WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

रसायन विज्ञान में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के गुण व दोषों वस्तुनिष्ठ प्रश्न की विशेषता objective questions on importance in chemistry in hindi

objective questions on importance and drawbacks in chemistry in hindi रसायन विज्ञान में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के गुण व दोषों वस्तुनिष्ठ प्रश्न की विशेषता ?

 रसायन विज्ञान में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के गुण व दोषों की विवेचना कीजिये ।
Discuss the merits and demerits of Objective type questions in Chemistry.
उत्तर-वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर का प्रारूप और आकार पूर्व निर्धारित होता है एवं प्रदत्त उत्तरों में से ही एक चयन करना होता है और कई बार उत्तर का निर्माण करना होता है, पर इस स्थिति में उत्तर निश्चित, स्पष्ट और एक ही होता है। कितने ही छात्र इस प्रश्न को हल करें, सब एक ही उत्तर देंगे।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को उनकी बनावट की दृष्टि से दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। पहले वर्ग में शुद्ध उत्तरों का छात्र निर्माण करते हैं जिन्हें प्रत्यास्मरण रूप (रिकॉल टाइप) कहते हैं। इसमें रिक्त स्थानों की पूर्ति और साधारण प्रत्यास्मरण वाले प्रश्नों का समावेश किया जा सकता है। दूसरे वर्ग में उन प्रश्नों को रखते हैं, जिनमें दिये हुए उत्तरों में से शुद्ध उत्तर का चयन मात्र करना होता है, जिन्हें अभिज्ञान रूप (रेकग्निशन टाइप) कहा जा सकता है।
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के गुण –
1. वस्तुनिष्ठ परीक्षण सर्वाधिक वैध एव विश्वसनीय होते हैं।
2. ये परीक्षण पक्षपातरहित होते हैं।
3. ये परीक्षण पूरे पाठ्यक्रम को समाहित करते हैं अतः इनमें व्यापकता का गुण पाया जाता है।
4. यह परीक्षण रटने की प्रवृत्ति का विरोध करते हैं।
5. इस प्रकार के परीक्षणों में उत्तर संक्षेप में दिया जाता है अतः भाषा सम्बन्धित कठिनाई की समस्या नहीं आती है।
6. इस प्रकार के परीक्षण में मूल्यांकन में कोई मतभेद नहीं होता है। सभी प्रश्न वस्तुनिष्ठ होते हैं।
7. इस प्रकार के परीक्षण में उत्तर देने में समय की बचत होती है। कम समय में ही पूर्ण पाठ्यक्रम से प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
8. इस प्रकार के परीक्षण से कुशाग्र बुद्धि वाले छात्रों का आसानी से पता लग जाता है।
9. इस प्रकार के परीक्षण में प्रश्नों की बनावट इस प्रकार की होती है जिससे छात्रों में तर्क शक्ति, निर्णय शक्ति आदि विकसित होती है।
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के दोष (Demerits) –
1. यह विधि मनोविज्ञान के सिद्धान्त के विपरीत है।
2. इस विधि से छात्रों में नकल की प्रवृत्ति विकसित होती है।
3. इस विधि द्वारा निर्मित प्रश्न छोटे होते हैं अतः विषय वस्तु की गहनता का मापन नहीं हो सकता।
4. अध्यापकों के लिए इस प्रकार के परीक्षणों का निर्माण करना कठिन होता है और इसमें श्रम व समय अधिक खर्च होता है।
5. इस प्रकार के परीक्षणों से छात्रों में मौलिकता व कल्पना शक्ति विकसित नहीं होती है।
6. यह परीक्षण छात्रों में कौशल व रचनात्मकता को विकसित नहीं करते हैं।
7. सुलेख अभ्यास का इस प्रकार के परीक्षण में कोई स्थान नहीं है।
8. इस प्रकार के परीक्षण में छात्र अनुमान के आधार पर सही उत्तर दे सकता है।
9. इस प्रकार के परीक्षण से भाषा पर अधिकार व भावों की अभिव्यक्ति का पता नहीं लगता है।
10. इस प्रकार के परीक्षण में निदान की कोई व्यवस्था नहीं होती है।
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों की कमियों को दूर करने के सुझाव
1. वस्तुनिष्ठ परीक्षणों में प्रश्नों के कठिनाई के स्तर एवं विभेदीकरण को ध्यान में रखना अति आवश्यक होता है।
2. वस्तुनिष्ठ परीक्षणों में प्रश्न पत्रों का निर्माण सबसे मुख्य कार्य है। प्रश्न पत्रों का निर्माण इस प्रकार किया जाना चाहिए कि उनमें अनुमान की संभावना नहीं रहे ।
3. प्रश्न पत्र को प्रयोगों एवं अनुभवों के द्वारा परख कर प्रमाणित बना लेना चाहिए।

रसायन विज्ञान शिक्षण में रसायन विज्ञान प्रयोगशाला का महत्व स्पष्ट कीजिये। एक रसायन विज्ञान प्रयोगशाला की योजना व चित्र बनाइये जिसमें 20 विद्यार्थी एक साथ काम कर सकें।
Discuss the importance of chemistry laboratory in the teaching of Chemistry.k~ Prepare a plan and layout of chemistry laboratory where twenty students can work at a time.
उत्तर-प्रयोगशालाओं के संगठन के लिये योजना आयोग ने सन् 1964 में विद्यालयों में विज्ञान शिक्षा की दशा का आंकलन (Assessment) करने के लिए एक समिति (Committee) गठित की। इस समिति ने भारत में विज्ञान शिक्षा स्तर में सुधार के लिये अपने सुझाव प्रस्तुत किये। ये सुझाव यूनेस्को के विशेषज्ञों के नियोजन आयोग (Unesco Planning Mission of Exports) द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में उल्लिखित संस्तुतियां (Recommendations) के आधार पर हैं जिनमें प्रमुख इस प्रकार हैंः-
अवस्थिति (Location) – प्रयोगशाला विद्यालय भवन (School Building) के एक छोर पर क्षेतिज स्थिति (Horçontal Position) में निर्मित की जाये। यह भू-मंजिल (Ground Floor) पर ही हो। इसके दरवाजे (Gates) उत्तराभिमुख (Northword) हों।
इससे दिन भर दांए-बांए से सूर्य का प्रकाशं प्रयोगशाला में उपलब्ध रहता है। अभिन्यास (Layout)- समिति ने माध्यमिक स्तर की भौतिकी/रसायनशास्त्र/जीव पशान का प्रयोगशालाओं के लिए दो प्रारूप प्रस्तावित किये हैं। पहले प्रारूप में 42 पायया के लिए एक साथ कार्य करने के लिए 78.8 वर्गमीटर क्षेत्रफल की प्रयोगशाला का प्रावधान है। दूसरे प्रारूप को इसके विस्तार (Extension) के रूप में प्रस्तत किया गया है। इसमें 46.6 वर्गमीटर के दसरे कक्ष की व्यवस्था है। इसमें 20 विद्यार्थी एक साथ कार्य कर सकते है। इनमें प्रति विद्यार्थी लगभग 196 वर्गमीटर स्थान उपलब्ध होता है। दूसरे प्रारूप् में भौतिक विज्ञानों (Physical Science – Physics, Chemistry and Biology) के लिए बहुउद्देश्यीय रसायन विज्ञान की प्रयोगशाला का कार्य कर सकती है। इन दोनों प्रारूपों में 15 वर्गमीटर के एक शिक्षक कक्ष (Teachers Room) का प्रावधान है। इसमें प्रयोग प्रदर्शन की तैयारी (Preparation for Demonstration) तथा शिक्षक के लिए अन्य सभी प्रकार की आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं ।
रसायन विज्ञान शिक्षण में रसायन विज्ञान प्रयोगशाला के महत्त्व के लिये इसी इकाई के लघूत्तरात्मक प्रश्न संख्या 6 का उत्तर देखिये।
UNIT-V
लंघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर