असामान्य मोलर द्रव्यमान क्या है Unusual molar mass in hindi
what is Unusual molar mass in hindi असामान्य मोलर द्रव्यमान परिभाषा क्या है ?
असामान्य मोलर द्रव्यमान : अणु संख्य गुणों की सहायता से विलेय का सही अणुभार तभी ज्ञात कर सकते है जब निम्न परिस्थिति हो।
- विलयन तनु होना चाहिए तथा राउल्ट नियम का पालन करना चाहिए।
- विलयन में विलेय पदार्थ का न तो वियोजन होना चाहिए न संगुणन होना चाहिए।
नोट : ग्लूकोज़ , सूक्रोज , यूरिया आदि का जल में न तो संगुणन होता है न ही वियोजन होता है।
नोट : जब किसी विलेय पदार्थ का विलायक में वियोजन या संगुणन हो जाता है तो विलयन में विलेय के कणों की संख्या परिवर्तन हो जाती है जिससे विलेय का प्रेक्षित अणुभार सैद्धांतिक अणुभार से कम आता है , इसे असामान्य अणुभार या असामान्य मोलर द्रव्यमान कहते है।
निम्न विधुत अपघट्यो का वियोजन निचे दर्शाया गया है।
NaCl(s) = Na+(aq) + Cl–(aq)
CaCl2 = Ca2+ + 2Cl–
AlCl3 = Al3+ + 3Cl–
Al2(SO4)3 = 2Al3+ + 3SO42-
K4[Fe(CN)6] = 4K+ + [Fe(CN)6]4-
नोट : जब किसी विलेय पदार्थ का वियोजन होता है तो उसका अणुभार सैद्धांतिक अणुभार से कम आता है।
जैसे NaCl तथा CaCl2 अदि के लिए इनका अणुभार सैद्धांतिक अणुभार का आधा या एक तिहाई होगा।
एसिटिक अम्ल , बेन्जोइक अम्ल , बेंजीन विलायक में द्विलक के रूप में होते है।
2CH3 COOH = (CH3COO)2
2C6H5COOH = (C6H5COOH)2
जब विलयन में विलेय पदार्थ का संगुणन होता है तो उसका प्रेक्षित अणुभार सैद्धान्तिक अणुभार से अधिक आता है।
जैसे : बेंजीन विलायक में ऐसिटिक अम्ल का प्रेक्षित अणुभार 120 तथा सैद्धांतिक अणुभार 60 होता है।