To study the refraction of light through narrow slits in hindi संकीर्ण स्लिट से प्रकाश के विवर्तन का अध्ययन करना ?
क्रियाकलाप-6
[Activity 6 ]
उद्देश्य (object) – संकीर्ण स्लिट से प्रकाश के विवर्तन का अध्ययन करना।
उपकरण (Apparatus) – एकवर्णी प्रकाश स्त्रोत (सोडियम लैम्प), अपारदर्शक प्लेट (टिन की प्लेट) जिसके मध्य में लगभग .2 मिमी. चैड़ी एक झिरी कटी हों तथा इसके दोनों ओर सममित रूप से 1-1 सेमी दूरी पर लगभग 1 मिमी. व्यास के अनेक छिद्र हों, एक काली की गयी काँच की प्लेट, रेजर ब्लेड, चल-सूक्ष्मदर्शी, प्रकाशिक बैंच आदि।
सिद्धान्त (Theory) – द्वारक या अवरोधक के तीक्ष्ण किनारों पर मुड़कर तरंगों का द्वारक या अवरोधक के ज्यामितीय छाया क्षेत्र में फैलना, विवर्तन कहलाता है। विवर्तन प्रेक्षित करने की आवश्यक शर्त है कि विवर्तक का आकार आपतित तरंगों की तरंगदैर्ध्य की कोटि का या उससे छोटा हो।
जब एकवर्णी प्रकाश स्त्रोत (तरंगदैर्ध्य λ ) से प्रकाश किरणें एक पतली स्लिट (जिसकी चैड़ाई α a) पर पड़ती है तो फ्रॉनहोफर विवर्तन के फलस्वरूप आपतित प्रकाश की दिशा में एक चमकीला मुख्य उच्चिष्ठ (Principal maxima) प्राप्त होता है जिसके दोनों ओर क्रमशः घटती तीव्रता के द्वितीयक उच्चिष्ठ (Secondary maxima) बनते हैं। दो क्रमागत द्वितीयक उच्चिष्ठों के मध्य एक निम्निष्ठ प्राप्त होता है। फ्रॉनहॉफर विवर्तन के लिए-
nosa उच्चिष्ठ हेतु – a sin θ = (2n+1) λ/z
a तथा n वें निम्निष्ठ हेतु – a sin θ = n λ
जहाँ, a = स्लिट की चैड़ाई, λ = आपतित प्रकाश तरंगदैर्ध्य, θ = विवर्तन कोण
प्रयोग विधि (Method) –
1.प्रायोगिक व्यवस्था- चित्र मे SO , एकवर्णी प्रकाश स्त्रोत (सोडियम लैंप) है। ।ठ एक अपारदर्शी टिन की प्लट है जिसमें व्ए एक लगभग 2 मिमी चैडी एक सीधी ऊर्ध्वाधर कटी झिर्री है। इसके दोनों ओर लगभग 1-1 सेमी. दूरी पर लगभग 1 मिमी व्यास के छिद्र हैं।
CD एक कांच की प्लेट है जिस पर काला पेपर चिपका हुआ है तथा इस पर दो रेजर ब्लेड़ों को परस्पर सटाकर रखकर एक संकीर्ण स्लिट S बनाई जाती है। इस स्लिट के ठीक मध्य में एक लगभग 0.5 मिमी चैड़ा खांचा बनाया जाता है यह खांचा खिड़की W कहलाता है। अपादर्शी प्लेट AB तथा कांच की प्लेट CD को प्रकाशीय बैंच पर दो ऊर्ध्व स्टैण्डों पर परस्पर समान्तर इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि स्लिट S, झिरी O के ठीक सामने हो।
2. अब हम एकवर्णी प्रकाश स्त्रोत SO, को वद करके इससे प्रकाश उत्सर्जित कराते हैं तथा खिड़की W के पास आंख रखकर देखते हैं। हमें स्लिट S में विवर्तन प्रतिरूप दिखाई देता है जिसका वर्णन निष्कर्ष में लिख लेते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion) – जब प्रकाश तरंगें संकीर्ण स्लिट पर आपतित होती हैं तो ये स्लिट के तीक्ष्ण किनारों से मुड़कर ज्यामितीय छाया क्षेत्र में फैलती हैं तथा विवर्तन प्रतिरूप का निर्माण करती है। प्राप्त विवर्तन प्रतिरूप में निम्न विशेषताएं देखी गयीं-
झिर्री O के ठीक सामने केन्द्र पर केन्द्रीय उच्चिष्ठ प्राप्त होता है।
झिर्री O के दोनों ओर एकान्तर क्रम में निम्निष्ठ तथा द्वितीयक उच्चिष्ठ प्राप्त होते हैं।
O से दूर चलने पर दोनों ओर प्राप्त उच्चिष्ठों की तीव्रता में क्रमिक रूप से कमी आती है।
सावधानियाँ (Precautions) –
प्रकाश स्त्रोत, स्त्रोत झिर्री O तथा स्लिट S एक ही ऊँचाई पर तथा एक सीध में होने चाहिए।
विवर्तन चित्र देखते समय आँख को स्लिट पर कटी खिड़की W के पास इस प्रकार रखना चाहिए कि स्लिट S तथा खिड़की W से होकर एक साथ देखा जा सके।
स्लिट S पतली से पतली होनी चाहिए।
प्रकाश स्त्रोत एकवर्णी होना चाहिए।
मौखिक प्रश्न व उत्तर (Viva Voce)
प्रश्न 1. प्रकाश के विवर्तन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- जब प्रकाश किसी अपारदर्शी अवरोध अथवा द्वारक पर आपतित होता है तो यह अवरोध अथवा द्वारक के किनारों पर मुड़ जाता
है। प्रकाश के इस प्रकार मुड़ने की घटना को विवर्तन कहते हैं।
प्रश्न 2. क्या विवर्तन केवल प्रकाश में होता है, ध्वनि में नहीं?
उत्तर- विवर्तन प्रकाश तथा ध्वनि दोनों में होता है। वास्तव में, विवर्तन तरंगों का गुण है।
प्रश्न 3. विवर्तन प्रेक्षित होने की आवश्यक शर्त क्या है?
उत्तर- विवर्तक का आकार, आपतित तरंगों की तरंगदैर्ध्य की कोटि का या इससे छोटा हो।
प्रश्न 4. ध्वनि में विवर्तन का अपने दैनिक जीवन में कोई उदाहरण बताइये।
उत्तर- हम कमरे में बैठे-बैठे बाहर सड़क पर अखबार वाले की आवाज सुन लेते हैं। इसका कारण ध्वनि तंरगो का विवर्तन ही है।
प्रश्न 5. ध्वनि तरंगों का विवर्तन प्रदर्शित करना प्रकाश तरंगों की अपेक्षा आसान है, क्यों?
उत्तर- क्योंकि विवर्तन के लिए अवरोध अथवा द्वारक का आकार तरंग की तरंगदैर्ध्य की कोटि का होना चाहिए। ध्वनि तरंगों की
तरंग दैर्ध्य, प्रकाश की तरंगदैर्ध्य से बहुत अधिक होती है तथा यह सामान्य अवरोधकों की कोटि की होती है। अतः ध्वनि
तरंगों का विवर्तन प्रदर्शित करना प्रकाश तरंगों की अपेक्षा आसान होता है।
प्रश्न 6. व्यतिकरण तथा विवर्तन में क्या अन्तर है?
उत्तर- व्यतिकरण की घटना दो विभिन्न कला सम्बद्ध प्रकाश स्त्रोतों से आने वाली दो तरंगों के अध्यारोपण के कारण होती है, जबकि विवर्तन की घटना अवरोध द्वारा बिना ढके हुए आपतित तरंगाग्र के प्रत्येक बिन्दु से उत्सर्जित द्वितीयक तरंगिकाओं के अध्यारोपण के कारण होती है।
प्रश्न 7. आपके प्रयोग में विवर्तन तथा ऋजुकोर पर विवर्तन में क्या अन्तर है?
उत्तर- इस प्रयोग में विवर्तन फ्रॉनहोफर वर्ग का होता है, जिसमें प्रकाश स्त्रोत तथा प्रेक्षण बिन्दु दोनों प्रभावी रूप से अनन्त पर होते हैं, जबकि ऋजुकोर के प्रयोग में विवर्तन फ्रेनेल वर्ग का होता है जिसमें प्रकाश स्त्रोत तथा प्रेक्षण बिन्दु दोनों परिमित (finite) दूरी पर होते हैं।
प्रश्न 8. आप अपने प्रयोग में कौन-सा प्रकाश स्त्रोत प्रयुक्त कर रहे हो?
उत्तर- एकवर्णी प्रकाश स्त्रोत (सोडियम लैम्प)।
प्रश्न 9. आपके प्रयोग में विवर्तन प्रतिरूप में तीव्रता वितरण किस प्रकार होता है?
उत्तर- आपतित प्रकाश की दिशा में एक चमकीला मुख्य उच्चिष्ठ होता है जिसके दोनों ओर क्रमशः घटती तीव्रता के गौण उच्चिष्ठ
होते हैं। दो क्रमिक गौण उच्चिष्ठों के बीच एक निम्निष्ठ बनता है। प्रत्येक निम्निष्ठ पर प्रकाश की तीव्रता शून्य होती है तथा
उत्तरोत्तर गौण उच्चिष्ठों पर तीव्रता क्रमशः I0/22, I0/62, I0/120……… होती है जहाँ प्0 केन्द्रीय मुख्य उच्चिष्ठ पर
तीव्रता है।
प्रश्न 10. मुख्य उच्चिष्ठ के किसी एक ओर प्रथम निम्निष्ठ कहाँ बनता है?
उत्तर- जहाँ विवर्तन कोण θ का मान लगभग λ/a होता है (क्योंकि प्रथम निम्निष्ठ के लिए a s पद θ =J + a λ यदि a स्लिट की
चैड़ाई तथा λ प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्ध्य है)।
प्रश्न 11. इन फ्रिन्जों तथा द्वि-स्लिट प्रयोग में प्राप्त फ्रिन्जों में क्या अन्तर है?
उत्तर- ये (या विवर्तन) चमकीली फ्रिन्जें क्रमशः घटती तीव्रता की फ्रिन्जें हैं, जबकि द्वि-स्लिट प्रयोग में व्यतिकरण चमकीली फ्रिन्जें एकसमान तीव्रता की होती है। दो क्रमागत दीप्त विवर्तन फ्रिन्जों के बीच की दूरी धीरे-धीरे. घटती जाती है, जबकि द्वि-प्रिज्म प्रयोग में व्यतिकरण फ्रिन्जें समदूरस्थ होती हैं।
प्रश्न 12. आपके प्रयोग में केन्द्रीय उच्चिष्ठ के फैलाव पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यदि रिलट S कीे चैड़ाई घरा दी जाये?
उत्तर- स्लिट S d डाई घटने से केन्द्रीय उच्चिष्ठ का फैलाव बढ़ जायेगा।
प्रश्न 13. यदि हरे एकवर्णी प्रकाश के स्थान पर लाल एकवणी प्रकाश प्रयुक्त किया जाये तो केन्द्रीय उच्चिष्ठ के फैलाव पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर- चूंकि λred > λgreen अतः हरे एकवर्णी प्रकाश के स्थान पर लाल प्रकाश प्रयुक्त करने पर केन्द्रीय उच्चिष्ठ का फैलाव बढ़ जायेंगा।