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औद्योगीकरण का लचीला सिद्धांत क्या है | Flexible theory of industrialization in hindi

Flexible theory of industrialization in hindi औद्योगीकरण का लचीला सिद्धांत क्या है ?

सामाजिक गतिशीलता का आधुनिक विश्लेषण
1959 में सियमोर मार्टिन लिपसेट, रिनहार्ड बैंडिक्स तथा हंस एल.जैटरबर्ग ने शोध प्रस्तुत किया जिसमें दर्शाया गया कि सभी पूर्वी औद्योगिक समाजों में गतिशीलता दर प्रायः एकसमान है। इस शोध ने सामाजिक गतिशीलता के विद्वानों में एक संवाद छेड़ दिया। और अधिक नवीन तथा विस्तृत आँकड़ों की सहायता से अनेक समाजशास्त्रियों ने इस शोध के संवाद में भाग लिया।

लिपसेट आदि विद्वानों के शोध का समर्थन करने के लिए यह उपयोगी है कि पहले औद्योगीकरण के प्रसिद्ध लचीले सिद्धांत को संक्षेप में समझा जाए जिसने गतिशीलता अध्ययनों को प्रेरित किया। हम इस शोध की मौलिक विशेषताएँ तथा इसके तर्कशास्त्र का भी वर्णन कर सकते हैं। एक बार इसे जानने के बाद हम लिपसेट, बैंडिक्स, जैटरबर्ग के सिद्धांत की औद्योगीकरण के सिद्धांत से तुलना कर सकते हैं। इसके बाद हम उन विद्वानों के विचारों को देखेंगे जिन्होंने लिपसेट, बैंडिक्स तथा जैटरबर्ग के विचारों पर दृढ़ता से संवाद किया तथा उसकी पुनर्स्थापना की।

औद्योगीकरण का लचीला सिद्धांत
लचीले सिद्धांत का मुख्य मत यह है कि इसके लिए कुछ निश्चित पारिभाषिक पूर्वआवश्यकताएँ तथा समाज को प्रभावित करने वाले कुछ अनिवार्य परिणाम होते हैं। अतः औद्योगिकरण से पूर्व समाजो की तुलना में औद्योगिक समाजों में गतिशीलता की प्रवृत्ति निम्नलिखित प्रकार से होती है–
1) प्रायः समग्र सामाजिक गतिशीलता की दर अपेक्षाकृत उच्च होती है और इसके अतिरिक्त ऊपर की गतिशीलता अर्थात् कम से अधिक लाभ की स्थितियाँ नीचे की तरफ वाली गतिशीलता से अधिक होती है।
2) गतिशीलता की तुलनात्मक दर या गतिशीलता के अवसर अधिक समान हैं। वे इस अर्थ में कि विभिन्न सामाजिक वर्गों वाले व्यक्ति और अधिक समान विषयों में प्रतिस्पर्धा करते है।
3) कुछ समय बाद सभी प्रकार की गतिशीलताओं में तथा तुलनात्मक रूप से सभी में समानता की डिग्री में वृद्धि की प्रवृत्ति होती है।

पीतम ब्लौ और ओडी डंकन (1967) उन प्रमुख समाजशास्त्रियों में से हैं जिन्होंने उपर्युक्त विचारधारा का संकेत किया। इस निष्कर्ष के कारण यह है कि —

1) औद्योगिक समाज में वैज्ञानिक विकसित तकनीकों के कारण गशीलता सामाजिक संरचना में श्रम विभाजन की निरंतर तथा प्रायः शीघ्र परिवर्तन की माँग करती है। स्वयं श्रम विभाजन की संकल्पना में अधिक विशिष्ट कार्यों के कारण अत्यधिक अंतर आ जाता है। इस प्रकार, उच्च गतिशीलता पीढ़ी दर पीढ़ी तथा व्यक्ति के जीवन-काल में चलती चली जाती है।
2) औद्योगीकरण के कारण स्वयं श्रम विभाजन की विभिन्न श्रेणि में विशेष व्यक्तियों के चयन और उनके वर्ग-निर्धारण के ठोस आधार बन जाते हैं। औद्योगिक व्यवसाय तथा उपलब्धि की होड़ चयन की युक्तिसंगत प्रक्रिया के अनुकूल है। इसके अतिरिक्त, अतियोग्य व्यक्तियों की बढ़ती हुई माँग शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देती है। सामाजिक वर्गों के व्यक्ति शिक्षा प्राप्त कर सकेंय और
3) चयन के नए तरीके अर्थव्यवस्था के नए क्षेत्रों अर्थात अत्यधिक उन्नत तकनीक वाले निर्माण उद्योगों और सेवाओं के लिए अनुकूल होंगे। ये नए तरीके बड़े प्रशासन संगठनों के बदले प्रभावी रूप के भी अनुकूल होंगे। इस प्रकार औद्योगिक जीवनधारा की प्रतिरोधी अर्थव्यवस्था के क्षेत्र दूर हट जाते हैं तथा उपलब्धिमूलक गतिशीलता अभावस्था के व्यापक क्षेत्रों में फैल जाती है।

बोध प्रश्न 1
1) प्रतियोगितात्मक गतिशीलता की संकल्पना का पाँच वाक्यों में संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
2) प्रायोजित प्रतियोगिता की विचारधारा का पाँच वाक्यों में संक्षिप्त वर्णन प्रस्तुत कीजिए।

बोध प्रश्नों के उत्तर
बोध प्रश्न 1 उत्तर
1) प्रतियोगितात्मक गतिशीलता में सर्वोत्तम स्थिति एक उद्देश्य होती है जिसके लिए खुली प्रतियोगिता होती है। सफलता उम्मीदवार के प्रयत्नों पर निर्भर करती है। इसका अर्थ है कि प्रतियोगिता के कुछ नियम होते हैं। इसका भावार्थ यह है कि सफल उच्च गतिशीलता स्थापित उम्मीदवार के हाथ में नहीं है।

2) प्रायोजित गतिशीलता की स्थिति में स्थापित व्यक्ति उम्मीदवार को अपने समूह में नियुक्त करते हैं। इसके लिए आवश्यक योग्यता खुली प्रतियोगिता प्रमाण या संघर्ष से प्राप्त नहीं की जा सकती। इस प्रकार, उच्च गतिशीलता ऐसे किसी सदस्य द्वारा प्रायोजित की जाती है।

बोध प्रश्न 2
1) परिवर्तित पारस्परिक गतिशीलता और अंतःपारंपरिक गतिशीलता को लगभग दस पंक्तियों में स्पष्ट कीजिए।
2) ‘उच्च स्तर‘ तथा ‘निम्न स्तर‘ की गतिशीलता के बारे में दस पंक्तियों में एक नोट लिखिए।
प्रायः लघु उद्योग आरम्भ करके ही सफल उद्यमी बनते हैं
साभारः बी.किरणमई

बोध प्रश्न 2 उत्तर
1) सामाजिक गतिशीलता का विश्लेषण करने के दो विभिन्न तरीके हैं। प्रथम है- परिवर्तित गतिशीलता। इसके अध्ययन में व्यक्तियों के व्यवसायों तथा सामाजिक स्तर में कि वे कहाँ तक ऊपर या नीचे की तरफ गए हैं, इसको शामिल किया जाता है।

दूसरा तरीका है- अंतःपारंपरिक गतिशीलता। इसमें पीढ़ी दर पीढ़ी व्यवसायों और सामाजिक स्थिति की गतिशीलता का अध्ययन किया जाता है।

2) नीचे की तरफ गतिशीलता में व्यक्ति की सामाजिक स्थिति का ह्रास होता है जबकि ऊपर की तरफ गतिशीलता में उसकी सामाजिक हैसियत में वृद्धि होती है। नीचे की तरफ गतिशीलता………….। गिड्डन के अनुसार, इंगलैंड में 20 प्रतिशत व्यक्ति नीचे की तरफ अंतःपारंपरिक रूप से गतिशील हैं। ऊपर की तरफ गतिशीलता में पहले से अधिक धन, शक्ति और हैसियत प्राप्त करना शामिल होता है।

इकाई की रूपरेखा
उद्देश्य
प्रस्तावना
गतिशीलता के प्रकार और रूप
समस्तर गतिशीलता
ऊर्ध्व गतिशीलता
गतिशीलता के रूप
गतिशीलता के आयाम और तात्पर्य
परिवर्तित पारस्परिक गतिशीलता और अंतःपारंपरिक गतिशीलता
गतिशीलता के क्षेत्र
नीचे की तरफ गतिशीलता
ऊपर की तरफ गतिशीलता
गतिशीलता की संभावनाएँ
तलनात्मक सामाजिक गतिशीलताएँ
सामाजिक गतिशीलता का आधुनिक विश्लेषण
औद्योगीकरण का लचीला सिद्धांत
लिपसेट और जैटरबर्गर का सिद्धांत
लिपसेट और जैटरबर्ग के सिद्धांत की पुनर्स्थापना
सामाजिक गतिशीलता के अध्ययन की समस्याएँ
सारांश
शब्दावली
कुछ उपयोगी पुस्तकें
बोध प्रश्नों के उत्तर

उद्देश्य
इस इकाई के अध्ययन के बाद आप:
ऽ गतिशीलता के विभिन्न प्रकार और रूप जान सकेंगे,
ऽ गतिशीलता के मुख्य आयाम और उनका तात्पर्य समझ सकेंगे, और
ऽ गतिशीलता के आधुनिक विश्लेषण की रूपरेखा की चर्चा कर सकेंगे।