गुरुत्वीय द्रव्यमान क्या है , परिभाषा , सूत्र (gravitational mass in hindi)

(gravitational mass in hindi) गुरुत्वीय द्रव्यमान क्या है , परिभाषा , सूत्र : इसे गुरुत्वाकर्षण बल के आधार पर समझाया जाता है या परिभाषित किया जाता है। जिसके अनुसार ब्रह्माण्ड में उपस्थित दो पिण्डो के मध्य एक आकर्षण बल पाया जाता है जिसका मान निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है –

F = G m1 m2/r2

यहाँ

m1 and m2 क्रमशः दोनों पिंडो का द्रव्यमान है।

r = दोनों पिण्डो के मध्य की दूरी

G = इसे सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक कहा जाता है।

पृथ्वी द्वारा किसी पिण्ड पर आरोपित आकर्षण बल का मान –

माना पृथ्वी का द्रव्यमान M है तथा वस्तु का द्रव्यमान m है तो दोनों के मध्य लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल का मान अर्थात पृथ्वी द्वारा m द्रव्यमान की वस्तु पर आरोपित आकर्षण बल का मान निम्न होगा –

F = G M m/r2

अत:

m = F/(GM/r2)

m = F/I

यहाँ I = गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता है जिसका मान (GM/r2) होगा।

तथा m को यहाँ गुरुत्वीय द्रव्यमान कहा जाता है क्यूंकि हम इसे गुरुत्वाकर्षण बल के रूप में यहाँ इसे व्यक्त कर रहे है।

माना गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता का मान 1 है अर्थात I = 1

तो m = F

इस स्थिति में गुरुत्वीय द्रव्यमान का मान आकर्षण बल (गुरुत्वाकर्षण बल) के बराबर होती है।

अत: गुरुत्वीय द्रव्यमान को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है –

“किसी इकाई तीव्रता वाले गुरुत्वीय क्षेत्र में किसी वस्तु पर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल के मान को उसका गुरुत्वीय द्रव्यमान के बराबर होता है। ”

अत: जब द्रव्यमान को गुरुत्वीय गुण के आधार पर परिभाषित किया जाए तो इसे गुरुत्वीय द्रव्यमान कहते है।

अत: किसी ज्ञात पिंड के द्रव्यमान की सहायता से किसी अज्ञात पिण्ड का द्रव्यमान ज्ञात करके उसका गुरुत्वीय द्रव्यमान का मान ज्ञात किया जा सकता है और यही सिद्धांत विभिन्न प्रकार के पैमानों में किया जाता है जिनकी सहायता से गुरुत्वीय द्रव्यमान का मापन किया जाता है।