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प्लेटलेट्स किसे कहते हैं , थ्रोम्बोसाइट्स की परिभाषा क्या है , Thrombocytes , Platelets in hindi definition
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प्लेटलेट्स या थ्रोम्बोसाइट्स (Platelts or Thrombocytes) Platelets
इनकी आकृति गोलाकार (rounded ) या अण्डाकार ( oval) अथवा शलाखा समान ( rod like) होती है। इनका आमाप लगभग 2 से 3 अर्थात् रक्त कोशिकाओं में सबसे छोटा होता है। इनका जीवद्रव्य कणिकमय (grandlar) तथा बीच में से गहरा एवं क्षारीय तथा परिधि पर पीला एवं समांगी होता है। इनका जीवनकाल 2 से 3 दिन का होता है अर्थात् इनकी सम्पूर्ण संख्या का रुधिर 2 से 5 दिन में नवीनीकरण ( renewal) हो जाता है। इनकी संख्या रुधिर में लगभग 300,000 प्रति घन मि.मी. होती है। इनका उत्पादन मैगाकेरियासाइट्स ( megakaryocytes) कोशिकाओं द्वारा लाल अस्थि मज्जा (red bone marrow) में होता है। प्लेट्लेट्स की संख्या में कमी होने की स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (thrombocytopenia ) कहा जाता है। इस स्थिति में रक्त कोशिकाओं से बाहर निकलकर आने लगता है। इन कणिकाओं के कार्य निम्नलिखित हैं-
- ये रुधिर के थक्का (coagulation) बनने में सहायक होती है।
- ये थ्रोम्बस बनने (thrombus formation) की क्रिया को उत्तेजित करती है।
- (iii) ये आसन्न (adhesive) गुण के कारण रक्त वाहिनियों की उपकलीय सतह की सुरक्षा करती है।
(iv) इनके द्वारा स्त्रावित सिरोटिनिन (serotonin ) या 5 H.T. (5- Hydro-tryptamine) पदार्थ वेसोकॉन्स्ट्रिक्शन (vasontriction) अर्थात् रक्त वाहिनियों के व्यास को घटाने का कार्य करता है।
- प्लाज्मा (Plasma)
यह रक्त का हल्के पीले रंग का, स्वच्छ एवं निर्जीव आधारीय तरल (ground fluid) होता है तथा रक्त का लगभग 5 प्रतिशत भाग बनाता है। इसकी विशिष्ट गुरुत्वत्ता 1.025 से 0.034 होती है। यह जल की अपेक्षा 1.7 से 2.2 गुणा अधिक विस्कासिता का होता है। प्लाज्मा में लगभग 90% जल, 7% प्रोटीन्स, 0.9% लवण एवं 0.1% ग्लूकोज होता है।
- प्लाज्मा के कार्बनिक घटक (Organic costitutents of plasma) – प्लाज्मा में उपस्थित सबसे महत्वपूर्ण कार्बनिक घटक के रूप में प्लाज्मा प्रोटीन्स (plasma proteins) पाई जाती है। ये प्लाज्मा का 6-8 प्रतिशत भाग बनाती है। प्लाज्मा प्रोटीन्स के अतिरिक्त प्लाज्मा में कार्बनिक पदार्थों के रूप में यूरिया (urea), यूरिक अम्ल (urci acid), क्रिएटीन ( creatine), क्रिटीनीर (creatinine), अमोनिया ( ammonia ) इत्यादि होते हैं। ये सभी पदार्थ प्रोटीन उपापचय (protein पदार्थ (nutritive substances) इत्यादि भी होते हैं। प्लाज्मा में कुछ विशिष्ट पदार्थ जैसे हारमोन्स metabolism) के अन्तिम उत्पाद (end products) के रूप में होते हैं। प्लाज्मा में अनेक पोषणीय एवं लिपिड (lipids) इत्यादि भी होते हैं। उपरोक्त वर्णित सभी पदार्थ प्लाज्मा के घटक नहीं होते हैं परन्तु प्लाज्मा के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित किये जाते हैं। आदि उपस्थित
(ii) प्लाज्मा के अकार्बनिक घटक ( Inorganic constituents of plasma)- प्लाज्मा में मुख्य अकार्बनिक घटाकों रूप में Nat,K+, Cat, Mg+, CI, HPO®4 & HCO3 रहते हैं। प्लाज्मा में उपस्थित अकार्बनिक लवण कुल 0.91% भाग बनाते हैं। इन सभी लवर्णा सोडियम क्लारोइड (NaCl) सबसे अधिक मात्रा में उपस्थित रहता है जो रक्त को लवणीय देता है। एम्फीबियन्स एवं रेप्टाइल्स जंतुओं के प्लाज्मा में उपस्थित सभी लवण आयनों (ions) के रूप में उपस्थित रहते हैं। इसी कारण रक्त हल्का क्षारीय (alkaline, pH 7.4) प्रकृति का होता है। कम सान्द्रता में रक्त में लोह (Fe), ताम्र (Cu) एवं आयोडाइड (I) आयन्स भी उपस्थित रहते हैं। तालिका-2 1-2 में प्लाज्मा में उपस्थित विभिन्न आयनों की मात्रा को दर्शाया गया है। – 3.4 : रुधिर प्लाज्मा में उपस्थित विभिन्न विद्युत्-अपघट्य
प्लाज्मा प्रोटीन्स (Plasma proteins)
प्लाज्मा का लगभग 6-8% प्लाज्मा प्रोटीन्स के द्वारा बनाती है । सम्पूर्ण रक्त प्लाज्मा के लगभग 200 से 300 ग्राम प्रोटीन्स पाई जाती है। ये प्रोटीन्स प्लाज्मा तथा रक्त को विस्कासिता (viscosity) प्रदान करती है। इनमें एल्बूमिन (albumins ) 4 -5%, ग्लोब्यूटिन (globulins) 2.5%, फाइब्रिनोजन (fibrinogen) 0.3% तथा प्रोथ्रोम्बिन (prothrombin ) 0.4% आदि प्रमुख हैं।
एल्बूमिन का आण्विक भार लगभग 68,000 होता है तथा ये यकृत में उत्पन्न होती है। यकृत होने पर सीरम में एल्बूलिन की मात्रा कम हो जाती है जिससे हाइपोएल्बुमिनिया (hypoalbumina दशा उत्पन्न होती है। एल्बूमिन का मुख्य कार्य रक्त में परासरण दाब ( osmotic pressure) उत्पन्न होता है। ग्लोब्युलिन्स का आण्विक भार लगभग 90,000 से 1,30,000 तक होता है। सीरम ग्लोब्यूलन्स में एल्फा (alpha) 2.25% बीटा (beta) 0.80% एवं गामा (gama) 0.60% ग्लोब्यूलिन्स प्रकार की प्रोटीन्स पाई जाती है। एल्फा ग्लोब्यूलिस एल्फा 1 एवं एल्फा 2 में वर्गीकृत रहती है। ग्लोब्यूलन्स भी यकृत के द्वारा के द्वारा उत्पन्न होती है। परन्तु गामा ग्लोब्यूलिन निम्फोसाइट्स, मैक्रोफेजेज एवं रेटीकुलो- एण्डोथिलीयल ऊतकों से बनती है। एल्फा ग्लोब्यूलिन रुधिर में विभिन् प्रकार हारमोन्स एवं अन्य रासायनिक पदार्थों के स्थानान्तरण का कार्य करती है जबकि गामा ग्लोब्यूलन्स एण्टीबॉडी उत्पन्न करती है जो संक्रामक रोगों से शरीर को सुरक्षा प्रदान करती है। फाइब्रिनोजन एवं प्रोथ्रोम्बिन भी यकृत द्वारा उत्पन्न होती है। ये रक्त का थक्का (blood clotting) बनाने में मदद करती है। प्लाज्मा में फाइब्रिनोजन अलग करने के पश्चात् शेष बचे पदार्थ को सीरम (serum) कहा जाता है।
प्लाज्मा प्रोटीन्स के कार्य (Functions of plasma proteins)
प्लाज्मा प्रोटीन्स के निम्न कार्य महत्त्वपूर्ण होते हैं-
- ये रुधिर में ऑनकॉटिक दाब (oncotic pressure) उत्पन्न करती है जिसका मान 30 mm Hg होता है। इससे रक्त एवं ऊत्तकों के मध्य जल का आदान-प्रदान होता है।
- प्रोटीन्स उभयधर्मी ( amphoteric) प्रकृति की होती है जिससे यह रुधिर में अम्ल-क्षार संतुलन (acid base balance) बनाये रखती है।
- प्लाज्मा प्रोटीन्स एवं रुधिर को विस्कासिता प्रदान करती है।
- फ्राइब्रिनोजन एवं प्रोथ्रोम्बिन रुधिर के स्कंधन (clotting) में मदद करती है जिससे चोट लगने पर शरीर से रुधिर का ह्यस (loss) नहीं हो पाता है ।
- एल्फा एवं बीटा ग्लोब्यूलिन्स हॉरमोन्स एवं कुछ रासायनिक पदार्थ जैसे आयोडीन, ताम्र, लौह एवं कॉर्टीसोन इत्यादि के… संहवन में मदद में मदद करते हैं।
- गामा ग्लोब्यूलिन रुधिर में एण्टीबॉडी का निर्माण करती है जिससे शरीर में रोग प्रतिरोधकता (disease resistance) उत्पन्न होती है।
(iv) रुधिर ग्लूकोस (Blood glucose ) — प्लाज्मा में लगभग 1.0% ग्लूकोस पाया जाता है परन्तु इसकी सान्द्रता 0.080% से 0.14% तक बदलती रहती है। कम सान्द्रताओं में कुछ अन्य सरल शर्कराएँ भी रक्त में उपस्थित होती है। मस्तिष्क की कुल तंत्रिका कोशिकाएँ ग्लूकोस की सान्द्रता के प्रति विशेष संवेदनशील होती है। जब रक्त में ग्लूकोस स्तर 0.04% या इससे कम हो जाता है तो अनेच्छिक पेशी संकुचन (involuntary muscle contraction), ऐंठन (convulstions) होने लगते हैं तथा अन्त में मृत्यु हो जाती है ।
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