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मानव व्यवसाय , manav vyvsay , प्राथमिक व्यवसाय , द्वितीयक व्यवसाय , प्राचीन काल , आखेट व संग्रहण

मानव व्यवसाय: मानव अपनी आजीविका के लिए कार्य करता है , मानव व्यवसाय कहलाता है।

प्राथमिकव्यवसाय: ऐसे क्रियाकलाप जिससे हमें कच्चा पदार्थ प्राप्त होता है।
उदाहरण : खनन , मत्स्यन , वानिकी , खेती-बाड़ी , पशुपालन।
द्वितीयकव्यवसाय: जहाँ पर प्राथमिक क्रियाकलाप से कच्चा पदार्थ प्राप्त कर उसमे परिवर्तन व परिभाजन तो इससे मूल्य में बढ़ोतरी हो जाती है।
उदाहरण : ऊर्जा उत्पादन , प्रसरकण , विनिर्माण , उद्योग आदि।
तृतीयव्यवसाय :प्राथमिक व द्वितीयक को जोड़ता है वह तृतीय क्रियाकलाप होता है।
उदाहरण : व्यापार , परिवहन , संचार , सेवाएँ वाणिज्य।
सेवा: सार्वजिक , व्यक्तिगत।
चतुर्थ व्यवसाय: ऐसा क्रियाकलाप जिसमे प्राथमिक , द्वितीय और तृतीय तीनो को फायदा पहुचाया जाता है इसमें वृद्धि व कोशल दोनों का उपयोग होता है।
उदाहरण : अनुसन्धान सूचना।
पंचम: यह क्रियाकलाप वृद्धि आधारित होता है जो प्राथमिक , द्वितीयक , तृतीय व चतुर्थ की मदद करता है।
उदाहरण : परामर्शदाता , विशेषज्ञ , निति आधारित , निर्णयकर्ता
प्रश्न : मानव व्यवसाय किसे कहते है ? मानव व्यवसाय का वर्गीकरण कर प्रत्येक के तीन तीन उदाहरण लिखिए।
उत्तर : मानव व्यवसाय : मानव अपनी आजिविका के लिए जो भी काम करता है उसे मानव व्यवसाय कहते है।
प्राथमिक क्रियाकलाप: इसमें निम्न वर्ग शामिल है –
  • खेती व बाड़ी
  • खनन
  • पशुपालन
  • मत्स्य
द्वितीयक क्रियाकलाप: इसके वर्ग निम्न है –
  • उद्योग
  • प्रसकरण
  • ऊर्जा उत्पादन
  • विनिर्माण
तृतीय क्रियाकलाप: इसका वर्गीकरण निम्न प्रकार है –
  • सूचना आधारित
  • अनुसंधान एवं विकास आधारित
पंचम क्रियाकलाप: ये निम्नलिखित है –
  • विशेषज्ञ
  • निर्णयकर्ता
  • परामर्शदाता
  • निति निर्धारण
(अ) प्रार्गेतिहासिक काल: इस काल मे मानव जंगली जानवरों का शिकार करता था तथा जंगलो में कंद-मूल , फल संग्रहण करता था। इस काल में सिमित जनसंख्या व सिमित आवश्यकतायें थी। मानव जंगली अवस्था में ही रहता था। शिकार नुकीले पत्थरों व लकड़ी के डण्डो से करता था। इस काल मे शिकार में कुत्ता , मानव का सहायक बना। यह प्राथमिक क्रियाकलाप से जुड़ा है।
(ब) प्राचीन काल: लोहा , ताम्बा व कांसा जैसे मजबूत धातुओं की खोज की जिससे वह उपयोगी हथियार व सामान बनाने लगा। इस काल में कृषि के साथ साथ कुटीर उद्योगों का भी तेजी से विकास हुआ यह भी जब तक प्राथमिक क्रियाकलाप से ही जोड़ा था।
(स) मध्यकाल: 600 ईस्वी से 1500 ई. के बीच की अवधि को मध्यकाल के अंतर्गत शामिल किया जाता है। यूरोप में इस काल में मानव व्यवसायों में विविधता बढ़ी बढती शिक्षा , व्यापार तथा सांस्कृतिक विकास के कारण बड़े बड़े नगरो का विकास हुआ व्यापार में वस्तुओं का विनिमय होता था।
(द) आधुनिक काल: आद्योगिक क्रियाओं के लिए वृहत स्तर पर विभिन्न खनिजो जैसे लौह अयस्क , ताम्बा , जस्ता व सीसा आदि का खनन वैज्ञानिक रीती से होने लगा। ऊर्जा के विभिन्न साधनो से ऊर्जा की प्राप्त के कारण वृहत स्तर पर उद्योगो में विभिन्न वस्तुओं का निर्माण होने लगा। विकास के उच्च स्तर पर पहुँचे। विकसित देशो के लोग चतुर्थक व पंचम व्यवसायों से अधिक जुड़े है।

प्राथमिक व्यवसाय

  • आखेट
  • संग्रहण
  • मछलीपालन
  • पशुपालन
  • कृषि
  • खनन
  • लकड़ी काटना
आखेट व संग्रहण: प्राचीनतम प्राथमिक व्यवसाय है और यह जनजातियो के द्वारा किया जाता है।
प्रोद्योगिक व तकनीके निम्न स्तर की है –
प्रारूप
  1. क्या
  2. पूंजी व तकनिकी
  3. साधनों की आवश्यकतायें
  4. क्षेत्र मानचित्र
  5. भौतिक विशेषता
  6. अन्य विशेषता
1. किसी भी जंगली जानवर शिकार या पकडकर खाना आखेट कहलाता है।
2. इस व्यवसाय में पूंजी व तकनिकी निम्न स्तर की लगती है।
3. इस व्यवसाय में हाथो के बनाये हुए ही साधन काम में लिए जाते है।
4.क्षेत्रो:
  • कनाडा के ट्रणडा और टेगा प्रदेश में एस्किमो।
  • उत्तरी साइबेरिया में बसने वाले सेमोयाड तुग , याकुत , माझ चकर्च , कोश्याक आदि जनजातियो द्वारा।
  • कालाहारी मरुस्थल में तुश्मैन जनजाति द्वारा।
  • कोगो वेसिन में पिग्मी जनजाति द्वारा।
  • मलाया में समाग व सकाई जनजाति द्वारा।
  • वोर्नियो में पुतान द्वारा।
  • युगिनी में पापुआन द्वारा
  • अमेजन वेसिन में जिगरो व यागुआ जनजाति द्वारा।
5. अतिशितित व अत्यधिक गर्म प्रदेशो में रहने वाले लोग आखेट द्वारा जीवन यापन करते है। यह कठोर कार्य जलवायु दशाओ में घुक्कड़ जीवन जीते हुए किया जाता है।
6. भारत में शिकार पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया गया है , केवल विशिष्ट प्रदेशो के निवासी आखेट से जीवन यापन करते है।