रकाशिक समावयवता कहते है।
सर्वप्रथम सन 1848 में लुईस पाश्चर नामक वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम सोडियम अमोनियम टार्टरेट के प्रतिबिम्ब समावयवी प्राप्त किये।
उदाहरण : सोडियम अमोनियम टार्ट्रेट

ध्रुवण ध्रुणकता (optical activity)

यदि कार्बनिक यौगिक के विलयन में से समतल ध्रुवित प्रकाश को प्रवाहित किया जाता है तो यह प्रकाश के तल को घुमा देता है।  ऐसे यौगिक ध्रुवण घुर्णक यौगिक कहलाते है तथा इस परिघटना को ध्रुवण घ्रुणकता कहते है।
ऐसे यौगिक प्रकाशिक समावयवता दर्शाते है।
समतल ध्रुवित प्रकाश (plane polarised light) : साधारण प्रकाश निकोल-प्रिज्म में से गुजारने से प्रकाश के कण एक ही तल में कम्पन्न करते है तो इसे समतल ध्रुवित प्रकाश कहते है।
निकोल प्रिज्म (nicol prism) : वह प्रिज्म जो आईस्पार क्रिस्टल ( Icepar crystal) के दो टुकडो को एक निश्चित कोण पर जोड़कर बनाया जाता है तो इसे निकोल प्रिज्म कहते है।
इसे ध्रुवण मापी में समतल ध्रुवित प्रकाश प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त करते है।
ध्रुवण मापी (polarimeter) : वह उपकरण जिसकी सहायता से कार्बनिक यौगिक की ध्रुवण ध्रुवणकता का मापन किया जाता है , ध्रुवण मापी कहलाता है।
इसमें कार्बनिक यौगिक के विलयन को ध्रुवण मापी नली में लेकर इसमें से समतल ध्रुवित प्रकाश को प्रवाहित किया जाता है।
यदि कार्बनिक पदार्थ द्वारा समतल ध्रुवित प्रकाश के तल को दायीं ओर या घड़ी की दिशा में घुमाया जाता है तो इसे दक्षिण ध्रुवण घुर्णक कहते है।
इसे संकेत के रूप में d या (+) के रूप में दर्शाते है
यदि कार्बनिक यौगिक द्वारा समतल ध्रुवित प्रकाश के तल को बायीं ओर या घडी की विपरीत दिशा में घुमाया जाता है तो इसे वाम ध्रुवण घूर्णक कहते है।
इसे संकेत के रूप में l या (-) द्वारा दर्शाते है।
इस प्रकार एक ही कार्बनिक यौगिक के दो प्रकाशिक समावयव d या l प्राप्त होते है।
ध्रुवण घुर्णकता दर्शाने वाले यौगिक प्रकाशिकी समावयव होते है।
optical : ध्रुवण घूर्णकता को प्रभावित करने वाले कारक –
(i) पदार्थ की प्रकृति
(ii) विलायक की प्रकृति
(iii) विलयन की सांद्रता
(iv) विलयन का ताप
(v) धातु नलि (polarimeter tube) की लम्बाई
(vi) समतल ध्रुवित प्रकाश की तरंग दैर्ध्य पर
विशिष्ट ध्रुवण घूर्णकता (specific optical activity) :
किसी पदार्थ के ध्रुवण घूर्णन अंशो का वह मान जो एक ग्राम मिली पदार्थ की मात्रा को एक 1 डेसी-मीटर लम्बी नली में प्रयुक्त करने पर प्राप्त होता है तो इसे विशिष्ट ध्रुवण धुर्णकता कहते है।
यदि ध्रुवण घूर्णकता को पदार्थ के आण्विक द्रव्यमान से गुणा कर दिया जाए तो इसे आणविक ध्रुवण घूर्णकता कहते है।
नोट : जिस प्रकार किसी यौगिक के गलनांक व क्वथनांक भौतिक गुण होते है , उसी प्रकार ध्रुवण घूर्णकता भी पदार्थ के भौतिक गुण होते है जो यौगिक की संरचना व उपयोग में सहायक होते है।