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सर्ल का प्रयोग searle’s experiment in hindi

(searle’s experiment in hindi) सर्ल का प्रयोग : इस प्रयोग के उपयोग से किसी भी धातु की छड की चालकता ज्ञात की जा सकती है।
प्रयोग में उपकरणों की व्यवस्था
१. चित्रानुसार सबसे पहले एक वाष्प का चैम्बर लेते है तथा इसमें एक छिद्र निकालते है , छिद्र उतना ही होना चाहिए जितनी की छड की मोटाई है जिससे छड इस छिद्र में आसानी से फिट हो जाए।
अब इस छिद्र में धातु की छड को डाल देते है और इसको अच्छी तरह से पैक कर देते है जैसा चित्र में दिखाया गया है –

२. धातु की छड को वाष्प के चैंबर में जोड़ने के बाद अब इस धातु की छड में दो छिद्र बनाते है जिनमे हमें दो थर्मामीटर लगाने है , थर्मा मीटर लगाने के बाद इनके भी छिद्रों को अच्छी तरह से बंद कर देते है।
३. अब इस धातु की छड पर कॉपर की नली को चित्रानुसार लपेट देते है , इस कॉपर की नली के एक सिरे से पानी भेजते है और दुसरे सिरे से पानी बाहर आ जाता है।
४. अंत में इस धातु की छड के चारो तरफ ऊष्मारोधी पदार्थ का लेप लगाते है जिससे ऊष्मा हानि न हो।

प्रयोग विधि

१. सबसे पहले एक वर्नियर पैमाना लेते है और धातु के छड के अनुप्रस्थ क्षेत्रफल और थर्मामीटर T1 और T2 के मध्य की दूरी को ज्ञात करते है।
२. अब एक तरफ वाष्प चैम्बर में वाष्प शुरू कर देते है तथा दूसरी तरफ कॉपर नली में पानी का बहना शुरू कर देते है।
३. अब लगभग 10 मिनट के बाद प्रत्येक थर्मामीटर पर ताप का मान नोट कर लेते है।
४. कॉपर की नली से कितना पानी गुजरता है इसका मान भी ज्ञात कर लेते है।

गणितीय विश्लेषण

माना धातु छड का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A है तथा थर्मामीटर T1 और T2 के मध्य की दूरी d है।
यदि छड के पदार्थ की ऊष्मा चालकता k है तो t समय के लिए धातु की छड में प्रवाहित ऊष्मा की मात्रा निम्न सूत्र से ज्ञात की जाती है –
अर्थात थर्मामीटर T1 और T2 के मध्य की दूरी d के मध्य ऊष्मा चालन की दर का मान
Q / t = k ⋅ A ⋅ (T1– T2) / d
k = Q ⋅ d / πr2(T1– T2) ⋅ t
यह ऊष्मा आगे चलती है और पानी में ताप को बढ़ाती है जिससे T3 और T4 द्वारा पानी के आने व जाने में आये ताप में परिवर्तन को नोट करते है अर्थात जब पानी को डाला जाता है तो वह धातु में संचरित ऊष्मा को अवशोषित कर लेता है जिससे इसके ताप में परिवर्तन आ जाता है जिसे T3 और T4 के अंतर द्वारा ज्ञात क्र सकते है –
यदि m पानी का भार है अर्थात पानी की मात्रा और c पानी की विशिष्ट ऊष्मा है तो पानी द्वारा अवशोषित ऊष्मा का मान निम्न सूत्र द्वारा दी जाती है –
Q = c ⋅ m ⋅ ΔT
ऊपर वाली समीकरण में Q का मान रखने से हमें धातु की चालकता k का मान प्राप्त हो जाता है –
K = m ⋅ c ⋅ (T3-T4) ⋅ d / πr2(T1– T2) ⋅ t