गैस की विशिष्ट ऊष्मा (specific heat of gas in hindi) , मोलर विशिष्ट ऊष्मा , सूत्र , मात्रक

(specific heat of gas in hindi) गैस की विशिष्ट ऊष्मा , सूत्र , मात्रक : कोई भी ठोस या द्रव केवल एक प्रकार की विशिष्ट ऊष्मा रखते है लेकिन गैस की दो विशिष्ट ऊष्मा होती है।

ठोस और द्रव के लिए जब इनके ताप में बहुत कम परिवर्तन किया जाता है तो इस ताप के कारण इनके आयतन में नगण्य परिवर्तन होता है और चूँकि आयतन में परिवर्तन नगण्य है इसलिए इसलिए इसके द्वारा कोई किया गया कार्य भी नगण्य होगा।  अत: ठोस या द्रव को दिया गयी ऊष्मा का मान इनके ताप को बढ़ाने में काम आता है इसलिए ठोस और द्रव की विशिष्ट ऊष्मा का मान एक होता है।

जब किसी गैस को हल्का सा भी ताप देने पर इसके आयतन और दाब में परिवर्तन अधिक होता है , इसलिए गैस के लिए विशिष्ट ऊष्मा का मान शून्य से लेकर अन्नत तक कुछ भी मान हो सकता है। यही कारण है कि किसी गैस की विशिष्ट ऊष्मा का मान निश्चित करने के लिए या तो आयतन को स्थिर किया जाए या फिर दाब को स्थिर रखा जाए।

इसलिए हम कह सकते है कि गैस की विशिष्ट ऊष्मा दो प्रकार की होती है।

1. स्थिर आयतन पर गैस की विशिष्ट ऊष्मा

2. स्थिर दाब पर गैस की विशिष्ट ऊष्मा

अब हम यहाँ इन दोनों प्रकारों को विस्तार से अध्ययन करते है –

1. स्थिर आयतन पर गैस की विशिष्ट ऊष्मा

स्थिर आयतन पर किसी गैस के एकांक द्रव्यमान में 1 डिग्री सेल्सियस ताप में वृद्धि करने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को स्थिर आयतन पर गैस की विशिष्ट ऊष्मा कहते है। इसे CP द्वारा व्यक्त किया जाता है।
तथा
आयतन को स्थिर रखते हुए किसी गैस के एक मोल में 1 डिग्री सेल्सियस ताप बढाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को स्थिर आयतन पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा कहते है।

2. स्थिर दाब पर गैस की विशिष्ट ऊष्मा

स्थिर दाब पर किसी गैस के एकांक द्रव्यमान में एक डिग्री सेल्सियस ताप में वृद्धि करने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को स्थिर दाब पर गैस की विशिष्ट ऊष्मा कहते है तथा इसे C द्वारा व्यक्त किया जाता है।
तथा
जब दाब को स्थिर रखा जाए तो गैस के एक मोल में 1 डिग्री सेल्सियस ताप बढाने के लिए ऊष्मा की जितनी आवश्यकता होती है उस ऊष्मा की मात्रा को स्थिर दाब पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा कहते है