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नई औद्योगिक नीति की कमियाँ क्या है | नयी औद्योगिक निति में कमी क्या रही थी merits and demerits of new industrial policy 1991

merits and demerits of new industrial policy 1991 in hindi नई औद्योगिक नीति की कमियाँ क्या है | नयी औद्योगिक निति में कमी क्या रही थी ?

नई औद्योगिक नीति की कमियाँ
नई औद्योगिक नीति में जहाँ विकास और कुशलता के संवर्धन के लिए काफी कुछ है वहीं इसने कई गंभीर समस्याओं पर अत्यल्प ध्यान दिया है। यही कारण है कि औद्योगिक परिदृश्य में कुछ अत्यंत ही उद्विग्न करने वाले तत्व मौजूद हैं। इसमें रोजगार वृद्धि के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं करना, उद्यमियों के लिए एक्जिट नीति (इकाई बंद करने की नीति) का अभाव, और अनुसंधान तथा विकास को बढ़ावा देने के लिए कोई प्रयास नहीं करना सम्मिलित हैं। इस भाग में हम इन कमियों पर विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे। .
रोजगार को नजरअंदाज करना
अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण पहलू, जिसकी नई औद्योगिक नीति में उपेक्षा की गई है वह श्रम-बल में वृद्धि के अनुरूप रोजगार का सृजन है। यह तथ्य विशेष रूप से संगठित क्षेत्र जिसमें बृहत् और मध्यम उद्योग सम्मिलित हैं के बारे में अधिक सत्य है। ऐसा प्रतीत होता है कि नई औद्योगिक नीति में इस समस्या पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया है और सिर्फ वृद्धि का ही राग अलापा गया जैसा कि अस्सी के दशक के दौरान हुआ था। पेट्रोरसायन, रसायन और सहायक उत्पादों और विद्युत मशीनें तथा उपकरण जैसे उद्योग, जो अस्सी के दशक में औद्योगिक वृद्धि के मुख्य वाहक रहे थे, वर्तमान समय में भी इनकी यही भूमिका बनी हुई है। ये उद्योग कारक अनुपात (थ्ंबजवत च्तवचवतजपवद) की दृष्टि से प्रौद्योगिकीय रूप से अनम्य हैं। अतएव, इन उद्योगों की रोजगार सृजन की क्षमता सीमित है। पुनः अस्सी के दशक में औद्योगिक वृद्धि अधिक पूँजी-सघन, ऊर्जा-सघन और आयात-सघन रही है। इन सभी विशेषताओं से औद्योगिक वृद्धि की निम्न श्रम खपत क्षमता का पता चलता है।

दुर्भाग्यवश, नई औद्योगिक नीति इस एकांगी औद्योगिक संरचना जो रसायन आधारित उद्योगों और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु उद्योगों से स्पष्ट है में सुधार के लिए उपाय बताने के बारे में लगभग मौन है। ये वे उद्योग है जिसमें हमें तुलनात्मक लाभ नहीं है। इतना ही महत्त्वपूर्ण यह है कि मूल धातुओं और मिश्र धातुओं तथा मशीनों और मशीन टूल्स से संबंधित उद्योगों पर अधिक महत्त्व देने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। ये वे उद्योग हैं जिसमें हमें तुलनात्मक लाभ प्राप्त है और जो रोजगार सघन हैं। नई औद्योगिक नीति ने रोजगार बढ़ाने की अपेक्षा वास्तव में इस स्थिति को और खराब ही किया है। विदेशी निवेशों और विदेशी प्रौद्योगिकियों, जिसे नई औद्योगिक नीति लगभग निर्बाध अनुमति देती है, भी इस क्षेत्र में कुछ नहीं कर सकती है क्योंकि ये मुख्यतः पूँजी-सघन प्रकार के हैं। रोजगार बढ़ाने के लिए विशेष उपाय की कमी के कारण यह कहा गया कि पहले की ही भांति रोजगार औद्योगिक वृद्धि का उप उत्पाद बना रहेगा।

उद्योग और कृषि के बीच अनुबंध की उपेक्षा
उदारीकरण के प्रति अपनी विशेष चिन्ता में, ऐसा प्रतीत होता है कि नई औद्योगिक नीति ने औद्योगिक विकास के स्वरूप के बारे में कुछ अति महत्त्वपूर्ण बातों की उपेक्षा कर दी है। औद्योगिक उत्पादन के इस तरह से पुनर्विन्यास की आवश्यकता है जो देश के संसाधनों अथवा संभावनाओं के अनुकूल है। नई औद्योगिक नीति में जिस दूसरे महत्त्वपूर्ण विषय को नजरअंदाज किया गया है वह उद्योग और कृषि के बीच अनुबंध से संबंधित है। पेट्रोरसायन और रसायन-आधारित उद्योगों, जिनका इस समय के औद्योगिक परिदृश्य में अत्यधिक ऊँचा स्थान है, उनका कृषि से अत्यनत ही कम अनुबंध है। यह उद्योग आधारित कृषि के प्रश्न उपस्थित करता है जिसमें औद्योगिक क्षेत्र से मशीन और ग्रामीण क्षेत्र से कच्चा माल तथा श्रम बल लिया जाता है तथा दोनों क्षेत्रों को उपभोग के लिए अनेक प्रकार की वस्तुएँ देता है। इसके अलावा, ये उद्योग निर्यात के लिए भी काफी उत्पादन कर सकते हैं। परन्तु दुर्भाग्यवश नई औद्योगिक नीति में इस उद्योग का विशेष उल्लेख नहीं किया गया है।

एक्जिट नीति का अभाव
नई औद्योगिक नीति की एक गंभीर खामी उद्यमियों के लिए एक्जिट को सुगम बनाने वाले प्रावधानों की कमी है। आप इकाई 33, खंड-6 में विस्तार से एक्जिट बाधाओं के संबंध में पढ़ेंगे। कई प्रतिबंध हटा दिए गए हैं तथा कई को शिथिल कर दिया गया है जो उद्योग में प्रवेश को सुगम बनाते हैं। किंतु यदि व्यवसाय में घाटा होता है और इसके पुनरुद्धार की कोई आशा नहीं रहती है तो व्यवसाय को बंद करने के लिए कोई प्रावधान नहीं है। इकाई को बंद करने (एक्जिट) की सुविधा का पुरानी कमजोर इकाइयों के लिए होना अब और भी जरूरी हो गया है क्योंकि बड़ी संख्या में अनेक नई इकाइयों की स्थापना के कारण उनकी कठिनाइयाँ और बढ़ गई हैं। वास्तव में, एक्जिट नीति नए प्रवेशियों के लिए भी जरूरी है क्योंकि किसी भी विवेकपूर्ण उत्पादक के बाजार में प्रवेश करने की आशा नहीं की जा सकती है। यदि उसे व्यवसाय ठीक से नहीं चलने की स्थिति में अथवा जब वह अधिक लाभप्रद व्यवसाय में जाना चाहे तो उसे पुराना व्यवसाय बंद करने की अनुमति नहीं होगी।

अनुसंधान और विकास के लिए अल्प प्रोत्साहन
ऐसा प्रतीत होता है कि नई औद्योगिक नीति गतिशील औद्योगिक विकास के लिए वातावरण के उदारीकरण तक ही सीमित है। किंतु, संसाधनों के उपयोग, प्रक्रिया और उत्पादों तथा उनके विपणन के मामले में उद्योग को नई राह निकालने वाला बनाने में अनुसंधान और विकास की भूमिका कोई कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। इस क्षेत्र में दो महत्त्वपूर्ण घटक छूट गए हैं। एक संसाधन के आकार और वे स्रोत जिनसे इन कार्यकलापों का वित्तपोषण किया जाना है के मामले में है। इन क्षेत्रों में निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों को काफी योगदान करना होगा और सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका तो और बढ़ जाती है। तथापि, इसके संबंध में कुछ भी नहीं है जिसे नई औद्योगिक नीति में सम्मिलित किया गया है। इस क्षेत्र में एक अन्य मुद्दा बौद्धिक संपदा अधिकारों अर्थात् पेटेण्ट के रूप में आविष्कारों का संरक्षण, ट्रेड मार्क और कॉपी राइट के प्रश्न से जुड़ा हुआ है।

बोध प्रश्न 3
1) नई औद्योगिक नीति की कमियों को सूचीबद्ध कीजिए।
2) बताइए, निम्नलिखित कथन सही हैं अथवा गलत:
क) नई औद्योगिक नीति में उद्योगों में प्रवेश पर प्रतिबंध शिथिल कर दिए गए हैं।
ख) नई औद्योगिक नीति ने अनुसंधान और विकास में निवेश करने के लिए फर्मों को प्रोत्साहि
किया है।

सारांश
गंभीर आर्थिक संकट के बीच उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए 1991 में घोषित की गई नई औद्योगिक नीति में अनेक उल्लेखनीय और उद्देश्यपूर्ण विशेषताएँ हैं। इसमें नियंत्रणों को समाप्त करके औद्योगिक अर्थव्यवस्था के अधिक से अधिक बाजारीकरण की ओर उठाए गए कदम, अर्थव्यवस्था के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों की ओर औद्योगिक कार्यकलापों का विकेन्द्रीकरण सुनिश्चित करना, सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यकलापों की पुनः परिभाषा करना; और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के अनुकूल वातावरण का सृजन करना इत्यादि सम्मिलित हैं। इसके साथ ही इसने अनेक गंभीर समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया है। उदाहरणस्वरूप, इसने रोजगार वृद्धि जो सदैव ही नीति निर्माताओं की चिन्ता का विषय रहा है, के लिए कोई लक्ष्य नहीं निर्धारित किया है। इसी प्रकार उद्यमियों के लिए एक्जिट नीति, अनुसंधान और विकास के लिए फर्मों को प्रोत्साहन के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है जिसने अर्थव्यवस्था को प्रगतिशील बनाने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के साधन के रूप में इस नीति को बहुत हद तक निष्प्रभावी बना दिया है।

शब्दावली
एक्जिम पॉलिसी ः निर्यात और आयात से संबंधित नीतियाँ
एकाधिकार और अवरोधक ः वर्ष 1970 का एकाधिकार और अवरोधक
व्यापार व्यवहार अधिनियम ः व्यापार व्यवहार अधिनियम बनाने का लक्ष्य फर्म द्वारा एकाधिकारवादी व्यवहारों, अवरोधक व्यापार व्यवसायों और अनुचित व्यापार व्यवहारों पर रोक लगाना था।
लघु उद्योग ः उद्योग जो 10-15 मजदूरों की सहायता से संचालित किए जाते हैं।

कुछ उपयोगी पुस्तकें एवं संदर्भ
अग्रवाल, ए.एन., (1996). इंडियन इकानॉमी: प्रॉब्लम्स ऑफ डेवलपमेंट एण्ड प्लानिंग, विश्व प्रकाशन, दिल्ली।
मिश्रा, एस.के., और वी.के. पुरी, (2001). इकनॉमिक्स ऑफ डेवलपमेंट एण्ड प्लानिंग, हिमालय पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली।
प्रसाद, एस., और जे. प्रसाद, (1993). न्यू इकनॉमिक पॉलिसीः रिफार्स एण्ड डेवलपमेंट, मित्तल पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली।।

बोध प्रश्नों के उत्तर अथवा संकेत

बोध प्रश्न 3
1) भाग 9.4 पढ़िए।
2) (क) सही (ख) गलत