ऊष्मागतिकी निकाय द्वारा किया गया कार्य (work done by a thermodynamic system in hindi)

(work done by a thermodynamic system in hindi) ऊष्मागतिकी निकाय द्वारा किया गया कार्य  : ऊष्मागतिकी भौतिक विज्ञानं कि वह शाखा है जिसमे मुख्य रूप से ऊष्मा ऊर्जा का यांत्रिक उर्जा में रूपांतरण का अध्ययन किया जाता है , सीधे शब्दों में हम यह कह सकते है कि उष्मागतिक द्वारा हम ऊष्मा उर्जा और यांत्रिक ऊर्जा में आपस में सम्बन्ध स्थापित कर सकते है।

ऊष्मागतिकी साम्य क्या है ? (thermodynamic Equilibrium)

जब निकाय के सभी पार्ट्स में ऊष्मा का मान समान हो तो उस निकाय को उष्मागतिकी साम्य कहते है , इसके अलावा दाब इत्यादि भी समान होना चाहिए जिससे यह निकाय इसके बाहर के परिवेश से किसी प्रकार का ऊष्मा या दाब इत्यादि चर का आदान प्रदान न करे।

ऊष्मागतिकी निकाय द्वारा किया गया कार्य

मान लेते है हमारे पास एक सिलेंडर है , इस सिलेण्डर में गैस भरी जाती है।  इस सिलेन्डर का एक मुंह खुला रहता है और इस खुले मुँह पर एक गतिशील पिस्टन लगा देते है जैसा चित्र में दर्शाया गया है –
मान लेते है कि गैस का आयतन V है और यह गैस सिलेंडर तथा पिस्टन पर P दाब आरोपित कर रही है तथा पिस्टन का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A है।
जैसा की हम जानते है कि जब गैस पिस्टन पर दाब लगाएगी तो इस पर एक बल कार्य करेगा जिसका मान निम्न होगा –
पिस्टन पर गैस द्वारा कार्यरत बल F = PA
चूँकि गैस पिस्टन बल बल लगा रही है और और पिस्टन गतिशील है तो स्वभाविक रूप से पिस्टन कुछ विस्थापित हो जाता है , माना यह F बल लगने से पिस्टन dx दुरी (अल्प दुरी) तक विस्थापित हो जाता है , अत: गैस द्वारा पिस्टन को विस्थापित करने में कुछ कार्य करना पड़ेगा जिसका मान निम्न है –
गैस द्वारा पिस्टन को dx दूरी तक विस्थापित करने में किया गया कार्य = बल x विस्थापन
dW = F x dx
यहाँ बल F का मान रखने पर
dW = PA x dx
चूँकि Adx = dV
अत:
  dW = PdV
जब गैस का आयतन V1 से V2 परिवर्तन होता है तो गैस किया गया कार्य निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जा सकता है –