स्वामी विवेकानंद का जन्म कब हुआ और कहाँ हुआ when and where Swami Vivekananda born in hindi
when and where Swami Vivekananda born in hindi which place and date स्वामी विवेकानंद का जन्म कब हुआ और कहाँ हुआ ?
स्वामी विवेकानन्द जन्मदिन समारोह (Birthday Celebration of Swami Vivekananda)
शायद आपको मालूम होगा कि स्वामी विवेकानन्द के 128वें जन्मदिन समारोह को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया गया था। स्वामी विवेकानन्द, श्री रामकृष्ण के सबसे प्रमुख शिष्य एवं सूत्रधार, वेदान्त के संदेश के अग्रदूत, पूरब और पश्चिम के बीच संपर्क के पथप्रदर्शक, नयी मठवादी व्यवस्था के संस्थापक थे।
वे आधुनिक धार्मिक आन्दोलन, रामकृष्ण मिशन के शीर्षस्थ नेता थे। उनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में हुआ था। 1881 में उन्हें पहली बार देखकर ही, श्री रामकृष्ण ने उनके भीतर छिपे आध्यात्मिक विद्वान को पहचान लिया था। 1893 में विश्व धार्मिक सम्मेलन के अवसर पर शिकागो में दिए गए उनके ऐतिहासिक भाषण के चलते वे बहुत अधिक प्रसिद्ध हो गये। उन्होंने अपने जीवन को पीड़ित मानवता की सेवा में समर्पित किया और जीवन पर्यंत उन्होंने मनुष्य की गरिमा को ऊंचा उठाने का प्रयास किया। उन्होंने खूबसूरती के साथ भक्ति के आदर्शों का वेदान्त के ज्ञान के साथ समन्वय किया । विवेकानन्द जन्मदिन समारोहों के दौरान भक्तों ने उसी तरह समर्पण तथा प्रेम की शक्ति का अनुभव किया, जिस तरह से विवेकानन्द ने श्री रामकृष्ण के सानिध्य में महसूस किया था।
सेवा के उनके आदर्श निम्नलिखित वक्तव्यों में मौजूद हैं:
‘‘आप ईश्वर के पवित्र चरणों में हजारों टन फूल एवं फलों की भेंट
चढ़ाने की तुलना में उसकी सेवा, उसके बच्चों की सेवा करके कहीं
अधिक अच्छी तरह कर सकते हैं।‘‘
‘‘वह जो कि प्राणी मात्र से प्रेम करता है, वही ईश्वर की अच्छी पूजा करता है।‘‘
-(संकलित रचनाएं, खंड 4, पृष्ठ 496)
वह पूरब एवं पश्चिम के बीच संबंधों के एक नये अध्याय के पथ-प्रदर्शक थे। यह संबंध मुक्त आदान-प्रदान एवं पारस्परिक सहयोग पर आधारित हो सकता है। पश्चिम को अपने वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास, अति संपन्नता एवं भौतिक विपुलता के साथ पूरब की गरीब, दबीकुचली, पीड़ित मानवता की मदद एवं सहयोग करने के लिए आगे आना चाहिए। ताकि वे इस दारूण-दरिद्रता की अवस्था से बाहर निकल सकें, और इसके बदले में पूर्व को अपने प्राचीन वेदान्तिक बुद्धि एवं ज्ञान के जरिए पश्चिम को आध्यात्मिक शान्ति एवं मार्ग-दर्शन प्रदान करना चाहिए। पूर्व की तकलीफें गरीबों से पैदा हुई हैं, जबकि पश्चिम की मुसीबतें संपन्नता से पैदा हुई हैं, इसलिए उन्हें एक साथ आगे बढ़ना चाहिए तथा पीड़ित मानवता की सहायता करनी चाहिए। जहां एक तरफ गरीबी ही दुखों का कारण है, वहां दूसरी तरफ अमीरी भी दुखों का कारण है।
आधुनिक आन्दोलन के रूप में रामकृष्ण मिशन
(Ramakrishna Mission As a Modern Movement)
अंत में, अब हम अपने विश्लेषण के एक महत्वपूर्ण पहलू पर विचार करेंगे और वह यह कि रामकृष्ण आन्दोलन, स्वयं को एक आधुनिक धार्मिक आन्दोलन कहे जाने की अभिलाषा क्यों रखता है। आइये, हम देखें कि यह किस तरह से एक वास्तविकता बन गई है।
मिशन का इतिहास (History of the Mission)
इस प्रश्न की जाँच करते समय आपको निम्नलिखित बिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिएः
प) पहला यह कि रामकृष्ण मिशन का इतिहास इस शताब्दी तथा पिछली शताब्दी के अंतिम 25 वर्षों के बीच तक ही सीमित है, और यह अभी 100 वर्ष पुराना भी नहीं हुआ है।
पप) इतने कम समय के भीतर ही मिशन ने विश्वभर में दूर-दूर तक अपनी शाखाएं फैला ली हैं, तथा विश्व की भौतिक एवं आध्यात्मिक रूप से पीड़ित मानवता को एक बड़े हिस्से में समेट लिया है।
पपप) धार्मिक जगत में इसने अपने इस दृष्टिकोण के जरिये कि सभी धर्म एक ही दैवीय शक्ति, एक ही ईश्वर तक ले जाते हैं, पूजा एवं विश्वास के क्षेत्र में एक नवजागरण पैदा कर दिया है। ईश्वर मनुष्य के भीतर निवास करता है और मनुष्य को पीड़ित मानवता की सेवा के जरिये ईश्वर को प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए। ये पीड़ाएं शारीरिक-भौतिक तथा गैर-शारीरिक-भावनात्मक-मानसिक- आध्यात्मिक हैं। ये पीड़ाएं जाति, रंग, प्रजाति, धर्म, क्षेत्र तथा जातीयता के संकीर्ण दायरों से ऊपर रहकर समूची मानवता को प्रभावित कर रही हैं। एक आन्दोलन के रूप में रामकृष्ण मिशन आशा की एक किरण उपलब्ध कराने की ओर अग्रसर है।
पअ) रामकृष्ण मिशन ने गरीब, दबे-कुचले, बेसहारा लोगों, औरतों व बच्चों, जिन्हें मदद की आवश्यकता है तथा प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त हुए लोगों की सामाजिक सेवा से जुड़ी अनेक गतिविधियों को अपनाया है।
अ) राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि के क्षेत्र में सेवाउन्मुख गतिविधियों के कार्यक्रमों के जरिये, रामकृष्ण मिशन अपनी आध्यात्मिक शक्ति तथा देवत्व सेवा एवं मानवता में अपने विश्वास के माध्यम से विभिन्न लोगों व समूहों को एकजुट करने का प्रयास कर रहा है।
अप) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, मिशन आध्यात्मिक शक्ति, पीड़ित मानवता की सेवा, शान्ति के संदेश तथा सभी तबकों की सेवा, चाहे उनकी जाति, प्रजाति, धर्म एवं क्षेत्र कोई भी क्यों न हो आदि के माध्यम से बहुराष्ट्रीय एवं बहुधर्मी समुदायों को एक साथ मिलाने की चेष्टा कर रहा है।
अपप) रामकृष्ण मिशन के पास मुख्यालय के स्तर से क्षेत्रीय एवं स्थानीय स्तरों तक फैला मठ तथा मिशन, दोनों द्वारा पोषित एक सुगठित ढांचा मौजूद है। यह ऐसे आदर्शों, विचारधारा, उद्देश्य व ध्येय से संपन्न है जो कि देवत्व एवं मानवता की सेवा से प्रेरित हैं। यह ऐसी गतिविधियों द्वारा समर्पित है जो कि शारीरिक-भौतिक तथा धार्मिकआ/यात्मिक पहलुओं से संबद्ध है। साथ ही त्रिदेव की शक्ति निम्नलिखित से मिलकर बनी है:
– श्री रामकृष्ण: गुरू,
– श्री शारदा देवी: पवित्र माता, प्रेरणा स्रोत,
– स्वामी विवेकानन्द: संस्थापक, मानवतावादी तथा वैदिक बुद्धिमत्ता से प्रेरित ।
मौजूदा स्थिति (The Present Position)
रामकृष्ण आन्दोलन आज भी एक ऐसा आन्दोलन है जिसका नेतृत्व संन्यासियों वाला, इसका दल करता है और जिसे सभी धर्मों व क्षेत्रों के इसके गृहस्थ शिष्यों व अनुयायियों का समर्थन प्राप्त है।
काम करने का तरीका तथा पूजा करने की रीति इसे प्रेरणा व जीवन-शक्ति से ओत-प्रोत रखती है।
श्री रामकृष्ण को भक्ति तथा त्याग से प्रेरणा मिली थी। त्याग के बिना कोई महान काम नहीं हो सकता । त्याग की वह भावना जो कि स्वामी ब्रम्हानन्द (राखाल) बलराम, सुन्दर महेन्द्र तथा चुन्नी इत्यादि (जो सभी इस व्यवस्था के संन्यासी बन गये थे) की युवा आत्माओं में मौजूद रही थी, आज पीड़ित मानवता के समक्ष मौजूद भौतिक एवं आध्यात्मिक संकट की वर्तमान घड़ी में रामकृष्ण मिशन के संन्यासियों, भक्तों एवं अनुयायियों के भीतर भी जारी रहनी चाहिए।
त्याग की वह भावना जिसने रामकृष्ण के हृदय को प्रदीप्त किया था, बलिदान की वह भावना जो कि स्वामी विवेकानन्द तथा उनके सहयोगी युवा संन्यासियों के मस्तिष्क में शुरू से ही निहित थी, दैवीय सदाचार जिसने श्री शारदा देवी को रोशनी दी, उन पुरुषों व स्त्रियों के मस्तिष्क में भी यही भावना जारी रहनी चाहिए जो कि रामकृष्ण मिशन के अधीन, इस धार्मिक आन्दोलन में शरीक हुए हैं। उम्मीद है कि एक शताब्दी पहले परमहंस श्री रामकृष्ण द्वारा प्रज्वलित किया गया और यह दीप, सदैव मनुष्यों को सही रास्ता दिखाता रहेगा।
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