Muscle fatigue is due to accumulation of which acid in hindi मांसपेशियों में किस अम्ल के एकत्रित होने से थकावट आती है , मांसपेशियों में थकान किस अम्ल के कारण होता है ?
पेशीय थकान : अंतराल के समाप्त हुए बिना आवृत्तीय उद्दीपनों आवेगों के परिणामस्वरूप बिना टिटनेस उत्पन्न कर दिया जाए तो पेशीय थकान उत्पन्न होती है | ऐसी स्थिति पेशियों की सामूहिक अवस्था में बहुत कम पायी जाती है और यह केवल विलगित पेशियों के साथ देखी जा सकती है | जब पृथक पेशी को बार बार आवेग दिए जाते हैं तो संकुचन दुर्बल होते जाते है और अंततः उद्दीपन के प्रति कोई प्रतिक्रिया प्रेक्षित नहीं होती | थकान की अवस्था , पेशी में लेक्टिक अम्ल के लगातार जमाव के साथ कम हुए फास्फोक्रिएटिन स्तर के कारण होती है | लेक्टिक अम्ल को निकालने पर थकान दूर की जा सकती है |
Muscle treppe : पेशीय संकुचन के दौरान कुछ लाभदायक कार्य किये जाते हैं | कार्य की मात्रा कुछ निश्चित स्थितियों जैसे पेशीय आकार प्रकार , पोषण स्तर और बाह्य कारक जैसे तापमान आवेग , आवेग की तीव्रता पर निर्भर करता है | अत्यधिक ग्लूकोज संग्रह युक्त पेशी में लम्बे समय तक उद्दीपन दिए जाते हैं तो प्रथम 5-15 संकुचनों को आयाम उत्तरोत्तर बढ़ता है | यह treppe अथवा staircase कहलाता है | यह अवस्था कुछ निश्चित आंतरिक स्थितियां जो पेशी की कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करती है जैसे बढ़ा हुआ तापमान और ग्लाइकोजन संग्रहण विखण्डन पर निर्भर करती है | Treppe अपने स्थान पर सामूहिक स्वस्थ पेशी में नहीं देखी जा सकती |
Muscle tonus : पेशीय सक्रियता के दौरान आंतरिक पेशी कुछ समय के लिए संकुचित अवस्था में रहती है | यह स्थिति muscle tonus कहलाती है | Tonus को निष्क्रिय खिंचाव में अनैच्छिक प्रतिरोध के रूप में परिभाषित किया जा सकता है | जब पेशिया नियमित सक्रियता दर्शाती है तो पेशी तंतु के सभी संघटक एक साथ कार्य करते हैं जिससे अधिकतम प्रतिक्रिया प्राप्त होती है | कभी कभी केवल कुछ तंतु ही संकुचित होते है | इस स्थिति में थकान नहीं होती | नींद के दौरान पेशियाँ पूर्णतया शिथिल होती है | इसके अलावा इसी अवस्था में पेशिया आंशिक संकुचित रहती है और तंतुओं को तनाव के साथ मजबूत बनाती है | इन पेशियों में tone or tonus होता है |
कंकालीय पेशियों में गति
- पेशियाँ हड्डियों से प्रत्यक्ष रूप से अथवा टेंडेन और एपोन्यूरोसिस से जुड़ी होती है |
- एक पेशी का स्थिर सिरा इसकी उत्पत्ति और गतिशील सिरा इसका निवेशन होता है |
ऑक्सीजन डेब्ट : यह पश्च व्यायमिक भरण अवस्था के बाद विश्राम अवस्था के दौरान अतिरिक्त ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है | अत्यधिक व्यायाम के दौरान पेशी में उपस्थित समस्त ऑक्सीजन , ग्लाइकोजन , ATP , ग्लाइकोजन , ग्लूकोज और क्रिएटिनिन फास्फेट का उपयोग हो जाता है | श्वसन अब अवायवीय हो जाता है जो लेक्टिक अम्ल का उत्पादन करता है | जब व्यायाम रूक जाती है तो रिकवरी अवस्था प्रारंभ होती है अत: लेक्टिक अम्ल के ऑक्सीकरण , क्रिएटिन फास्फेट और ATP के पुनः संग्रहण श्वसन के लिए अतिरिक्त ऑक्सीजन की भी आवश्यकता होती है | अतिरिक्त ऑक्सीजन की आवश्यकता और ऑक्सीजन की कमी गहरी श्वास के द्वारा पुनर्भरित की जा सकती है |
1. मानव शरीर में कुल पेशियाँ – | 639 |
2. सबसे बड़ी पेशी | Gluteus maximus (Buttock muscle) |
3. सबसे छोटी पेशी | स्टेपिस अस्थि की स्टेपीडीयस (कान) |
4. सबसे लम्बी पेशी | सार्टोरियस |
5. पेपीलरी पेशी | Associated with heart |
6. बाइसेप्स ब्रेकी | अग्रभुजा (Forearm) |
7. ट्राइसेप्स ब्रेकी | अग्रभुजा |
8. गैस्ट्रोनिमियस (Calf muscle) | Shank |
9. पैक्टोरेलिस मेजर | पक्षियों में उड़न पेशी |
10. लेटिसिमस डोर्सी | कंधे |
11. इन्टरकोस्टल | पसलियों के मध्य |
12. सिलियरी पेशी | नेत्रलैंस की फोकस दूरी परिवर्तित करना |
13. मेसेटर | निचला जबड़ा , शरीर की सबसे मजबूत पेशी |
14. रेक्टस एब्डोमिनिस | उदर में पायी जाने वाली सबसे बड़ी विसरल पेशी |
15. मायोलोजी | पेशियों का अध्ययन |
16. मायोग्राम | पेशीय संकुचन की रिकॉर्डिंग |
17. पेशीय डायस्ट्रोपी | पेशियों का आनुवांशिक रोग |
18. पोलियोमायलाइटिस | वायरल जनित रोग जो पेशियों को दुर्बल बना देता है | |
19. मजबूत पेशी | निचले जबड़े की मेसेटर पेशी |
2. अरेखित (चिकनी) पेशियाँ
स्थिति : अरेखित पेशियाँ खोखले अंगों की दीवारों में पायी जाती है | ये अंग हैं , जैसे – आहारनाल जनन प्रणाली , रक्त वाहिनियाँ मूत्राशय आदि | इसलिए ये प्राय: विसरल पेशी भी कहलाती है | यह नेत्र की आइरिस और सिलियरी बॉडी और त्वचा की डर्मिस में भी पायी जाती है |
संरचना : चिकनी पेशियाँ लम्बे संकरे , तर्कु आकार के तंतुओं से बनी होती है जो सामान्यतया रेखित पेशी तंतुओं से छोटे होते है | प्रत्येक तन्तु के एकल मध्य मोटे भाग में एक एकल अंडाकार केन्द्रक पाया जाता है | मायोफाइब्रिल मायोसीन और एक्टिन से बने होते हैं और संकुचन के लिए आवश्यक ऊर्जा ATP से मिलती है | ट्रोपोनीन अनुपस्थित होता है और इसका समान कार्य Ca2+ नियमन केल्मोड्युलिन प्रोटीन द्वारा किया जाता है | क्रॉस व्यवस्था अनुपस्थित होती है ताकि तन्तु चिकने दिखाई दे इसलिए इनका नाम अरेखित (unstriped) अथवा चिकनी पेशियाँ है | चिकने पेशी तंतुओं में T-नलिकाओं की कमी होती है और सार्कोप्लाज्मिक रेटिकुलम कम विस्तृत होती है और रेखित पेशी तंतुओं की तुलना में और अन्य अंगक और माइटोकोंड्रीया कम होते हैं | निकटवर्ती चिकने पेशी तंतु गैप जंक्शन द्वारा सक्रीय विभव के संचलन के लिए एक दूसरे से जुड़ जाते है |
विसरल पेशी धीरे धीरे संकुचित होती है और बिना थकावट के लम्बे समय तक संकुचित रह सकती है | ये धीरे धीरे समान रूप से शिथिल होती है | ये सैद्धांतिक रूप से स्वायत्त तंत्र से तंत्रिका द्वारा नियंत्रित होती है इसलिए ये अनैच्छिक पेशियाँ भी कहलाती है |
चिकनी पेशियों को रक्त आपूर्ति रेखित पेशियों की तुलना में बहुत कम होती है | तंतुओं की सतह पर रक्त केशिकाएं स्थित होती है | चिकनी पेशियों का सामान्य कार्य अंगों को संकुचन द्वारा छोटे और मोटे और शिथिलन द्वारा पतले और लम्बे बनाना है |
क्रियात्मक रूप से चिकनी पेशियाँ दो प्रकार की होती है | एकल इकाई और बहु इकाई |
- एकल इकाई चिकनी पेशियाँ : इनमें तन्तु पाए जाते है जो कि एक दूसरे से बहुत ही समीपस्थ गैप जंक्शन द्वारा जुड़ जाते है | इसमें तंत्रिका आपूर्ति बहुत कम होती है | ये एकल इकाई के रूप में लगातार संकुचित होते रहते है | ये खोखले अंग जैसे – पाचन प्रणाली , गर्भाशय , मूत्रवाहिनी , मूत्राशय आदि की दिवार में पाए जाते हैं |
बहु इकाई चिकनी पेशियाँ : बहुइकाई चिकनी पेशियों में तन्तु होते है जो अधिक समीपस्थ नहीं जुड़े होते | इनमें पूर्ण नियंत्रण पाया जाता है | ये पृथक इकाई के रूप में कम अथवा अधिक स्वतंत्र रूप से संकुचित होते हैं और ये स्पष्ट और सही क्रम का संकुचन दर्शाती है | ये त्वचा की डर्मिस , नेत्र की आइरिस और बड़ी रक्त वाहिनियों की दीवारों में पायी जाती है |