जड़त्वीय द्रव्यमान क्या है , परिभाषा , किसे कहते है , सूत्र (inertial mass in hindi)

(inertial mass in hindi) जड़त्वीय द्रव्यमान क्या है , परिभाषा , किसे कहते है : इसे न्यूटन के नियम द्वारा परिभाषित किया जाता है , न्यूटन के नियम के अनुसार जब किसी वस्तु पर F बल लगाया जाता है तो बल के समानुपाती रूप में इस वस्तु में त्वरण उत्पन्न हो जाता है और जब समानुपाती चिन्ह को हटाया जाता है तो वस्तु का द्रव्यमान समानुपाती नियतांक के रूप में आता है अत: F = ma , यहाँ m = वस्तु का द्रव्यमान तथा a = त्वरण।
अत: यदि किसी वस्तु के जड़त्वीय द्रव्यमान की गणना करनी है तो उस वस्तु पर F बल आरोपित कीजिये और उत्पन्न त्वरण का मान ज्ञात कर लीजिये आपको F/a का मान उस वस्तु का जड़त्वीय द्रव्यमान कहलाता है।
परिभाषा : किसी वस्तु का जड़त्वीय द्रव्यमान उस वस्तु पर आरोपित बल F और इस बल के कारण वस्तु में उत्पन्न त्वरण a के अनुपात के बराबर होता है
अत:
जड़त्वीय द्रव्यमान m = F/a
जडत्व का मतलब होता है अपनी अवस्था में परिवर्तन का विरोध करना अत: स्वभाविक है कि जब किसी वस्तु पर बल आरोपित किया जाएगा तो वह वस्तु अपने जडत्व गुण के कारण इसमें उत्पन्न त्वरण का विरोध करेगी।  चूँकि वस्तु का भार जितना अधिक होता है उसमे त्वरण का मान उतना ही कम होता है अर्थात उसमे जडत्व का गुण उतना ही अधिक होता है अर्थात उसमे परिवर्तन के लिए अधिक बल की आवश्यकता होगी।
अत: जड़त्वीय द्रव्यमान को निम्न प्रकार भी परिभाषित किया जा सकता है –
परिभाषा : किसी वस्तु की वह क्षमता जो बाह्य बल लगाने पर उत्पन्न त्वरण का विरोध करती है उसे जड़त्वीय द्रव्यमान कहते है।
अत: हम कह सकते है कि जब किसी वस्तु के द्रव्यमान को उसके जड़त्वीय गुणों द्वारा परिभाषित किया जाता है तो उस द्रव्यमान को जड़त्वीय द्रव्यमान कहा जाता है।
याद रखे की जड़त्वीय द्रव्यमान पर गुरुत्व का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है , यह तो प्रत्येक पिण्ड में समाहित पदार्थ की मात्रा के समानुपाती होता है।  यह वस्तु के आकार , आकृति तथा अवस्था पर निर्भर नही करता है।
जब किन्ही दो पिण्डो का रासायनिक या भौतिक रूप से संयुक्त किया जाता है तो उनके जड़त्वीय द्रव्यमान का मान परिवर्तित नही होता है।
किसी भी रासायनिक अभिक्रिया के अन्दर पदार्थ का जड़त्वीय द्रव्यमान का मान संरक्षित रहता है।
इसका मान वस्तु के ताप पर भी निर्भर नहीं करता है।
जब कोई पिण्ड गति करता है तो उसका जड़त्वीय द्रव्यमान का मान बढ़ जाता है और उसका मान निम्न सूत्र द्वरा ज्ञात किया जाता है –

यहाँ m0 = पिंड का विराम अवस्था में द्रव्यमान है।
V = पिण्ड का वेग है जिससे वह गतिशील है।
C = प्रकाश का वेग है।