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प्रकाशीय तन्तु क्या है , परिभाषा , प्रकाशीय तंतु का सिद्धांत , कार्य ऑप्टिकल फाइबर (optical fiber in hindi)

(optical fiber in hindi) प्रकाशीय तन्तु क्या है , परिभाषा , प्रकाशीय तंतु का सिद्धांत , कार्य ऑप्टिकल फाइबर प्रकाशिक तंतु किसे कहते है ?

परिभाषा : एक बहुत ही बारीक या पतला तंतु जो प्लास्टिक या काँच का बना हुआ होता है और इसके द्वारा प्रकाशीय सिग्नल या सूचना को एक स्थान से दुसरे स्थान तक पहुँचाने के लिए किया जाता है।

अत: प्रकाशीय तंतु एक माध्यम है जो प्रकाशिक सिग्नल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक संचरण के लिए उपयोग किया जाता है।

प्रकाशीय तंतु की सहायता से किसी प्रकाशीय सूचना या सिग्नल को बहुत अधिक दूरी तक बिना सिग्नल को प्रवर्धित किये पहुँचाया जाता है क्यूंकि इस संचार विधि में सिग्नल की हानि नहीं होती है या बहुत कम होती है। इसमें सिग्नल विद्युत चुम्बकीय व्यतिकरण से भी प्रभावित नहीं होता है इससे सिग्नल में कोई शोर उत्पन्न नहीं होता है।
प्रकाशिकी तंतु , प्रकाश के पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के सिद्धांत पर आधारित होता है , इसमें प्रकाशीय सिग्नल बहुत बार पूर्ण आंतरिक परावर्तन को प्रदर्शित करता हुआ तंतु की लम्बाई के अनुदिश आगे की तरफ गति करता रहता है और ग्राही सिरे की तरफ पहुँच जाता है अर्थात इसमें प्रकाश सूचना या सिग्नल का संचरण इसकी लम्बाई के अनुदिश होता है।
प्रकाशीय तंतु में दो भाग होते है एक आंतरिक भाग जिसे क्रोड़ कहते है और एक इस क्रोड़ (core) के ऊपर का भाग अर्थात बाहर का भाग जिसे अधिपट्टन (cladding) कहते है।
क्रोड़ का अपवर्तनांक , अधिपट्टन (cladding) के अपवर्तनांक से अधिक होता है अत: जब इस तंतु में प्रकाश डाला जाता है तो यह प्रकाश अधिक अपवर्तनांक वाले माध्यम से कम अपवर्तनांक वाले माध्यम में जाता है और जिससे एक निश्चित कोण पर इस प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जाता है और आगे से आगे इस प्रकाश का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होता रहता है और प्रकाश सिग्नल आगे से आगे संचरण करता रहता है और इस प्रकार गति करते हुए यह प्रकाश या सूचना या सिग्नल एक सिरे से दुसरे सिरे तक पहुच जाता है।
प्रकाशीय तंतु द्वारा कई सिग्नल को एक साथ भेजा जा सकता है क्यूंकि इसमें सिग्नल का व्यतिकरण नही होता है जिससे सिग्नल में कोई शोर उत्पन्न नही होता है लेकिन तार संचार विधि में केवल एक सिग्नल एक साथ भेजा जा सता है।

प्रकाशीय तंतु के उपयोग

चिकित्सा में डॉक्टर हमारे शरीर की जांच करने या बिना चीरा के ऑपरेशन करने के लिए शरीर में प्रकाशीय तंतु डाला जाता है और इलाज किया जाता है , क्यूंकि यह बहुत ही बारीक होता है अर्थात यह लगभग बाल के आकार का होता है इसलिए शरीर के किसी भी हिस्से में आसानी से जा सकता है।
इन्टरनेट के लिए आजकल अधिक स्पीड में इन्टरनेट उपयोग के लिए प्रकाशीय तंतु का उपयोग किया जाने लगा है क्यूंकि यह कम समय में अधिक डाटा का आदान प्रदान कर सकता है , यही कारण है कि आजकल इन्टरनेट की स्पीड पहले की तुलना में बहुत अधिक हो गयी है।

प्रकाशिक तन्तु- प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है, लेकिन पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के सिद्धान्त का उपयोग कर इसे वक्रीय मार्ग पर चलाया जा सकता है। प्रकाशिक तन्तु पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के सिद्धान्त पर आधारित एक ऐसी युक्ति है, जिसके द्वारा प्रकाश सिग्नल को, इसकी तीव्रता मे बिना क्षय हुए, एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानान्तरित किया जा सकता है। प्रकाशित तन्तु क्वार्ट्स कांच के बहुत लम्बे तथा पतले हजारों रेशों से मिलकर बना होता है। प्रत्येक रेशे की मोटाई लगभग 10-4 सेमी. होती है। तन्तु के चारों ओर अपेक्षाकृत कम अपवर्तनांक के पदार्थ की पतली तह लगा दी जाती है। जब प्रकाश की किरण इस तन्तु के एक सिरे पर अल्प कोण बनाती हुई आपतित होती है, तो यह इसके अन्दर अपवर्तित हो जाती है। तन्तु के अन्दर यह किरण तन्तु तह के सीमा पृष्ठ पर क्रांतिक कोण से अधिक आपतन कोण पर आपतित होती है और पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के बाद इसके विपरीत सीमा पृष्ठ पर टकराती है। इस सीमा पृष्ठ पर किरण का आपतन कोण पुनः क्रांतिक कोण से बड़ा होता है, अतः किरण का पुनः पूर्ण आन्तरिक परावर्तन हो जाता है। इस प्रकार प्रकाश किरण बार-बार पूर्ण आन्तरिक परावर्तित होती हुई तन्तु के दूसरे सिरे पर पहुँच जाती हैं। तन्तु के दूसरे सिरे पर किरण वायु में अपवर्तित होकर अभिलंब से दूर हटती हुई निर्गत होती है।

प्रकाशिक तन्तु के उपयोग

– विद्युत संकेत को प्रकाश संकेत में बदलकर प्रेषित करने तथा अभिग्रहण करने में।

– शरीर के अन्दर लेसर किरणों को भेजने में।

–  प्रकाश संकेतों के दूर संचार मे।

–  मनुष्य के शरीर के आन्तरिक भागो के परीक्षण मे।