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HSAB सिद्धांत पर आधारित प्रश्न उत्तर , कठोरता , मृदुता , अम्ल क्षार , कठोर मृदु आदि

Answer questions based on HSAB theory

प्रश्न 1 : निम्न संकुलो के स्थायित्व की व्याख्या कीजिये –  

  1. [CO(CN)5I]3-and [CO(CN)5f]3-
  2. [CO(NH3)5F]2+and [CO(NH3)5I]2+

उत्तर : HSAB सिद्धांत के अनुसार कठोर अम्ल Rxm के लिए कठोर क्षार को व मृदु अम्ल मृदु क्षार को वरीयता देता है  अर्थात कठोर लिगेंड , मृदु लिगेंड के साथ जुड़ना चाहता है।

  1. [CO(CN)5I]3-संकुल में समान प्रकार के मृदु लिगेंड है CN और I से जुड़े हुए है , इस कारण HSAB सिद्धान्त के अनुसार यह संकुल [CO(CN)5F]3- की अपेक्षा अधिक स्थायी हैं।
  2. [CO(NH3)5F]2+संकुल में कठोर , कठोर लिगेंड NH3एवं F से जुड़े होने से यह संकुल कठोर एवं मृदु लिगेंड से मिलकर बने संकुल [CO(NH3)5I]2+ की अपेक्षा अधिक स्थायी होता है।

नोट : क्षार एवं क्षारीय मृदा धातु आयन तथा हल्के संक्रमण धातु आयन प्रकृति में कठोर होने के कारण कठोर स्थितियाँ (O-स्थिति) चुनते है।  इसलिए प्रकृति में ये ऑक्साइडो , स्लिकेटो एवं कार्बोनेटो के रूप में पाए जाते है , इसके विपरीत भारी संक्रमण धातु आयन Ag , Hg2+ , Hg+ , Cu+ आदि मृदु प्रकृति के होने के कारण मृदु स्थितियाँ (S स्थिति) चुनते है।

उदाहरण : कठोर धातु आयनों के अयस्क – MgO , Fe2O3 , Al2O3 , 2H2O , MgO , SnO2 , CaCO3 आदि

मृदु धातु आयनों के अयस्क – Cu2S , Ag2S , ZnS , HgS आदि।

प्रश्न 2 : क्या कारण है की HCl में HgO विलेय है परन्तु HgS नहीं ?

उत्तर : HgO मृदु धातु आयन Hg2+ एवं कठोर क्षार O2 का लवण है।  HCl जो की कठोर अम्ल Hतथा मृदु क्षार Cl का का यौगिक है , से क्रिया कर लेता है एवं अधिक स्थायी संकुल HgCl2 (मृदु -मृदु ) तथा H2O (कठोर कठोर ) बनाता है , जिसके कारण HgO , HCl में विलेय होता है।

परन्तु HgS जो मृदु अम्ल Hg2+ एवं मृदु क्षार S2 से मिलकर बना है , अधिक स्थायी होता है।  इसलिए यह HCl में विलेय नहीं होगा।

प्रश्न 3 : क्या कारण है की LiI का जल में अपघटन हो जाता है लेकिन LiF का जल अपघटन नहीं होता है।

उत्तर : Liकठोर अम्ल तथा I– मृदु क्षार से क्रिया करके LiI लवण (कठोर -मृदु ) बनाते है , जो अस्थायी होता है।

अत: LiI का जल अपघटन हो जाता है , जिसके फलस्वरूप Li(OH) (कठोर -कठोर ) बनता है जो अधिक स्थायी यौगिक होता है , जबकि LiF में कठोर कठोर के संयोजन से यह अधिक स्थायी होता है।  इस कारण इसका जल अपघटन नहीं होता है।

प्रश्न 4 : Pt उत्प्रेरक , CO द्वारा दूषित हो जाता है क्यों ?

उत्तर : Pt धातु जो उत्प्रेरक का कार्य करती है , यह Co , ओलिफिन , P , As आदि लेगेंड के संपर्क में आने से विषाक्त या दूषित हो जाती है , जिससे इसकी क्रियाशीलता कम हो जाती है।

इसका कारण यह है की Pt धातु मृदु होती है और यह CO जो की मृदु-क्षार होता है , के साथ तीव्रता से क्रिया कर लेती है अर्थात मृदु केंद्र Pt एवं CO के मध्य परस्पर मृदु मृदु पारस्परिक क्रिया हो जाती है।  जिससे Pt उत्प्रेरक की सतह पर उपस्थित सक्रीय स्थल (active site) अर्थात मुक्त संयोजकता block हो जाती है।  फलस्वरूप Pt की उत्प्रेरकीय क्षमता समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 5 : गुणात्मक विश्लेषण में Cu2+ , Cd2+ के पृथक्करण में HSAB अवधारणा को समझाइए।

उत्तर : Cu2+ , Cd2+ आयनों को पृथक करने के लिए विलयन में KCN की उपस्थिति में H2S गैस प्रवाहित की जाती है जिससे CN (कार्बन छोर) एक मृदु क्षार होने के कारण यह मृदु अम्ल को चुनता है और ये दोनों क्रिया करते है।

Cu2+ एक सीमांत अम्ल है जबकि Cd2+ एक मृदु अम्ल है।  उपरोक्त Rx में Cu2+ अपचयित होकर Cu+ देता है। जो अत्यधिक मृदु होने के कारण मृदु क्षार CN के साथ क्रिया करके अधिक स्थायी संकुल बनाता है।  इस कारण [Cu(CN)A]3- संकुल [Cu(CN)A]2- की अपेक्षा अधिक स्थायी होता है।  इसलिए विलयन में H2S गैस प्रवाहित करने से केवल CdS ही अवक्षेपित होता है।