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कोणीय विस्थापन की परिभाषा क्या है , उदाहरण , सूत्र (angular displacement in hindi) कोण विस्थापन किसे कहते है

(angular displacement in hindi) कोणीय विस्थापन की परिभाषा क्या है , उदाहरण , सूत्र : जब कोई पिण्ड घूर्णन गति या वृत्तीय गति करता है तो पिंड के त्रिज्या सदिश द्वारा या स्थिति सदिश द्वारा एक निश्चित समय में केन्द्र पर या घूर्णन अक्ष पर बनाया गया कोण पिण्ड का कोणीय विस्थापन कहा जाता है।
उदाहरण :

माना चित्रानुसार कोई कण एक वृत्ताकार पथ पर गति कर रहा है तथा इस वृत्तिय पथ का केंद्र O है तथा त्रिज्या r है।  कण एक निश्चित समय में बिन्दु A से B तक चलता है जिससे यह इस वृत्तीय पथ के केंद्र पर θ अन्तरित कोण बनाता है तो कण द्वारा इस कोणीय विस्थापन को निम्न सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है –
कोणीय विस्थापन (θ) = S/r
कोणीय विस्थापन का मात्रक रेडियन होता है तथा इसे डिग्री में भी मापा जाता है।
यह एक सदिश राशि है अर्थात कोणीय विस्थापन को प्रदर्शित करने के लिए परिमाण के साथ साथ दिशा की भी आवश्यकता होती है , ऊपर उदाहरण में यदि हम यह नही बताये की वस्तु A से B चल रही है अर्थात क्लॉक वाइज चल रही है तो कोणीय विस्थापन का मान सही प्राप्त नहीं होगा , यदि हम A से B तक घडी की विपरीत दिशा में इसकी दिशा बता दे तो दूरी S का मान बहुत अधिक बदल जायेगा जिससे कोणीय विस्थापन का सही मान प्राप्त नहीं होगा।
अत: यह एक सदिश राशि है।
सूत्र के आधार पर कोणीय विस्थापन को निम्न प्रकार भी परिभाषित कर सकते है –
“किसी कण द्वारा वृत्तीय पथ तय की गयी दूरी s और इस वृत्तिय पथ की त्रिज्या के अनुपात (s/r) को कोणीय विस्थापन कहते है। यहाँ अनुपात का अभिप्राय दूरी s का त्रिज्या r से विभाजित होना है। ”

कोणीय विस्थापन की दिशा को दाएँ हाथ के पेंच के नियम से ज्ञात की जाती है तथा सुविधा के लिए दक्षिणावर्त (clockwise) दिशा में उत्पन्न कोणीय विस्थापन को ऋणात्मक लिया जाता है तथा वामावर्त (anti close wise) उत्पन्न कोणीय विस्थापन को धनात्मक लिया जाता है |

कोणीय विस्थापन (Angular displacement)

वृत्तीय गति या घूर्णन गति करते हुए किसी कण के त्रिज्या सदिश या स्थिति सदिश द्वारा किसी निश्चित समयान्तराल में केंद्र या घूर्णन अक्ष पर अन्तरित कोण , कण का कोणीय विस्थापन कहलाता है।

इसका मात्रक रेडियन है।

या एक अक्षीय सदिश है , जिसकी दिशा दायें हाथ के पेंच के नियम से दी जा सकती है। दक्षिणावर्त कोणीय विस्थापन को ऋणात्मक और वामावर्त कोणीय विस्थापन को धनात्मक माना जाता है।