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सरदारी लड़ाई आंदोलन (1858-95) क्या है ? सरदारी आंदोलन शुरू हुआ था नेतृत्व किस नेता ने किया ?

sardari ladai andolan in hindi सरदारी लड़ाई आंदोलन (1858-95) क्या है ? सरदारी आंदोलन शुरू हुआ था नेतृत्व किस नेता ने किया ? किस्से सम्बन्धित है ?

बोक्टा विद्रोह, सरदारी लड़ाई या मुक्ति लड़ाई आंदोलन (1858-95) : यह आंदोलन छोटा नागपुर के विभिन्न भागों में हुआ। इसका लक्ष्यं घृणा के पात्र जमींदारों रू को निकाल बाहर कर भूमि पर आदिवासियों के प्राचीन अधिकार को फिर से प्राप्त करना था। सुरेश सिंह के अनुसार यह आंदोलन तीन दौरों से होकर चला

(i) कृषि का दौर,

ii) पनरुत्थान का दौर. और राजनीतिक दौर। पहले दो दौरों में तो जमींदारों और आदिवासी काश्तकारों में झड़पें हुई। आदिवासी काश्तकारों ने लगान में वृद्धि, भूमि से बेदखली और जमींदारों के हाथों काश्तकारों को तंग किये जाने के खिलाफ विद्रोह किया। इस दौर में, जमींदारों और काश्तकारों के बीच कई बार झड़पें हुई। 1890 से सरदार आंदोलन उन तमाम यूरोपियों के खिलाफ हो गया जिन पर जमींदारों के साथ सांठगांठ करने का संदेह था.उनमें मिशनरी भी थे और अधिकारी भी। इन लोगों का सोचना था कि उनके संकटों का मुख्य कारण अंग्रेजी राज था और उनका सुख इसकी समाप्ति पर ही निर्भर था। जब संवैधानिक तरीकों का कोई नतीजा नहीं निकला तो, आदिवासी हिंसक हो गये। उन्होंने अपने पारंपरिक हथियारों, धनुष-बाणों, का इस्तेमाल किया। सितम्बर 1892 में, सरदारों ने । ठेकेदारों और जर्मन मिशनरियों को मार डालने का षडयंत्र रचा। लेकिन उनके पीछे कोई संगठन न होने के कारण उनकी योजना नाकाम हो गयी। आदिवासी एक नये नेता की तलाश में लग गये। यह नेता इन्हें बिरसा मुंडा के रूप में मिला।