टिंगकेबान क्या है | the Tingkeban in hindi meaning definition टिंग के बान कब आयोजित किया जाता है ?
टिंग के बान कब आयोजित किया जाता है ? टिंगकेबान क्या है | the Tingkeban in hindi meaning definition ?
‘‘टिंगकेबान‘‘ (The ‘Tingkeban’)
जन्म से संबद्ध अनुष्ठान में चार मुख्य स्लामेतान होते हैं। पहले को ‘‘टिंगकेबान‘‘ कहते हैं जो कि गर्भधारण के सातवें महीने में मनाया जाता है। दूसरा जन्म के समय और तीसरा जन्म के पांच दिन बाद और चैथा जब बच्चा सात महीने का हो जाता है, तब मनाया जाता है । हम स्त्री के गर्भधारण के सातवें महीने में मनाए जाने वाले सप्त माह समारोह अर्थात ‘टिंगकेबान‘ का वर्णन करेंगे।
‘‘टिगकेबान‘‘ जावाई महिला को मातृत्व का परिचय देने का प्रतीक है। इसका आयोजन महिला के शिशु को जन्म देने के पहले दिन किया जाता है। यह गर्भवती महिला के मायके में मनाया जाता है। इसमें निम्नलिखित वस्तुओं की आवश्यकता होती हैः
प) प्रत्येक मेहमान को केले के पत्ते पर चावल परोसा जाता है जिसमें ऊपरी परत सफेद चावल की होती है और निचली पीले रंग की और जो क्रमशः शुद्धता और प्रेम के प्रतीक हैं। चावल केले के पत्ते के दोने में परोसा जाता है, सुई युक्त दोने बच्चे के शक्तिशाली और तीक्ष्ण बुद्धि का प्रतीक होता है।
पप) मसाले से भरे हुए मुर्गे और कसे हुए नारियल के साथ चावल हजरत मोहम्मद साहब के सम्मान में परोसा जाता है जिससे कि उपस्थित जनों को “स्लामत” की प्राप्ति हो। दो केले देवी प्रतिमा या फातिमा, हजरत मोहम्मद साहब की बेटी को अर्पित होते हैं। यह उस समन्वय का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसका उल्लेख पहले किया गया है। फातिमा को हिन्दू देवी प्रतिमा भी माना गया है।
पपप) चावल के सात छोटे पिरामिड (ढेर) जो कि गर्भ के सात महीनों के प्रतीक होते हैं।
पअ) आठ या नौ चावल के गोले जो कि उन बलियों के प्रतीक हैं जो इस्लाम को जावा लेकर आए थे।
अ) चावल का एक बड़ा पिरामिड जो कि बच्चे के मोटे ताजे होने का प्रतीक होता है।
अप) फलों और सब्जियों का एक ढेर जिन में कुछ पेड़ पर लटकने वाले और कुछ जमीन के नीचे पैदा होने वाली सब्जियां होती हैं। पहला आकाश का प्रतीक है और दूसरा धरती का।
अपप) तीन प्रकार के चावल की लुगदी (दलिया) सफेद, लाल और दोनों का मिश्रण । सफेद माता के पानी का प्रतीक है, लाल पिता के और दोनों का मिश्रण आत्माओं से बचाव के लिये।
अपस) ‘‘रूडजेक लंगी‘‘ (Rudejak Lengi) काली मिर्च और मसाला चीनी युक्त एक मसालेदार फलों का रस है । यह ‘‘टिंगकेवान” की सबसे महत्वपूर्ण खाने की चीज है । यदि यह गर्भवती औरत को मसालेदार या तीखा लगता है तो माना जाता है कि उसके गर्भ में लड़की है, और यदि मसालेदार तीखा नहीं लगा तो लड़का माना जाता है ।
अब तक आप समझ गए होंगे कि जावाई लोग आत्मा (बुरी आत्मा) से बुरी तरह भयभीत होते हैं । प्रत्येक ‘‘स्लामेतान‘‘ में ‘‘सडजेन‘‘ के रूप में आत्माओं को विशेष रूप से चढावा चढ़ाया जाता है। टिंगकेबान सडजेन में उनके (आत्माओं के लिए धागे, सुगंधि, तंबाकू, सुपारी करघे की भरनी) अंडा आदि का चढ़ावा केले के पत्ते के दोने में चढ़ाया जाता है। इन्हें अलग से अनुष्ठान में इस्तेमाल के लिये रखा जाता है। आरंभिक भाषण, अरबी प्रार्थना और भोजन को चखने के बाद टिंगकेबान आरम्भ होता है। यह उस दाई “दुकुन वाजी‘‘ के द्वारा किया जाता है जो बच्चा जनने (प्रसूति) के समय वहां रहेगी।
दुकुन बाजी एक बर्तन से पंखुड़ियों वाला (सात नदियों का पानी छिड़कती है) फूल और अंजलि भर जल दम्पति पर डाल कर उनकी आने वाली नस्ल की खुशहाली के लिये मंत्र पढ़ती है।
सदजेन से धागा ले कर गर्भवती औरत के कमर पर ढीला बांध दिया जाता है। तब पति उस धागे को एक चाकू (क्रिस) से काटता है, इस बीच दुकुन आसान प्रसूति के लिए मंत्र तंत्र पढ़ती है। ‘‘सदजन‘‘ से करघा की भरती लेकर गर्भवती औरत के सैराँग (साडी जैसी चीज जो जावाई औरतें पहनती हैं) में गिरायी जाती हैं। जिसे उस औरत के पति की मां नीचे से पकड़ती हैं और उसे बच्चे की तरह शाल में लपेट कर गोद में लेती हैं। इसके बाद कच्चे (हरे) नारियल जिन पर पौराणिक दम्पत्ति जनक और सुभद्रा की तस्वीर होती है पति के सामने रखे जाते हैं वह दोनों को एक बड़े चाकू से काटता है। यदि दोनों फट जाते हैं तो प्रसूति आसान मानी जाती है। यदि एक फटता है तो दूसरा होने वाले बच्चे का लिंग निर्धारित करता है (यहां जनक वाला नारियल लड़के और सुभद्रा लड़की का प्रतीक है) यदि दोनों में से कोई नारियल नहीं फूटता तो लम्बे कष्टपूर्ण प्रसूति की भविष्यवाणी की जाती है। अतः हम देख सकते हैं कि टिंगकेबान एक जटिल अनुष्ठान है और इसमें आत्माओं और इस अनुष्ठान में भाग लेने वालों को पौष्टिक खाद्य पदार्थ अर्पित किए जाते हैं। अनुष्ठान की रोचकता है कि गर्भवती औरत एक के बाद दूसरा सैराँग पहनती है और नीचे से पहले वाला उतारती जाती है। सातवा और अंतिम सैराँग भारी सूती कपड़े का होता है जिस का रंग नही उड़ता। यह मां और बच्चे के आजीवन संबंध और प्रेम का प्रतीक है। वैसे जावाइयों का विश्वास है कि मां का कोई कपड़ा साथ रखने से यह व्यक्ति हमेशा ‘‘सलामत‘‘ रहेगा। ऐसा इसलिए है कि कोई भी बच्चा नौ महीने अपनी मां की कोख में शान्ति से रहता है जिसकी तुलना धार्मिक चिंतन से की जाती है।
अंततः वह दंपत्ति सभी उपस्थित जनों को फलों का रस (Rudjak Legi) देती है और बदले में कुछ औपचारिक प्रतीकरूप में धन लेती है, और अनुष्ठान का समापन होता है। ग्यर्ट्स के शोध कार्य में कहीं भी इस अंतिम कर्मकांड का महत्व नहीं बताया गया है। कुछ लोग कहते हैं कि गर्भवती इन पैसों से बच्चे के लिये दवाइयां (औषधियाँ) खरीदेगी। बच्चे के लिये किसी अन्य प्रकार की तैयारी (जैसे बच्चे के लिये कपड़े आदि बनाना) अशुभ माना जाता है। अतः हम देखते हैं कि टिंगकेवान का अनुष्ठान आसान प्रसूति और स्वस्थ तंदुरस्त बच्चे के हित में किया जाता है। आत्माओं को पहले से शान्त किया जाता है और देवी-देवताओं को शुभ कार्य के लिये आमंत्रित किया जाता है। अब हम जावा के मुख्य बड़े आयोजनों में से एक विवाह संबंधी अनुष्ठान के विषय में जाने । लेकिन इससे पहले, आइए बोध प्रश्नों के उत्तर दें।
बोध प्रश्न 3
प) टिंगकेवान का आयोजन कब और क्यों होता है? लगभग पाँच पंक्तियों में उत्तर दीजिए।
पप) मां का कोई एक कपड़ा पास रखने से व्यक्ति ‘‘सलामत‘‘ रहता है क्यों? अपना उत्तर दो पंक्तियों में दीजिए।
बोध प्रश्न 3
प) पहले बच्चे की गर्भावस्था के सातवें महीने में ‘‘टिंगकेबान‘‘ का आयोजन किया जाता है। इस अनुष्ठान के द्वारा औरत का मातृत्व से परिचय कराया जाता है।
पप) बच्चा जो नौ महीने अपनी मां के गर्भ में चुपचाप बिताता है, इसकी तुलना धार्मिक (आध्यात्मिक) चिंतन से की गई है। इसलिए मां और बच्चे के बीच का संबंध चिरस्थाई होता है। इसलिए माना गया है कि मां का कोई कपड़ा साथ रहने से व्यक्ति ‘‘सलामत‘‘ रहता है।
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