सी-डीएनए लाइब्रेरी क्या होती है ? c-DNA Library in hindi definition meaning types सीडीएनए

c-DNA Library in hindi definition meaning types सी-डीएनए लाइब्रेरी क्या होती है ? सीडीएनए ?

सी-डीएनए लाइब्रेरी
(c-DNA Library)
परिचय (Introduction)
सी-डीएनए (c-DNA) को कॉपी डीएनएध्कॉप्लीमेन्ट्री डीएनए कहते हैं। यह कॉम्लीमेन्ट्री डीएनए वास्तव में पूरक डीएनए हैं जो m आएनए (mRNA) अणु को टेम्पलेट के रूप में प्रयुक्त करके रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज नामक एन्जाइम की उपस्थिति में स्वतंत्र 3′-OH समूह वाले प्राइमर पर निर्मित (कॉपी) होता है। टेम्पलेट m आरएनए 3’पोली । पुच्छ युक्त तथा प्राइमर भी 3′-OH पॉली । पुच्छ युक्त तथा प्राइमर भी 3′-OH पॉली-T-ओलिगोन्यूक्लियोटाइड युक्त होती है जिस पर सी डीएनए (CDNA) निर्मित होता है।
सीडीएनए (cDNA) लाइब्रेरी में रूपान्तरित जीवाणु अथवा बैक्टीरियोफॉज लाइजेट (lysates) के क्लोन सुरक्षित रहते हैं जिसमें किसी जीव से प्राप्त सभी उआरएनए (mRNA), सीडीएनए (cDNA) के रूप में निवेशित रहते हैं।
वाहक में समाकलित सी डीएनए (cDNA) का निवेश रहता है ऐसे समाकलित सी डीएनए युक्त्त वाहकों का उपयुक्त बैक्टीरिया परपोषी में क्लोन किया जाता है। वांछित बाह्य डीएनए युक्त क्लोनों के संग्रह को ब-डीएनए या जीनोमिक लाइब्रेरी (cDNA library) कहते हैं।
c-डीएनए लाइब्रेरी के लिए सर्वप्रथम m-आरएनए का विलगन (isolate) करते हैं। विलगित आरएनए से एन्जाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज द्वारा 3′-OH पर डीएनए निर्मित करते हैं। इस प्रकार डीएनए निर्माण के पश्चात् इसको उपयुक्त वाहक जैसे प्लाज्मिड अथवा फॉज में समाकलित (integrate) करके वाहक के डीएनए के साथ सलंग्न कर देते हैं। अंतिम चरणों में निवेशित डीएनए युक्त वाहकों को बैक्टीरिया परपोषी में क्लोन तैयार करते हैं।
सीडीएनए लाइब्रेरी में उपस्थित कुल क्लोन की संख्या भिन्न-भिन्न जीवों में अलग-अलग होती है। यदि जीनोम जटिल हैं तो लाइब्रेरी में क्लोन की संख्या अधिक होगी परन्तु यदि किसी जीव कके निवेश्य डीएनए का साइज छोटा होग तक इसके ब-डीएनए लाइब्रेरी का आकार उतना ही अधिक होगा।
क्र.
सं. जीव बाह्य डीएनए की लम्बाई
लाइब्रेरी का साइज
जीनोम का साइज
1. ई. कोलाई 20kb 1,157 क्लोन 3.75 x 103kb
2. यीस्ट 20kb 3,462 क्लोन 1.5 x 104 kb
3. ड्रोसोफिला 20kb 38,000 क्लोन 1.65 x 105kb
4. मानव 20kb 6,90, 819 क्लोन 3 x106kb
एम-आरएनए का चयन (Selection of mRNA)
जीवों के डीएनए क्लोन करने के लिए उसका उत्छ। प्राप्त करना आवश्यक है। इसके लिए इनके ऊतकों से सम्पूर्ण आरएनए को विलगित किया जाता है।
विकसित होते बीजों में mRNA की सान्द्रता अधिक पायी जाती है। घनत्व प्रवणता अपकेन्द्रण द्वारा भी इसकी मात्रा बढ़ाई जा सकती है। कॉलम क्रोमेटोग्राफी द्वारा भी यह मात्रा अधिक की जा सकती है।
सी-डीएनए का उत्पादन (Production of cDNA)
सी-डीएनए के उत्पादन के लिए निम्न तीन की आवश्यकता होती है
(1) टेम्पलेट (Template) – टेम्पलेट के रूप में 3′ पर पॉलि । पुच्छ युक्त उआरएनए का प्रयोग c डीएनए निर्माण के लिए किया जाता है।
(2) पॉलि ज्प्राइमर (Poly-T-Primer) – टेम्पलेट mRNA से पूरक डीएनए निर्मित करने के लिए प्राइमर की उपस्थिति सर्वथा अनिवार्य है। सी-डीएनए निर्माण के लिए प्राइमर 3’OH युक्त एवं पॉलि T युक्त होना चाहिए।
(3) एन्जाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज (Eæyme Reverse Transcriptase) – इस एन्जाइम का आविष्कार वैज्ञानिक टेमिन तथा बाल्टीमोर (Temin and Baltmore) ने 1970 में किया था। यह एन्जाइम m-आरएनए टेम्पलेट 3′ पोलि । पुच्छ पर उत्प्रेरित करके इसका पूरक डीएनए अणु निर्मित करता है जिसके फलस्वरूप आरएनए-डीएनए संकर अणु (hybrid molecule) निर्मित होते हैं। इस एन्जाइम की प्रकृति भी डीएनए पॉलीमरेज की तरह ही होती है यह 3श्व्भ् समूह युक्त प्राइमर पर ही सक्रिय होता है।
सीडीएनए के निर्माण की विधि (Process of c-DNA formation)
यूकेरियोटिक जीवों में टेम्पलेट के रूप में उआरएनए में 3′ सिरे पर पॉलि । लगे रहते है।
प्रोकेरियेटिक जीवों में mRNA,r आरएनए तथा आरएनए वायरस के जीनोम का ब डीएनए प्राप्त करने के लिए इनके 3′ सिरे पर पॉलि । पुच्छ का निर्माण करने की आवश्यकता पड़ती है अतः इन्हें पॉली – पॉलिमरेज एन्जाइम से उपचारित करके इनके 3′ सिरे को पॉलि.। पुच्छ युक्त बनाया जाता है।
उपर्युक्त तकनीक के अलावा यदि प्रोकेरियोटिक जीव के वांछित उ आरएनए के 3′ सिरे के क्षारक के अनुक्रम ज्ञात होने की स्थिति में इसके पूरक ओलिगोन्यूक्योटाइड को प्राइमर के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।
टेम्पलेट m आरएनए के 3′ सिरे पॉलि । पुच्छ से उपयुक्त ओलिगोन्यूक्लियोटाइड प्राइमर पॉलि ज् युक्त से संलग्न (anneal) करवाते हैं। टेम्पलेट एवं प्राइमर के क्षारक 3′ सिरे से एन्जाइम रिवर्स टांसक्रिप्टेज की उपस्थिति में युग्मन प्रारम्भ करता है। इसके साथ ही पूरक डीएनए का सूत्र निर्मित होने लगता है। इसकी परिणति आरएनए-डीएनए संकर अणु (hybrid molecule) के रूप में होती है।
इस संकरित अणु से m-RNA का आरएनएज H (RNAase H) से उपचारित करके अथवा क्षारीय जलअपघटन (alkaline hydrolysis) द्वारा आरएनए का पाचन करके हटा दिया जाता है जिसके फलस्वरूप एक सूत्रीय डीएनए (cDNA) प्राप्त हो जाता है। इसकी विशेषता यह होती है कि यूकेरियोटिक जीव के डीएनए में उपस्थित इन्ट्रॉन इसमें अनुपस्थित रहते हैं क्योंकि m-आरएनए में भी यह स्प्लाइस कर दिये जाते हैं तथा सभी अमीनो अम्ल को कोड करने योग्य एक्जॉन सक्रिय जीन उपस्थित रहते हैं।
एक सूत्री सी-डीनएन (single stranded c-DNA) को द्विसूत्रीय करने के लिए रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज अथवा ई.कोलाई के डीएनए पॉलिमरेज का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में 3श्सिरे पर उपस्थित -OH समूह ही प्राइमर का कार्य करता है। एकसूत्रीय सीडीएनए से द्विसूत्रीय सीडीएनए बनाने में इसके एक सिरे पर छोटा केशपिन लूप (hair pin loop) बन जाता है जिसे एकल सूत्रीय विशिष्ट न्यूक्लिएज एन्जाइम द्वारा कट करके विदलित (cleave) किया जाता है। इस प्रकार m आरएनए से सी डीएनए प्राप्त हो जाता है।
सी-डीएनए की विशेषतायें (Importance of c-DNA)
सीडीएनए विशिष्ट डीएनए होते हैं जिनमें निम्न खासियत होती है
(1) यूकेरियोटिक जीव के डीएनए में सक्रिय जीन एक्जॉन तथा निष्क्रिय जीन इन्ट्रॉन दोनों उपस्थित होते हैं परन्तु यूकेरियोटिक के सी-डीएनए में केवल सक्रिय जीन एक्जॉन ही उपस्थित होते हैं ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह mRNA के पूरक हो ते हैं जिनमें इन्ट्रॉन नहीं होते।
(2) यूकेरियोटिक जीन को यदि प्रोकेरियोटिक जीन में डाला जाता है तो इनकी सही अभिव्यक्ति (expression) के लिए इन्हें इन्ट्रॉन रहित (प्रोकेरियोटिक जैम) करना अनिवार्य हो जाता है।
(3) सी-डीएनए निर्माण के साथ ही इसके क्लोन अधिक आसानी से बैक्टीरिया द्वारा परपोषी में प्राप्त किये जा सकते हैं।
(4) सी-डीएनए को समाकलित करके क्लोन के रूप में लाइब्रेरी में सुरक्षित रखने से संकट ग्रस्त (endangered) जीवों के जर्मप्लाज्म (germplasm) को संरक्षित किया जा सकता है।
सी-डीएनए लाइब्रेरी का उत्पादन (Production of cDNA library)
जिस जीव के जीनोम को क्लोन करना है उसके सम्पूण जीनोमिक डीएनए को अलग कर लिया जाता है। निष्कर्षित जीनोमिक डीएनए को प्रतिबन्ध एन्जाइम (restriction eæyme) से उपचारित करके इसको विभिन्न एक समान खण्डों में काट लिया जाता है। सामान्यतः Alu’ (AG/CT), Hae 11, (GG/CC) एवं Sau 3। (/GATC) का इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। प्रतिबन्ध एन्जाइम 4 bp पहचान स्थल (recognition site) वाले होते हैं। यह एन्जाइम निम्न दो कारणों से उपयोगी सिद्ध हुए हैं-
(प) एक एन्जाइम का प्रयोग करने से हर बार एक समान डीएनए खण्ड कटेंगे।
(पप) खण्डित डीएनए के सिरे ससंजक (cohesive) होते हैं।
उपर्युक्त निर्मित खण्डों को एगरोज जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस (Agarose gel electrophoresis) पर गुजार कर इसके एक समान आकार के खण्ड प्राप्त कर लेते हैं।
वाहक में समाकलन (integration in vector) एक समान डीएनए खण्डों को उपयुक्त वाहक जैसे कॉस्मिड का चयन करके इसके डीनएन में जीन के खण्डित डीएनए के भाग को शॉट गन विधि द्वारा समाकलित कर देते हैं। इन वाहकों में लगभग 25kb (25 हजार क्षारक युग्म) आमाप के डीएनए खण्डो को क्लोन किया जा सकता है। इस निवेशित डीएनए (insert DNA) युक्त वाहकों को सम्बन्धित बैक्टीरिया पोषी (host) में क्लोन कर लेते हैं।
वांछित जीन की आसानी से स्थिति ज्ञात हो जाती है। इस वांछित जीन युक्त जैल को निकाल कर इसमें से डीएनए खण्डों को निक्षालित (eluate) करके निकाल कर क्लोनन कर लेते हैं।
सीडीएनए लाइब्रेरी से वांछित क्लोन की पहचान
(Recognition of the desired clone from cDNA library)
कॉलोनी संकरण (colony hybridçation) द्वारा ब डीएनए लाइब्रेरी के अनेक क्लोन्स (clones) में से वांछित जीन अथवा डीएनए खण्ड युक्त क्लोन को चिन्हित किया जाता है। इसके लिए प्रोब (probe) का प्रयोग करते हैं जो रेडियोधर्मी समस्थानिक (radioactive isotope) द्वारा लेबल किया होता है। प्रोब हेतु निम्न का प्रयोग कर सकते हैं-
(प्) सम्बन्धित जीन का mRNA
(प्प्) उसके उत्छ। का cDNA
(प्प्प्) संश्लेषित ओलिगोन्यूक्लियोटाइड
चिन्हित किये जाने के पश्चात् इसका जैल इलैक्ट्रोफोरेसिस किया जाता है जिससे एक ही आमाप धारक संगठन के आधार पर इनका विलगन (isolation) हो जाता है। तत्पश्चात् जल (gel) हित जीन अथवा डीनएन खण्ड के लिए प्रोब (probe) के साथ जैल में सदर्न संकरण (southern hybridçation) किया जाता है।
प्रश्न (Questions)
;।) बहुविकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)
1. डीएनए लाइब्रेरी के लिए सर्वप्रथम किसका विलगन करते है
(ं) m-RNA . (इ) tRNA
(ब) r-RNA (क) सभी
To obtain DNA library what is isolated
(a) m-RNA (b) tRNA
(c) r-RNA (d) All
2. रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज एन्जाइम खोजा था
(ं) टेमिन व बाल्टीमोर (इ) हैमिल्टन व स्मिथ
(ब) लिन व आर्बर (क) कोई नहीं
Eæyme Reverse transcriptase was discovered by
(a) Temin and Baltimore (b) Hamilton and Smith
(c) Linn and Arber (d) None
उत्तर (।देूमते)
1. (a), 2. (ba)
(ठ) रिक्त स्थान भरिए (Fill In the Blanks)
1. सी-डीएनए को ……………………./………… डीएनए कहते हैं। .
c-DNA is also called as ———–/————- DNA
2. जीवों के c-DNA क्लोन करने के लिए उसका ………….. प्राप्त करना जरूरी है।
To obtain c-DNA clone of organisms it is essential to obtain their ———–
उत्तर (Answers)
1. कॉपीध्कॉम्पलीमेंटरी (Copy/complementary), 2. एम-आरएनए (m-RNA)
(ब्) सत्य ध्असत्य (True or False)
1. एन्जाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज 1970 में खोजा गया था।
Eæyme reverse transcriptase was discovered in 1970.
2. टेम्पलेट m-RNA से पूरक डीएनए निर्मित करते हैं ।
C-DNA is made by using template m-RNA
उत्तर (Answers)
1. सत्य (True), 2. सत्य (True)
(क्) अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
1. C-डीएनए हेतु किस प्रकार का टेम्पलेट इस्तेमाल करते हैं।
For formation of c-DNA what kind of template is used.
2. सी-डीएनए की एक विशेषता बताइये।
Write one characteristic of c-DNA.
(म्) टिप्प्णी लिखिये। (Short Answer Type Questions)
1. सी-डीएनए की विशेषताओं पर टिप्प्णी लिखिये।
Write the characteristics of c&DNA.
2. सी-डीएनए लाइब्रेरी के उत्पादन पर टिप्प्णी लिखिये।
Write a short note on production of c&DNA library.
3. सी-डीएनए बनाने हेतु आरएनए चयन पर टिप्पणी लिखिये।
For making c-DNA write about the selection of m-RNA.
(थ्) निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions) .
1. सी-डीएनए लाइब्रेरी पर लेख लिखिये।
Write an essay on c-DNA library-