घाट किसे कहते हैं Ghaat kise kahte hai definition meaning in hindi घाट की परिभाषा क्या है ?
what is Ghaat kise kahte hai definition meaning in hindi घाट किसे कहते हैं घाट की परिभाषा क्या है ?
हिन्दू धर्म में तीर्थयात्रा (Hindu Pilgrimage)
(ईक 1981: 323-25) के अनुसार हिंदू तीर्थ परंपरा के तीन प्रमुख स्रोत हैंः
प) संस्कारों और बलिदान की वैदिक परंपरा
पप) उपनिषद की बौद्धिक परंपरा, और
पपप) भारत की अन्तरदेशीय पवित्रता
तीर्थ का वैदिक और संस्कृत में अर्थ है ‘‘घाट‘‘ जिस से होकर व्यक्ति नदी के दूर स्थित तट पर या परलोक के सुदूर तट पर पहुँच सकता है। इस तरह, समय के साथ-साथ तीर्थ उन तीर्थस्थानों को कहा जाने लगा जहाँ से पार जाने की क्रिया सुरक्षित ढंग से की जा सकती है।
हिंदू तीर्थ परंपरा किन्हीं विशेष स्थलों की पवित्रता को ही नहीं बल्कि विशाल क्षेत्रों, और भारत के संपूर्ण क्षेत्र की पवित्रता को मान्यता देती है। तीर्थयात्रियों के मार्गों से पूर्व-पश्चिम और उत्तर-दक्षिण तक बिछे हुए पवित्र प्रदेश के रूप में भारत की पहचान ने भारत को भारत माता का सशक्त रूप दिया है (ईक 1981: 336)। यदि किसी तीर्थ के सारे मंदिर अशुद्ध हो जाएँ या गिरा दिए जाएँ तो भी क्षेत्र की पवित्रता और अधिक प्रभावकारी शक्ति बनी रहेगी। इस तरह उसके पवित्र दायरे में नए मंदिरों का निर्माण किया जा सकता है। हिंदुओं के अनेक तीर्थ आक्रमणों और विनाश से इसी प्रकार बचे रह पाए हैं (सरस्वती 1978: 88)।
तीर्थयात्री की पूजा, या पवित्र स्थल में प्रतिष्ठित देवी या देवता से उसका प्रत्यक्ष संवाद समाप्त हो जाने पर उनके द्वारा पूजा में चढ़ाई जाने वाली भेंट का एक हिस्सा उसे प्रसाद के रूप में लौटा दिया जाता है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि प्रसाद खाने, अभिमंत्रित धागा, कड़ा या ताबीज पहनने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है। इन वस्तुओं से सांस्कारिक शक्ति प्राप्त होती है, इनमें देवी, देवता के संपर्क से उसकी शक्ति आ जाती है। तीर्थयात्री का प्रयास रहता है कि वह तीर्थयात्रा से प्राप्त पवित्र प्रस्थिति को जितने दिन संभव हो बना कर रखे। इसलिए हिंदू तीर्थ स्थल से रवाना होने से पहले कोई अनुष्ठान नहीं करते।
(सरस्वती 1978) ने काशी में पूजा और साधकों की विविधता का जो विश्लेषण किया है उसमें तीर्थ के खुलेपन का उदाहरण मिलता है। काशी में हिंदुओं की सभी विभिन्न सांस्कृतिक परंपराओं को मानने वाले तीर्थ मिल जाते हैं, चाहे वह मौखिक हो या लौकिक परंपरा हो, चाहे शास्त्रीय हो या फिर विकल्पातीत । इस तरह लौकिक संस्कृति का कोई कुम्हार तीर्थयात्री केवल इस बात से संतुष्ट हो जाता है कि कोई ब्राह्मण पुरोहित उसे काशी के विश्वनाथ मंदिर में पूजा के लिए और गंगा नदी में पवित्र स्नान के लिए ले जाए । पुरोहित उसे किसी और ब्राह्मणीय मंदिर में भी ले जा सकता है। लेकिन उस तीर्थयात्री के लिए महत्वपूर्ण बात है अगीया बीर और लाडुरा बीर जैसे देवतुल्य नायकों के अब्रहामणीय मंदिरों में जाना, जिसे वह अपने आप करता है । इसके अलावा वह इच्छा पर कृमिकुंड में भी स्नान करता है। यह पवित्र कुड कीनम्रक अस्तर में स्थित है।
ऐसा प्रतीत होता है कि तीर्थयात्रियों के पवित्र स्थलों में लगातार जाने से एक मल रूप से अविरल धार्मिक स्थान बनता है और इससे उन्हें भारत की भाषायी और क्षेत्रीय सांस्कृतिक भिन्नताओं से बाहर निकलने में मदद मिलती है।
बोध प्रश्न 1
प) तीर्थयात्राएँ क्या हैं? अपना उत्तर लगभग पाँच पंक्तियों में दीजिए।
पप) हिन्दू धर्म में तीर्थश् पर संक्षेप में नोट लिखिए। अपना उत्तर लगभग पाँच पंक्तियों में दीजिए।
बोध प्रश्न 1 उत्तर
प) तीर्थयात्रा किसी पुराने या पवित्र स्थल या भवन की लंबी और अक्सर कष्टकर यात्रा होती है। यह यात्रा आध्यात्मिक पुण्य कमाने के लिए की जाती है। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति की सांसारिक कामनाओं की पूर्ति भी हो सकती है। फिर भी यह मोक्ष या भौतिक इच्छाओं के लिए व्यक्तिवादी प्रयास है।
पप) एक दृष्टिकोण के अनुसार हिंदू तीर्थ परंपरा वैदिक संस्कार और बलिदान परंपरा की देन है। भारत की तीर्थ परंपराओं में हमें समूचे भारतीय क्षेत्र में उपनिषद की विद्वता और परंपरा देखने को मिलती है। इसलिए सरस्वती के अनुसार भारत में तीर्थस्थल अतीत में हुए आक्रमणों और युद्ध के बाद भी बचे रहे हैं। तीर्थस्थानों में विभिन्न वर्गों के तीर्थयात्रियों के हितों और पवित्र स्थलों के दर्शन शामिल होते हैं।
बोध प्रश्न 2
प) टर्नर ने कितने प्रकार के तीर्थ बताए हैं? लगभग पाँच पंक्तियों में उत्तर दीजिए।
पप) भारत में तीर्थयात्राओं पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। लगभग 5 से 7 पंक्तियों में उत्तर दीजिए।
बोध प्रश्नों के उत्तर
बोध प्रश्न 2
प) टर्नर द्वारा दर्शाए गए तीर्थ हैंः
प) पुराकालीन तीर्थ
पप) आदिप्ररूपीय तीर्थ
पपप) स्वर्णकालीन तीर्थ
पअ) आधुनिक तीर्थ
पप) भारत की तीर्थयात्राएँ पवित्र भी हैं और सतत भी। तीर्थों को पावन साहित्य ने महिमा मंडित किया। पवित्र स्थलों पर चढ़ाई गई भेंट पुरोहितों की अजीविका का स्रोत होती है। वे तीर्थ परंपरा के संरक्षक और पुनव्याख्याति मूल्यों और विश्वासों के प्रचारक होते हैं। भारत सरकार इन स्थलों पर सभी प्रकार की संभव सुविधाएँ और आश्रय दे रही है। भारत सरकार इन स्थलों का उपयोग अपने परिवार नियोजन के कार्यक्रमों के लिए और कृषि तथा औद्योगिक उत्पादकों की प्रदर्शनी के लिए भी कर रही है।
हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics