rf = △Vf /△If
मात्रक = ओम (Ω)
कुछ 100 Ω तक
विशेष उपयोग के डायोड :-
प्रश्न : निम्न डायोडो के प्रतिक चिन्ह बनाइये।
(i) जेनर डायोड
(ii) फोटो डायोड
(iii) प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED)
उत्तर : (i) जेनर डायोड
(ii) फोटो डायोड
(iii) प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED)
नोट : फोटो डायोड एवं LED डायोड प्रकाश पर आधारित युक्तियाँ होती है इसलिए इन्हें ऑप्टो (opto) इलेक्ट्रॉनिक युक्तियाँ कहते है।
(i) जेनर डायोड : वह विशेष डायोड जिसके P तथा N भागो को अत्यधिक अपमिश्रित करके बनाया जाता है तथा इस डायोड को अधिकांश पश्च बायस में जोड़कर उपयोग में लेते है , वही जेनर डायोड होता है।
इस डायोड में अत्यधिक अपमिश्रण के कारण p-n संधि के दोनों ओर बनने वाली अवक्षय परत बहुत पतली होती है जिसके कारण इस डायोड का भंजन विभव Vz बहुत कम मान का होता है।
जेनर डायोड को अग्र बायस में जोड़ने पर वह सामान्य डायोड की तरह कार्य करता है , इस डायोड को पश्च बायस में जोड़कर जब पश्च वोल्टता को भंजन विभव Vz के बराबर किया जाता है। तो यह डायोड अपने दोनों सिरों के बीच वोल्टता Vz पर नियत रखने के लिए धारा को तेजी से बढ़ने देता है। यह डायोड भंजन स्थिति में अत्यधिक पश्च धारा को सहन कर सकता है।
इस प्रकार जेनर डायोड भंजन स्थिति में अपने दोनों सिरों के मध्य वोल्टता स्थायी एवं नियमित रखता है इसी कारण इस डायोड को पश्च बायस में जोड़कर वोल्टता स्थायीकरण अथवा वोल्टता नियमन के काम में ले सकते है। इस डायोड के लिए इसका पश्च अभिलाक्षणिक वक्र निम्न प्रकार दर्शाते है –
प्रश्न : जेनर डायोड को वोल्टता स्थायीकरण अथवा वोल्टता नियमन में किस प्रकार काम में लिया जाता है ? आवश्यक चित्र की सहायता से समझाइये।
उत्तर : किसी भी जेनर डायोड को वोल्टता स्थायीकरण / नियमन के उपयोग में लेने के लिए चित्रानुसार एक श्रेणी प्रतिरोध Rs के साथ श्रेणी क्रम में जोड़कर इस संयोजन के दोनों सिरों के बीच अनियमित वोल्टता लगायी जाती है। जिस उपकरण अथवा लोड प्रतिरोध के दोनों सिरों के बीच वोल्टता नियमित करनी होती है। उसे जेनर डायोड के दोनों सिरों के बिच समान्तर क्रम में जोड़ देते है।
जब परिपथ में लगायी गयी नियमित निवेशी वोल्टता का मान एक निश्चित मान के पश्चात् इतना बढ़ जाता है की जेनर डायोड भंजन स्थिति में चला जाए तब जेनर डायोड अपने दोनों सिरों के बीच वोल्टता Vz पर नियत रखते हुए खुद से बहने वाली धारा तेजी से बढ़ने देता है। अतिरिक्त बढ़ी हुई वोल्टता श्रेणी प्रतिरोध Rs के सिरों के बीच बढ़ जाती है। इस प्रकार जेनर डायोड अपने दोनों सिरों के बीच वोल्टता Vz पर स्थायी रखता है।
जब अनियमित वोल्टता निश्चित मान से कम होती हो तब पुनः जेनर डायोड अपने दोनों सिरों के बीच वोल्टता Vz पर नियत रखते हुए अतिरिक्त घटी हुई वोल्टता प्रतिरोध Rs के सिरों के बीच घटा देता है। इस प्रकार जेनर डायोड अपने दोनों सिरों के बीच वोल्टता को स्थायी / नियमित बनाये रखता है।
(2) फोटो डायोड : वह विशेष डायोड जिसके p अथवा n भागो में से किसी एक भाग को पतला बनाया जाता है तथा इस डायोड की संधि पर प्रकाश आपतित होने के लिए एक पारदर्शी खिड़की तैयार की जाती है , वही फोटो डायोड होता है।
फोटो डायोड को भी जेनर डायोड की तरह ही पश्च बायस में जोड़कर विशेष उपयोग में लेते है।
जब किसी फोटो डायोड के संधि क्षेत्र पर प्रकाश फोटोनो के रूप में आपतित होता है तब संधि क्षेत्र में उपस्थित अनेक सहसंयोजी बंध इन फोटोन का अवशोषण कर टूट जाते है इन सहसंयोजी बन्धो के टूटने से समान मात्रा में अतितिक्त मुक्त इलेक्ट्रॉन एवं अतिरिक्त होलो का जनन होता है।
यह आवेश वाहक संधि क्षेत्र के विद्युत क्षेत्र के कारण अलग-अलग कर दिए जाते है। होल N से P भाग की ओर तथा मुक्त इलेक्ट्रॉन p से n भाग की ओर अलग अलग करके भेज दिया जाता है। इन अतिरिक्त आवेशो के बहने से फोटो डायोड में धारा के मान में वृद्धि हो जाती है।
फोटो डायोड के निम्न मुख्य उपयोग होते है –
- प्रकाश के संसूचन में
- प्रकाश चालित स्विच के रूप में
- कम्पुटर टेप की सूचनाओ को पढने में
- प्रकाशीय तंतु संचार में