भारत में युवा जनसंख्या क्या है | किस दशक में भारत में सर्वाधिक जनसंख्या वृद्धि दर दर्ज की youth population in india in hindi

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भारतीय युवा वर्ग की जनसांख्यिकीय विशेषताएँ
देश में युवाओं की जनसांख्यिकीय विशेषताओं की रूपरेखा प्रस्तुत करने के लिए भारत की जनगणना और उसमें दर्ज 15-24 वर्ष आयु वर्ग के व्यक्तियों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। लिंग अनुपात, ग्रामीण-शहरी वितरण, वैवाहिक प्रस्थिति और शैक्षिक उपलब्धि के संदर्भ में युवा जनसंख्या का विश्लेषण करना उपयोगी होगा।

यह देखना महत्वपूर्ण है कि इस शताब्दी के प्रारंभ में देश में युवाओं की जनसंख्या 4 करोड़ थी। 1901 से कुल जनसंख्या में युवाओं का अनुपात अपरिवर्तित रहा है। वर्ष 1971 तक यह लगभग 17 प्रतिशत था।

1981 में युवाओं की जनसंख्या 12 करोड़ 20 लाख थी अर्थात् देश की कुल जनसंख्या के 18.5 प्रतिशत से कुछ कम थी। 1951-1981 के दौरान युवाओं की जनसंख्या लगभग दुगुनी 6 करोड़ 20 लाख से 12 करोड़ 20 लाख हो गई। 1991 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या में 18.3 प्रतिशत जनसंख्या युवाओं की है।

 युवा जनसंख्या का लिंग अनुपात
1981 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या का 52 प्रतिशत पुरुष युवा थे। लिंग अनुपात के संदर्भ में प्रति 1000 पुरुषों पर 929 महिलाएँ होती हैं। यह देखना महत्त्वपूर्ण है कि भारत में पिछले 20 वर्षों के दौरान प्रति 1000 युवतियों पर युवकों का अनुपात बढ़ता जा रहा है जो कि युवतियों की जनसंख्या में 7 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है।

 ग्रामीण-शहरी वितरण
1991 में कुल ग्रामीण और शहरी जनसंख्या में युवा क्रमशः 17.7 और 20.1ः थे।

वैवाहिक प्रस्थिति
अधिकतर युवा 20 वर्ष की आयु तक अविवाहित रहते हैं। परंतु भारत में स्थिति भिन्न है, युवा जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग विवाहित है। 1981 में शहरी क्षेत्रों में 15-29 वर्ष की आयु-वर्ग की लगभग आधी युवतियाँ अविवाहित थीं। जबकि केवल 28 प्रतिशत युवतियाँ ही विवाहित थीं। पिछले जनगणना वर्षों की तुलना में विवाह की वर्तमान औसत आयु बढ़ गई है। फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में काफी युवतियों की शादी कम आयु में ही हो जाती है। 1961-1981 के दौरान अविवाहित रहने वाले युवाओं का अनुपात ग्रामीण तथा शहरी दोनों क्षेत्रों में बढ़ा है।

 युवा वर्ग की शिक्षा संबंधी उपलब्धियाँ
भारत में समग्र युवा वर्ग की साक्षरता दर 2002 में 72.6ः थी। दूसरे शब्दों में, लिंग और निवास के संदर्भ में निरक्षरों की संख्या अधिक है।

पिछले 20 वर्षों के दौरान साक्षरता दर 24 प्रतिशत से बढ़कर 36 प्रतिशत हुई है। 1961 में दसवीं कक्षा तक शिक्षित युवा 3.6 मिलियन (36 लाख) थे और 1981 में 20.2 मिलियन (2 करोड़ 2 लाख)। दूसरे शब्दों में, यह स्पष्ट रूप में छः गुनी वृद्धि है। युवतियों में यह वृद्धि सुस्पष्ट है। इस वृद्धि के बावजूद देश में आधे युवक और तीन-चैथाई युवतियाँ आज भी लिख-पढ़ नहीं सकते हैं।

 युवा वर्ग की कार्यकारी जनसंख्या
आमतौर पर कार्यकारी जनसंख्या का अनुपात रोजगार-बेरोजगार दर में व्यक्त किया जाता है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एन.एस.एस.ओ.) ने अपने आवधिक सर्वेक्षण में इस संबंध में आँकड़े दिए हैं।

प) बेरोजगारी दर
देश में बेरोजगारी के आँकड़ों का विश्लेषण स्पष्टतया यह दर्शाता है कि कुल बेरोजगार व्यक्तियों में युवाओं की अपेक्षाकृत बड़ी संख्या है। विसारिया के अनुसार 1977-78 में रोजगारप्राप्त जनसंख्या में युवाओं का भाग ग्रामीण युवतियों में 48.5 प्रतिशत से लेकर शहरी युवकों में 79.8 प्रतिशत तक था।

जब शिक्षित युवाओं में बरोजगारी दर का विश्लेषण किया जाता है तो यह देखने में आता है कि सभी शिक्षित युवाओं में माध्यमिक कक्षा तक शिक्षित बेरोजगार युवाओं का अनुपात शहरी और ग्रामीण दोनों में अन्य की अपेक्षा अधिक है (देखें तालिका)।

तालिका: शैक्षिक उपलब्धि के अनुसार बेरोजगारी दर
1977-78
ग्रामीण शहरी
पुरुष महिला पुरुष महिला
सभी 3.6 4.1 7.1 4.4
निरक्षर 2.5 3.6 3.6 4.4
माध्यमिक (secondary) 10.6 28.6 10.0 33.6
स्नातक (graduate) 16.2 32.3 8.8 31.0
स्रोत: एन.एस.एस.ओ., भारत (1981)

ऊपर दी गई तालिका से स्पष्ट है कि ग्रामीण युवाओं की अपेक्षा शहरी युवाओं में रोजगार की दर कम है। शिक्षित युवा जनसंख्या में तो यह संकट की स्थिति में पहुंच गई है।

देश में युवा बेरोजगारी संबंधी आँकड़ों का विश्लेषण कुछ उपयोगी प्रवृत्तियों को दर्शाता है,

नामतः
क) कर्नाटक, उड़ीसा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और केरल राज्यों में ग्रामीण युवतियों में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत की तुलना में अधिक है जो विचाराधीन वर्ष (1977-78) में 5.6 प्रतिशत थी।
ख) उड़ीसा, बिहार, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में ग्रामीण युवकों में यह दर 6 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत की तुलना से अधिक थी।
ग) उड़ीसा, बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल में शहरी क्षेत्रों के युवकों में बेरोजगारी की दर राष्ट्रीय औसत की तुलना में ऊँची थी।
घ) शहरी युवतियों में बेरोजगारी सर्वाधिक थी। असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में यह दर राष्ट्रीय औसत से अधिक थी।
च) बहुत से राज्यों में ग्रामीण बेरोजगारी दर शहरी बेरोजगारी दर की तुलना में प्रभावपूर्ण रूप से कम थी।

 युवा जनसंख्या में वृद्धि के निहितार्थ
युवा जनसंख्या में वृद्धि दर के शैक्षिक और रोजगार अवसर दोनों पर गंभीर परिणाम हुए हैं। विभिन्न क्षेत्रों में युवाओं की इन विशेषताओं के बीच पायी जाने वाली भिन्नता के बावजूद कुछ सामान्य समस्याओं को आसानी से पहचाना जा सकता है।

भारत में अधिकांश ग्रामीण युवा विद्यालयों से बाहर ही हैं। कुछ स्कूल बीच में ही छोड़ देते हैं। फिर भी विभिन्न सामाजिक स्तरों में शिक्षा का प्रसार हो रहा है। वे युवा जो स्कूल से बाहर हैं उनके चरित्र में कुछ भिन्नता दिखाई देती है। उन बच्चों की किसी न किसी रूप में व्यस्क होने से पहले ही उत्पादन चक्र में काम करने के लिए बाध्य किया जाता है।

ग्रामीण युवाओं की संख्यात्मक प्रधानता के बावजूद इस क्षेत्र को बहुत कम अवसर मिले हैं। यह स्पष्ट है कि ग्रामीण युवाओं को अन्य युवाओं की तुलना में सहभागिता, आत्माभिव्यक्ति और मनोरंजन के लिए शिक्षा ग्रहण करने के कम अवसर उपलब्ध हुए हैं।

बोध प्रश्न 1
1) युवा की परिभाषा किस प्रकार की गई है? उत्तर लगभग चार पंक्तियों में दीजिए।
2) भारत में युवाओं के अध्ययन के कुछ महत्त्वपूर्ण आयाम बताइए। उत्तर लगभग तीन
पंक्तियों में दीजिए।
3) भारतीय युवाओं की कुछ जनसांख्यिकीय विशेषताओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए। उत्तर लगभग आठ पंक्तियों में दीजिए।
4) भारत में युवा जनसंख्या पर जनसांख्यिकीय आँकड़ों की महत्ता का संक्षेप में वर्णन कीजिए। उत्तर लगभग तीन पंक्तियों में दीजिए।

बोध प्रश्न 1 उत्तर
1) युवक की परिभाषा सामाजिक और सांख्यिकीय दोनों श्रेणियों में की गई है।
सामान्यतः 15 से 24 वर्ष की आयु के व्यक्ति युवा माने जाते हैं।
2) भारत में युवाओं के अध्ययन के महत्त्वपूर्ण आयाम सामाजिक जनसांख्यिकी और सांस्कृतिक हैं।
3) सामान्य जनसंख्या में युवाओं के जनसांख्यिकीय लक्षणों को आयु-लिंग-आवास
वितरण के रूप में अभिव्यक्त किया जा सकता है।
ग्रामीण-शहरी अनुपात 3: 1 है (शहरी युवक 33 मिलियन, ग्रामीण युवक 92 मिलियन है)। युवाओं की औसत विवाह आयु 22 वर्ष है। आधे युवक और तीन-चैथाई युवतियाँ अभी भी निरक्षर है।
4) मुख्य उपयोग शिक्षा प्रसार और रोजगार के अवसरों के सृजन से संबंधित है।