(internal energy of gas formula physics degree of freedom in hindi) गैस की आंतरिक ऊर्जा : किसी गैस की आंतरिक ऊर्जा से अभिप्राय है उन सभी अणुओं की ऊर्जा का योग जो गैस में आंतरिक अनियमित गति करते रहते है , अर्थात गैस अणु जो अनियमित कर रहे है उन सभी अणुओं की ऊर्जा को ही उस गैस की आंतरिक ऊर्जा कहा जाता है।
जैसा की हम जानते है की आदर्श गैस के अणुओं को अक्रिय कहा जाता है क्यूंकि आदर्श गैस के अणु एक दुसरे के साथ किसी प्रकार की कोई क्रिया नहीं करते है , अत: आदर्श गैस के अणुओं के मध्य किसी प्रकार की कोई क्रिया नही पायी जाती है अर्थात कोई अन्तराण्विक बल नहीं पाया जाता है या अन्तराण्विक बल का मान शून्य होता है।
तथा आदर्श के अणुओं की स्थितिज ऊर्जा का मान भी शून्य होता है।
अत; गैस की आंतरिक ऊर्जा केवल गतिज ऊर्जा के रूप में होगी और यह गतिज ऊर्जा तीन रूपों में हो सकती है –
1. स्थानांतरित गति के रूप में : जो कण स्थानान्तरित गति करते है उनके कारण
2. घूर्णन गति के रूप में : गैस के जो कण घूर्णन गति करते है उनकी ऊर्जा
3. कम्पन्न गति के कारण : गैस के जो कण कम्पन्न गति करते है उन अणुओं की उर्जा
किसी आदर्श गैस की आंतरिक ऊर्जा का मान ताप पर निर्भर करता है , गैस की आन्तरिक ऊर्जा का मान ताप के समानुपाती होता है।
यदि किसी गैस के u मोल हो तथा ताप T हो और गैस के अणुओं की स्वतंत्रता की कोटि f हो तो उस गैस की आंतरिक ऊर्जा को निम्न सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है –
आन्तरिक ऊर्जा U = ufRT/2
यहाँ R = गैस नियतांक है।