प्रकार वर्गीकृत किया गया इसके बारे में पढेंगे |
के वर्गीकरण का मुख्य श्रेय रूसी रसायनज्ञ मेन्डेलीफ को दिया जाता है। तत्वों के गुणधर्मों का,
उनके
परमाणु द्रव्यमान के साथ सबंध स्थापित
करने की कोशिश की
अपनी आवर्त सारणी में तत्वो को इनके मूल गुणधर्म,
परमाणु
द्रव्यमान तथा रासायनिक
में समानता के आधार पर व्यवस्थित किया।
मेन्डेलीफ ने यह काम आरम्भ किया तब केवल
63 तत्व के बारे में ही पता चला था
तत्वो के परमाणु दव्यमान एवं उनके भोतिक और रासायनिक गुणधर्मो के बीच सबंध स्थापित
करने की कोशिश की
गुणधर्मों के अंतर्गत मेन्डेलीफ ने तत्वों की ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया करवाकर
उससे बनने वाले यौगिकों पर ध्यान दिया क्योकि
ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन अत्यंत सक्रिय होते हैं तथा अधिकांश तत्वों के साथ यौगिक
बनाते हैं। इन तत्व से बनने वाले हाइड्राइड एवं ऑक्साइड के सूत्र को तत्वों के
वर्गीकरण के लिए मूलभूत गुणधर्म माना गया।
तत्वो को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढते
हुए क्रम में व्यवस्थित करने की कोशिश की
जिनके की भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म समान होते है। उन्होंने पाया की विभिन्न तत्व
जिनके भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म समान होते है। एक निश्चित अंतराल के बाद फिर आ
जाते हैं। इसी आधार पर मेन्डेलीफ ने आवर्त सारणी बनाई। इस सिद्धांत के अनुसार
का आवर्त फलन होते हैं।
की आवर्त सारणी में खड़े स्तंभ को ‘ग्रुप’ तथा क्षैतिज पंक्तियों को ‘पीरियड’ (आवर्त) कहते हैं
सारणी में मेन्डेलीफ ने सारणी में अधिक द्रव्यमान वाले तत्व को कभी-कभी कम द्रव्यमान
वाले तत्व से पहले रखा। ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योकि सामान गुणधर्म वाले तत्वो को एक
साथ रखा जाये
के लिए
(परमाणु द्रव्यमान 58.9) सारणी में निकैल (परमाणु द्रव्यमान 58.7) से
है।
ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ खाली स्थानों को छोड़ दिया। इन खाली स्थानों को छोड़ने का उनका यह फैसला बिलकुल सही था । उन्होंने
इन खाली स्थानों भरने के कुछ ऐसे तत्वों के अस्तित्व का अनुमान किया जो उस समय तक
ज्ञात नहीं थे।
नए तत्वो का नामकरण उन्होंने उसी समूह में
इससे पहले आने वाले तत्व के नाम में एका
उपसर्ग लगाकर किया। जैसे बाद में ज्ञात होने वाले स्कैंडियम,
गैलियम,
जर्मेनियम
के गुणधर्म क्रमशः एका-बोरॉन, एका-ऐलुमिनियम तथा एका-सिलिकॉन के समान
थे।
मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी की परिशुद्धता तथा उपयोगिता के ठोस प्रमाण
गए। उनकी आवर्त सारणी को मेन्डेलीफ के अनुमान की असाधारण सफलता के कारण
कम है। जब इन गैसों का पता चला तब पिछली व्यवस्था को छेड़े बिना ही इन्हें नए समूह
में रख दिया गया मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी की यह
विशेषता सबसे बड़ी थी।
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास क्षार धातुओं से मिलता है और क्षार धातुओं की भांति ही हाइड्रोजन
हैलोजन, ऑक्सीजन एवं सल्फ़र के साथ अभिक्रिया कर सामान
सूत्र वाले यौगिक H2O,HCl,H2S etc बनाता है
भी हैलोजन की भाँति द्रिपरमाणुक अणु के रूप में पाई जाती है और धातुओं एवं अधातुओं
साथ सहसंयोजक यौगिक बनाती है।
== किसी तत्व के अलग अलग रूप जिनके
रासायनिक गुणधर्म ( परमाणु संख्या ) समान होती है लेकिन परमाणु द्रव्यमान
अलग अलग होता है उस तत्व के समस्थानिक कहलाते है उदाहरण Cl35 , Cl37 Cl के दो समस्थानिक
है
का पता चला।
मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी के लिए एक बड़ी चुनौती थी।
परमाणु द्रव्यमान एक तत्व से दूसरे तत्व की ओर आगे बढ़ने पर नियमित रूप से नहीं बढ़ते
है ।
कारण यह अनुमान लगाना कठिन हो गया की किन्ही दो तत्व के बीच कितने और तत्व खोजे जा
सकते हैं ? ऐसे तत्व जिनके परमाणु द्रव्यमान ज्यादा होते है इसमें यह कठिनाई आती
है
परमाणु संख्या पर करना अधिक विश्वनीय है । तत्व के परमाणु द्रव्यमान की तुलना में
उसकी परमाणु-संख्या अधिक आधारभूत गुणधर्म है। मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में
परिवर्तन किया गया और इस आवर्त सारणी को परमाणु-संख्या के आधार पर तैयार किया गया।
आवर्त नियम के अनुसार
के गुणधर्म उनकी परमाणु-संख्या के आवर्त फलन होते हैं।’
परमाणु के नाभिक में स्थित प्रोटोनों की संख्या से हमे उस तत्व की परमाणु संख्या का
पता चलता है। एक तत्व से दूसरे तत्व तक बढ़ने पर परमाणु संख्या में एक की बढ़ोतरी
होती है।
में व्यवस्थित करने पर जो वर्गीकरण प्राप्त होता है उसे आधुनिक आवर्त सारणी कही जाता है।“
को परमाणु-संख्या के बढते हुए क्रम में व्यवस्थित करने पर तत्वों के गुणधर्मों का
अधिक परिशुद्धता से अनुमान लगाया जा सकता है।
आवर्त सारणी में मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी की तीनों कमियों को सुधारा गया है ।
तत्वों का आवर्त वर्गीकरण
किसी मौलिक गुण को आधार बनाकर की गयी पदार्थों की ऐसी व्यवस्था जिसमें निश्चित अंतराल के बाद समान गुण वाले पदार्थ पुनः उपस्थित हों, आवर्ती वर्गीकरण कहलाता है।
सर्वप्रथम जर्मन रसायनाशास्त्री लाॅथर मेयर ने 1960 में तत्वों को उनके परमाणु आयतनों के आधार पर वर्गीकृत किया।
तत्वों का पहली बार आवर्त वर्गीकरण रूस के वैज्ञानिक मैण्डलीफ ने किया।
आवर्त वर्गीकरण में क्षैतिज स्तंभ को आवर्त तथा ऊर्ध्वाधर स्तंभ को समूह या वर्ग कहा जाता है।
मैण्डलीफ का आवर्त नियम
उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में महान् रूसी वैज्ञानिक डी. आई. मेण्डलीफ (1869) ने तत्वों तथा उनके यौगिकों के तुलनात्मक अध्ययन से एक नियम प्रस्तुत किया जिसे मेण्डलीफ का आवर्त नियम कहते हैं।
इस नियम के अनुसार तत्वों के गुण उनके परमाण भारों के आवर्ती फलन हैं।
इस नियम का तात्पर्य है कि तत्वों को उनके परमाणु भारों के बढ़ते हुए क्रम से व्यवस्थित करने पर एक नियमित अन्तर से भौतिक व रासायनिक गुणों की पुनरावृत्ति (आवर्तिता) होती है, किन्तु आधुनिक खोजों से ज्ञात हुआ कि तत्वों का मूल लक्षण परमाणु भार न होकर परमाणु क्रमांक है।
इस आधार पर मोसले (1913) ने आधुनिक आवर्त नियम प्रस्तुत किया जिसके अनुसार तत्वों के गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन हैं।
परमाणु क्रमांक 1 से 118 तक के तत्वों की खोज हो चुकी है। 113, 115 तथा 117 परमाणु क्रमांक वाले तत्वों की पहचान अभी शेष है।