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सल्फर के अपरूप (allotropic forms of sulphur in hindi) , विषम लंबाक्ष सल्फर , एकनताक्ष , α β sulphur

(allotropic forms of sulphur in hindi) सल्फर के अपरूप : सल्फर एक रासायनिक तत्व है जिसका परमाणु क्रमांक 16 होता है और इसे S द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
यह एक ठोस क्रिस्टल के रूप में पीले रंग के ठोस के रूप में पाया जाता है , यह एक अधातु होता है जो जो पानी में विलेय नहीं होता है लेकिन टोल्यून (मिथाइल बेंजीन) तथा कार्बन डाइसल्फ़ाइड आदि में विलेय होता है।
चूँकि सल्फर एक अधातु पदार्थ के रूप में पाया जाता है अत: सल्फर विद्युत और ऊष्मा का कम चालक होते है , सल्फर के क्वथनांक बिंदु लगभग444oCहोता है।

सल्फर के अपरूप

सल्फर के अनेक अपरूप होते है , आवर्त सारणी में सल्फर 16 वें वर्ग में पाया जाता है , पृथ्वी पर मिलने वाले कुल अयस्क के लगभग 0.17 % भाग में सल्फर पाया जाता है।
सल्फर के अनेक अपरूपों में से दो अपरूप अत्यधिक महत्वपूर्ण होते है जिनका अध्ययन हम यहाँ विस्तार से करेंगे जो निम्न है –
1. पिला विषम लम्बाक्ष (α-sulphur)
2. एकनताक्ष (β-sulphur)
यहाँ इनका उष्मीय स्थायित्व सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है , और सल्फर के अपरूप आपस में एक दुसरे में परिवर्तित होने का गुण रखते है जैसे कमरे के ताप पर विषमलम्बाक्ष सल्फर बहुत अधिक स्थायी होता है लेकिन जब विषम लम्बाक्ष को लगभग 369K ताप पर ‍यह एकनताक्ष सल्फर में परिवर्तित हो जाता है अर्थात सल्फर के अपरूपो को आपस में एक दुसरे रूपों में रूपांतरित किया जा सकता है।

1. विषम लंबाक्ष सल्फर (Rhombic sulphur) (α-sulphur)

यह प्रकृति में एक क्रिस्टल के रूप में पाया जाता है , सल्फर के यह अपरूप पीले रंग का होता है और यह अष्टभुजाकार आकृति का होता है जैसा चित्र में दिखाया गया है।
जबCS2विलयन में गंधक श्लाका को गर्म किया जाता है तो इससे हमें विषम लम्बाक्ष सल्फर का अपरूप प्राप्त होता है।
इसका गलनांक बिंदु लगभग 385.8K होता है और इसका विशिष्ट गुरुत्वीय घनत्व का मान 2.06 होता है।
यह जल में अविलेय होता है लेकिनCS2विलयन , बेंजीन, ईथर, एल्कोहल आदि में विलेय होता है , यह केS8रूप में क्रिस्टल में व्यवस्थित होता है और इसमें वलय एक दुसरे में आसानी से फिट होती चली जाती है।

2. एकनताक्ष (Monoclinic sulphur) (β-sulphur)

जब विषमलम्बाक्ष सल्फर को एक तश्करी में लेकर इसे पिघलाया जाता है और इसे पपड़ी बनने तक ठंडा किया जाता है।
अब इस पपड़ी में दो छिद्र कर लेते है इन छिद्रों से बचा हुआ द्रव निकाल लिया जाता है और पपड़ी को हटा दिया जाता है , पपड़ी को हटाने से हमें सुई के आकार के एकनताक्ष सल्फर (β-sulphur) प्राप्त होता है।
एकनताक्ष सल्फर का गलनांक का मान लगभग 393K होता है तथा इसका घनत्व लगभग 1.98 होता है। इसका गलनांक119oCहोता है।
यहCS2विलयन में विलेय होता है और लगभग 369K के ऊपर ताप पर स्थायी होता है जब ताप का मान 369K से कम हो तो यह विषमलम्बाक्ष सल्फर में रूपांतरित हो जाता है।अर्थात हम कह सकते है कि 369K से कम ताप पर विषमलम्बाक्ष सल्फर स्थायी होता है और 369K ताप से अधिक ताप पर एकनताक्ष सल्फर स्थायी होता है अर्थात इस ताप के आधार पर इनको एक दूसरे रूप में रूपान्तरित किया जाता है इसलिए सल्फर के स्थायित्व में ताप का रोल बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।