भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू किया गया था , भारत छोड़ो प्रस्ताव कब और कहां पास किया गया

भारत छोड़ो प्रस्ताव कब और कहां पास किया गया भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू किया गया था ?

प्रश्न: भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण एवं कार्यक्रमों के बारे में बताइए। इस आंदोलन के दौरान भूमिगत आंदोलन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कारण
1. क्रिप्स मिशन के प्रस्ताव का अधूरा एवं विरोधाभासी होना।
2. जापान का भारत पर आसन्न आक्रमण।
ऽ गांधी ने कहा ‘‘भारत को ईश्वर के हाथों में अथवा अराजकता में छोड़ दो। तब सभी दल कुत्तों की भांति लडेंगे। और जब वास्तविक उत्तरदायित्व सिर पर पड़ेगा तो स्वयं वास्तविक समझौता कर लेंगे।‘‘ भारत छोड़ो प्रस्ताव 7 जुलाई, 1942 में वर्धा में पेश किया गया है और यह स्पष्ट कहा कि ‘‘यदि यह अपील स्वीकृत नहीं होती है तो हम लोग महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश में एक सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाने के लिए बाध्य हो जाएंगे‘‘।
8 अगस्त, 1942 को बम्बई में ए.आई.सी.सी. की बैठक में वर्धा प्रस्ताव का समर्थन किया गया और कहा गया कि ‘‘भारत में अंग्रेजी राज्य की समाप्ति भारत और संयुक्त राष्ट्रों, दोनों के हितों में है। इस राज्य का बने रहना भारत के लिए अपमानजनक है और उसे दिन-प्रतिदिन क्षीण कर रहा है और उसे अपनी रक्षा में असमर्थ बनाता जा रहा है और संसार की स्वतंत्रता में भी योगदान देने में बाधा है। अतः अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील है कि वह इसमें, भारत का सहयोग करें।‘‘
कार्यक्रम
ऽ सविनय अवज्ञा आंदोलन के सभी कार्यक्रम सम्मिलित थे उनके अलावा।
ऽ कर अदा न करना,
ऽ सैनिक भारतीयों पर गोली न चलाएं।
ऽ अंग्रेजों भारत छोडों व देशी राजाओं अंग्रेजों का साथ छोडों।
ऽ सरकारी सेवक कांग्रेस में अपनी राजनीतिक आस्था प्रकट करें।
ऽ कृषक सरकार समर्थक जम्मींदारों को लगान ना दे।
ऽ देशी राज्यों की जनता राजाओं का सहयोग तभी करे जब वे सरकार विरोधी हों।
देशी राजा प्रजा की संप्रभुता को स्वीकार करें।
मूलमंत्र – करो या मरो। ..
आंदोलन की शुरुआत
गांधी ने कहा मैं पहले वायसराय से मिलूंगा, यदि सरकार मेरी बात मान लेती है तो हम आंदोलन नहीं करेंगे। लेकिन उससे पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया व पूना के आगा खां पैलेस में नजरबंद किया गया।
9 अगस्त, 1942 से भारत छोडों आन्दोलन शुरू। कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता गिरफ्तार हुए।
जवाहर लाल नेहरू, मौलाना आजाद, आसफ अली, गोविन्द वल्ल पंत, प्रफुल्लचन्द्र बोस, पट्टाभि सीतामैया, जे.बी.. कृपलानी को अहमदनगर किले में रखा गया।

भूमिगत आंदोलन

भोट प्रसाद को पटना में, जय प्रकाश नारायण को हजारी बाग सेंट्रल जेल में नजरबंद किया गया। ये जेल तोड़कर भाग गए व भूमिगत होकर आजाद दस्ता का निर्माण किया। इन्होंने भूमिगत संगठनात्मक ढांचा तैयार किया। गुप्त रूप से आंदोलन संचालित करने वालों में जयप्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया, अरूणा आसिफ अली, सुचेता कृपलानी, ऊषा मेहता, अच्युत पटवर्धन, बीजू पटनायक, आर.पी. गोयनका आदि प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। ऊषा मेहता ने बंबई में भूमिगत रेडियो स्टेशन की स्थापना की। राम मनोहर लोहिया, वी.एस. खादर, अब्राहम प्रिंटर व ऊषा मेहता ने कांग्रेस की सूचनाओं व प्रसारण में मुख्य भमिका निभाई। सुमित मुखर्जी जो बाद में एक मुख्य उद्योगपति हुए अच्युत पटवर्धन के लिए रोज एक नई कार की व्यवस्था की व उन्हें गिरफ्तार होने से बचाया। राम मनोहर लोहिया नियमित रूप से कांग्रेस रेड़ियों पर बोलते थे।